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लद्दाख में तनाव: प्रधानमंत्री मोदी की चीन पर सर्वदलीय बैठक जारी

लद्दाख में तनाव: प्रधानमंत्री मोदी की चीन पर सर्वदलीय बैठक जारी

लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ और गलवान घाटी में 20 जवानों के शहीद होने के मामले में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आहूत चीन पर सर्वदलीय बैठक हुई।

लद्दाख में चीनी सेना की घुसपैठ और गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सेना के हिंसक झड़प में 20 जवानों के शहीद होने के मामले में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आहूत सर्वदलीय बैठक वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से जारी है। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे समेत कई दलों के नेता भाग ले रहे हैं। इस बैठक में भाग लेने वाले दलों के अध्यक्षों को आमंत्रित करने के लिए गुरुवार को ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने फ़ोन किया था। हालाँकि अरविंद केजरीवाली की पार्टी आम आदमी पार्टी और लालू यादव की पार्टी आरजेडी को आमंत्रित नहीं किया गया है।

चीन पर सर्वदलीय बैठक की घोषणा तब हुई जब सीमा विवाद बढ़ता जा रहा है और चीनी सेना की कार्रवाई का जवाब देने के लिए दबाव बढ़ता जा रहा है। प्रधानमंत्री पर भी इसका दबाव बढ़ता जा रहा है कि वह कुछ ठोस क़दम उठाएँ। इन्हीं दबावों के बीच ही प्रधानमंत्री कार्यालय ने दो दिन पहले सर्वदलीय बैठक की जानकारी दी थी।

लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए हैं। इनमें एक आर्मी अफ़सर भी शामिल हैं। यह झड़प सोमवार यानी 15 जून की रात को हुई थी। झड़प के दौरान पत्थरों, धातु के टुकड़ों का इस्तेमाल दोनों ओर से किया गया लेकिन गोली नहीं चली है।

सवाल तो इस पर उठाए जा रहे हैं कि देश को सीमा के वास्तविक हालात के बारे में जानकारी नहीं दी जा रही है। ताज़ा विवाद इस पर उठा है कि चीनी सैनिकों के साथ मुठभेड़ के दौरान भारतीय सैनिकों के कथित तौर पर निहत्थे क्यों भेजा गया। राहुल गाँधी ने सवाल पूछा कि 'हमारे निहत्थे जवानों को वहाँ शहीद होने क्यों भेजा गया' इस पर जब विदेश मंत्री ने जवाब दिया तो और विवाद खड़ा हो गया। 

राहुल के सवाल पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट कर कहा है, 'आइये हम सीधे तथ्यों की बात करते हैं। सीमा पर सभी सैनिक हमेशा हथियार लेकर जाते हैं, ख़ासकर जब पोस्ट से जाते हैं। 15 जून को गलवान में उन लोगों ने ऐसा किया। फेसऑफ़ (झड़प) के दौरान हथियारों का उपयोग नहीं करना लंबे समय से परंपरा (1996 और 2005 के समझौते के अनुसार) चली आ रही है।'

लेकिन विदेश मंत्री के इस जवाब पर सेना के सेवानिवृत्त अफ़सरों ने ही सवाल खड़े कर दिए। रिटायर लेफ़्टिनेंट जनरल एच. एस. पनाग ने इस पर कहा कि यह तो सीमा प्रबंधन के लिए बनी सहमति है, रणनीतिक सैन्य कार्रवाई के दौरान इसका पालन नहीं होता है। उन्होंने कहा है कि जब किसी सैनिक की जान का ख़तरा होता है, वह अपने पास मौजूद किसी भी हथियार का इस्तेमाल कर सकता है।

बता दें कि 20 जवानों के शहीद होने की ख़बर आने के बाद रात को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक हुई थी। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री जयशंकर, चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत मौजूद रहे थे। मंगलवार को दिन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री जयशंकर ने हालात पर चर्चा की थी।

इस घटना के बाद से ही सोशल मीडिया पर लोग इसके लिए आलोचना कर रहे थे कि प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री सहित तमाम मंत्री की ओर से कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं आई। मंत्रियों की यह आरोप लगाकर भी आलोचना की जा रही है कि देश को चीन से लगी सीमा पर वास्तविक स्थिति नहीं बताई जा रही है। इन्हीं आरोपों के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का बुधवार दोपहर ट्वीट आया। उन्होंने ट्वीट में कहा कि मुश्किल वक़्त में देश कंधे से कंधा मिलकर खड़ा है। इसके बाद प्रधानमंत्री का भी बयान आया और उन्होंने कहा कि हम शांतिप्रिय देश हैं लेकिन कोई उकसाए तो हम जवाब देने में सक्षम हैं। बाद में गृह मंत्री अमित शाह का भी बयान आया। और फिर चीन पर सर्वदलीय बैठक की जानकारी दी गई।

हालाँकि इसके बावजूद सरकार द्वारा देश को सीमा पर स्थिति के बारे में जानकारी नहीं देने को लेकर सरकार की आलोचना की जा रही है। सोशल मीडिया पर नागरिक समाज और कार्यकर्ता तो सवाल पूछ ही रहे हैं विपक्ष भी सरकार से जवाब माँग रहा है। विपक्षी दलों ने सरकार से कहा है कि चीन की आक्रामकता के ख़िलाफ़ दृढ़ता से खड़ा रहा जाए। इसके साथ ही इन दलों ने यह साफ़ करने को कहा है कि सीमा पर बनी वास्तविक स्थिति को देश को बताया जाए।

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