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चुनाव कर्नाटक में है तो पीएम मोदी केरल में क्या कर रहे?

चुनाव कर्नाटक में है तो पीएम मोदी केरल में क्या कर रहे?

चुनाव प्रचार में हाल के वर्षों में अक्सर पिछड़ती नज़र आने वाली कांग्रेस के नेता कर्नाटक चुनाव में सभाएँ, रैलियाँ कर रहे हैं, तो पीएम मोदी कहाँ हैं?

प्रधानमंत्री मोदी केरल पहुँचे हैं और वहाँ कई योजनाओं का उद्घाटन कर रहे हैं। लेकिन चुनाव तो कर्नाटक में है। बीजेपी की तरफ़ से अक्सर चुनाव प्रचार का नेतृत्व प्रधानमंत्री मोदी करते रहे हैं। जहाँ कहीं भी चुनाव होता है वहाँ पीएम मोदी की रैलियाँ और सभाएँ अन्य बड़े नेताओं की अपेक्षा कहीं अधिक होती हैं। लेकिन क्या ऐसा कर्नाटक में है? राज्य में चुनाव में बस गिनती के कुछ दिन बचे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी या फिर अमित शाह की बड़ी जनसभाएँ वहाँ क्यों नहीं हुईं।

जबकि चुनाव अभियान में अक्सर कहीं ज़्यादा पिछड़ी नज़र आने वाली कांग्रेस के नेता कर्नाटक में लगातार सभाएँ और रैलियाँ कर रहे हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे से लेकर राहुल गांधी तक। तो सवाल है कि आख़िर बीजेपी के दिग्गज नेता पीएम मोदी और अमित शाह ऐसा क्यों नहीं कर रहे हैं?

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत किसकी होगी उसका फ़ैसला मतदाता 10 मई को कर देंगे। तब वोट ईवीएम में बंद हो जाएँगे और 13 मई को साफ हो जाएगा कि कौन जीता और कौन हारा। इसका मतलब है कि चुनाव प्रचार के लिए अब सिर्फ़ 13 दिन ही बाक़ी हैं। तो इन 13 दिनों में 224 विधानसभा सीटों पर प्रचार कैसे हो पाएगा?

बीजेपी की चुनाव प्रचार की क्या है रणनीति?

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार और बुधवार को लगातार दो दिन धुँधाधार चुनाव प्रचार होगा। इसके तहत सभी 224 विधानसभा सीटों पर प्रचार किया जाएगा। इसमें दो दिनों तक केंद्रीय मंत्री, राष्ट्रीय और राज्य स्तर के नेता, विधानसभा सीट प्रभारी प्रचार करेंगे। यह साफ़ नहीं है कि इनमें पीएम मोदी और गृह मंत्री शामिल हैं या नहीं। इसके तहत सभी सीटों पर प्रेस कॉन्फ़्रेंस, रोड शो, जनसभा, घर घर प्रचार होगा। मंगलवार को शाम पांच बजे से शाम साढ़े छह बजे तक सभी तालुका मुख्यालयों पर एक साथ जनसभाएं होंगी। बुधवार को सभी विधानसभा क्षेत्रों में प्रमुख व्यक्तियों की प्रतिमाओं का माल्यार्पण होगा। प्रमुख मंदिर, मठ और धार्मिक स्थलों का दर्शन किया जाएगा और रोड शो आयोजित किए जाएंगे।

कर्नाटक के चुनावी हलचल से अलग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन से केरल में डटे हुए हैं। आज उन्होंने राज्य में वंदे भारत ट्रेन का उद्धाघन किया। दिनभर में कई कार्यक्रमों का उद्घाटन किया जाना है। इससे एक दिन पहले भी उन्होंने कई योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया था। वैसे, विपक्षी दल प्रधानमंत्री मोदी के चुनाव वाले राज्य के पड़ोसी राज्यों में इस तरह के कार्यक्रमों को भी चुनाव प्रचार बताते रहे हैं और यह भी कहते रहे हैं कि यह एक तरह से चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन है। लेकिन चूँकि उनका कार्यक्रम चुनाव वाले राज्य में नहीं होता है इसलिए तकनीकी तौर पर वह आचार संहिता के दायरे में नहीं आता है।

हालाँकि, प्रधानमंत्री मोदी का कर्नाटक में चुनाव प्रचार का कार्यक्रम तय है, लेकिन कहा जा रहा है कि उनका यह कार्यक्रम अन्य चुनावों की अपेक्षा उतना आक्रामक नहीं है। कुछ रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि वह 20 से ज्यादा रैली करेंगे।

गृह मंत्री अमित अमित शाह भी सोमवार को कर्नाटक में चुनाव प्रचार करने पहुँचे। इससे पहले वह तेलंगाना में जनसभाएँ कर रहे थे। अमित शाह ने तेलंगाना में बयान दिया, 'भारतीय जनता पार्टी की तेलंगाना में सरकार बनेगी तो इस गैर संवैधानिक मुस्लिम रिजर्वेशन को हम समाप्त कर देंगे, ये अधिकार तेलंगाना के एससी-एसटी और ओबीसी का है जो उनको मिलेगा।' 

इससे पहले वे 14 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के दो दिवसीय दौरे पर गए थे और बीरभूम में सभा की थी। इस बीच वह कई अन्य राज्यों में भी दौरे पर रहे। बहरहाल, उनका और जेपी नड्डा का कर्नाटक में चुनाव प्रचार तय है। गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा करीब 30- 30 रैली करेंगे। 

अब सवाल है कि आख़िर कर्नाटक में चुनावी नतीजा क्या होने वाला है? चुनावी ओपिनियन पोल क्या कहते हैं? हाल में कई ओपिनियन पोल में कांग्रेस को बहुमत मिलने के आसार बताए गए हैं और बीजेपी की बड़ी हार के संकेत मिले हैं। एबीपी- सी वोटर ने पिछले महीने कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले ओपिनियन पोल में कांग्रेस को बहुमत मिलने के आसार बताए हैं। इसने कहा है कि कांग्रेस को 115-127 सीटें मिल सकती हैं। सर्वे के अनुसार बीजेपी को क़रारा झटका लगने की संभावना है क्योंकि उसको 68-80 सीटें मिलती हुई दिखाई गई है। सर्वे में जेडीएस को 23-35 सीटें मिलने और अन्य को 0-2 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है।

कांग्रेस तो 150 से भी ज़्यादा सीटों का दावा कर रही है, हालाँकि बीजेपी भी सरकार बनाने का दावा कर रही है। 

इस चुनाव को 2024 के लिए एक संकेत भी माना जा रहा है तो क्या इस चुनाव के नतीजे बीजपी के लिए झटका साबित होंगे? 

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