प्रधानमंत्री मोदी आख़िर हर रोज क्यों कांग्रेस के घोषणापत्र में से कोई न कोई मुद्दा निकालकर मुस्लिमों से जोड़ दे रहे हैं? क्या कांग्रेस के घोषणापत्र में से किसी भी मुद्दे पर उन्होंने ऐसी बात कही है जिसपर विवाद नहीं हुआ हो या जिसको कांग्रेस पार्टी ने झूठ न क़रार दिया हो? इसी कड़ी में प्रधानमंत्री मोदी का ताज़ा बयान सरकारी ठेके देने को लेकर आया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात में दो मई को एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में आने पर सरकारी टेंडर देने में मुसलमान के लिए कोटा तय करने का वादा किया है। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस का घोषणापत्र, हर बिंदु पर, तुष्टिकरण, तुष्टिकरण, और तुष्टिकरण से भरा है। ....उन्होंने लिखित रूप से कहा है कि अब सरकारी टेंडर में मुसलमानों के लिए एक कोटा तय किया जाएगा। तो क्या अब से सरकारी ठेके धर्म के आधार पर दिए जाएंगे? और उसके लिए आरक्षण शुरू होगा?'
प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान की सच्चाई जानने से पहले, यह जान लें कि उन्होंने कांग्रेस के घोषणापत्र को लेकर कैसे-कैसे मुद्दे उठाए हैं। उन्होंने इससे पहले कई मुद्दों को उठाते हुए मुस्लिमों से जोड़ा है और एक तरह से कांग्रेस पर मुस्लिम परस्त पार्टी होने का आरोप लगाया है। इसकी शुरुआत तब हुई थी जब उन्होंने कांग्रेस के घोषणापत्र को मुस्लिम लीग की सोच को प्रतिबिंबित करने वाला बताया था।
'मुस्लिम लीग की छाप'
नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र की निंदा करते हुए कहा था कि घोषणापत्र पर मुस्लिम लीग की विघटनकारी राजनीति की छाप है और यह वाम विचारधारा से प्रभावित है। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस ने जिस तरह का घोषणापत्र जारी किया है, उससे वही सोच झलकती है, जो आजादी के आंदोलन के समय मुस्लिम लीग में थी। कांग्रेस के घोषणापत्र में पूरी तरह मुस्लिम लीग की छाप है और इसका जो कुछ हिस्सा बचा रह गया, उसमें वामपंथी पूरी तरह हावी हो चुके हैं। कांग्रेस इसमें दूर-दूर तक दिखाई नहीं देती है।'
पीएम का यह बयान कितना सच?
प्रधानमंत्री मोदी के जवाब में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि भाजपा के पुरखे और मुस्लिम लीग एक दूसरे के सहयोगी थे। खड़गे ने कहा है कि कांग्रेस के घोषणापत्र में युवा न्याय, नारी न्याय, किसान न्याय, श्रमिक न्याय, हिस्सेदारी न्याय जैसी गारंटियों की बात की गई है। उन्होंने कहा कि जातिगत सर्वेक्षण कर उसके अनुसार सकारात्मक क़दम उठाए जाने की बात की गई है।
इतिहास के जानकार राम पुनियानी कहते हैं, 'सन 1937 के राज्य विधानमंडल चुनावों के लिए मुस्लिम लीग के घोषणापत्र और चुनाव कार्यक्रम में मुस्लिम पहचान से जुड़ी मांगें थीं और उसमें समाज के कमज़ोर वर्गों की भलाई के लिए सकारात्मक क़दमों की कहीं चर्चा नहीं थी।'
पिछले महीने 4 अप्रैल को जारी अपने घोषणापत्र को कांग्रेस ने 'न्याय पत्र' का नाम दिया है। इसमें जाति जनगणना, आरक्षण पर 50 प्रतिशत की ऊपरी सीमा हटाने, युवाओं के लिए रोज़गार, इंटर्नशिप की व्यवस्था, गरीबों के लिए आर्थिक मदद आदि का वादा किया गया है। घोषणापत्र का फोकस महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, ओबीसी, किसानों और युवाओं व विद्यार्थियों के लिए न्याय पर है।
संपत्ति का पुनर्वितरण?
पीएम मोदी ने पिछले रविवार को चुनावी रैली में कहा था, 'उन्होंने (कांग्रेस ने) कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब, ये संपत्ति इकट्ठी कर किसको बाँटेंगे? जिनके ज़्यादा बच्चे हैं उनको बाँटेंगे। घुसपैठिए को बाँटेंगे। ...ये कांग्रेस का मैनिफेस्टो कह रहा है... कि माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे। ...जानकारी लेंगे और फिर संपत्ति को बाँट देंगे। और उनको बाँटेंगे जिनको मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। ये अर्बन नक्सल की सोच, मेरी माताओ, बहनो, ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे।'
कांग्रेस ने इसके जवाब में कहा कि संपत्ति के पुनर्वितरण का सवाल ही नहीं उठता है। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस बात को साबित करने की चुनौती दी। खड़गे ने पीएम को पत्र लिखकर कहा है कि हमारे न्याय पत्र को समझाने के लिए आपसे व्यक्तिगत रूप से मिलकर बहुत खुशी होगी।
वैसे, कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में न्याय की बात की है। इसके घोषणापत्र में कहा गया है कि निर्वाचित होने पर कांग्रेस देश भर में सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना कराएगी। इसने कहा है कि जाति सर्वेक्षण कर उसके अनुसार सकारात्मक क़दम उठाया जाएगा।
'विरासत कर' का विवाद
कांग्रेस के मैनिफेस्टो पर विवाद के बीच ही जब एक इंटरव्यू में सैम पित्रोदा ने 'इनहैरिटेंस टैक्स' का ज़िक्र भर किया तो इस बयान को बीजेपी ने लपक लिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने चुनावी रैली में कहा कि अब कांग्रेस उससे भी एक क़दम आगे चली गई है और कह रही है कि वह इनहैरिटेंस टैक्स लगाएगी। उन्होंने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आप जो अपनी मेहनत से पैसे जुटाते हैं वह आपके बच्चों को नहीं मिलेगी, बल्कि कांग्रेस सरकार का पंजा उसे भी आपसे छीन लेगा। उन्होंने कहा कि 'कांग्रेस का मतलब है- कांग्रेस की लूट। ज़िंदगी के साथ भी ज़िंदगी के बाद भी।'
लेकिन कांग्रेस ने साफ़ किया कि सैम पित्रोदा का बयान उनका अपना निजी बयान है और उसका कांग्रेस से कुछ भी लेनादेना नहीं है। कांग्रेस ने कहा कि उसके घोषणापत्र में विरासत कर का बिल्कुल भी ज़िक्र नहीं है।
बाद में तो कई बीजेपी नेताओं के ही पुराने बयान सामने आ गए जिसमें उन्होंने भारत में इनहैरिटेंस टैक्स लगाने की बात कही थी।
सरकारी टेंडर पर आरोप
प्रधानमंत्री मोदी यहीं नहीं रुके, उन्होंने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस ने लिखित रूप से कहा है कि अब सरकारी टेंडर में मुसलमानों के लिए एक कोटा तय किया जाएगा। पीएम ने कहा कि सरकारी ठेके हमेशा उचित योग्यता के आधार पर दिए गए हैं और धर्म व जाति के आधार पर कोटा तय करना ग़लत होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस अपने 'वोट बैंक' के लिए ऐसा कर रही है।
तो सवाल है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी ने जो आरोप लगाया है वह सही है? एक लाइन में इसका जवाब है- 'नहीं'।
कांग्रेस के घोषणापत्र में दो जगहों पर सरकारी टेंडर का ज़िक्र किया गया है। द वायर की रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस के घोषणापत्र में एक जगह कहा गया है- 'एससी और एसटी समुदायों से संबंधित ठेकेदारों को अधिक सरकारी टेंडर देने के लिए सार्वजनिक खरीद नीति का दायरा बढ़ाया जाएगा।'
रिपोर्ट के अनुसार, इसी तरह एक जगह और लिखा है, 'हम यह सुनिश्चित करेंगे कि अल्पसंख्यकों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सरकारी रोजगार, सरकारी वर्क टेंडर, कौशल विकास, खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में बिना किसी भेदभाव के अवसरों का उचित हिस्सा मिले।'
इससे साफ़ है कि घोषणापत्र में कहीं भी अल्पसंख्यकों या मुसलमानों के लिए निश्चित कोटा की बात नहीं की गई है। इसमें केवल इतना वादा किया गया है कि यह अल्पसंख्यकों के लिए 'बिना भेदभाव' के 'उचित हिस्सेदारी' सुनिश्चित करेगा।