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मजहबी कट्टरता की आँधी थी तो गुरु तेगबहादुर चट्टान बनकर खड़े थे: मोदी

मजहबी कट्टरता की आँधी थी तो गुरु तेगबहादुर चट्टान बनकर खड़े थे: मोदी

जानिए सिख गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती क्यों खास है और प्रधानमंत्री मोदी ने देश के नाम संबोधन में क्या-क्या कहा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिख गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती पर राष्ट्र को संबोधित किया। यह कार्यक्रम लाल क़िले पर हुआ। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये लाल क़िला कितने ही अहम कालखण्डों का साक्षी रहा है। उन्होंने कहा कि इस क़िले ने गुरु तेग बहादुर जी की शहादत को भी देखा है और देश के लिए मरने-मिटने वाले लोगों के हौसले को भी परखा है।

प्रधानमंत्री ने कहा, "यहाँ लालकिले के पास में ही गुरु तेगबहादुर जी के अमर बलिदान का प्रतीक गुरुद्वारा शीशगंज साहिब भी है! ये पवित्र गुरुद्वारा हमें याद दिलाता है कि हमारी महान संस्कृति की रक्षा के लिए गुरु तेगबहादुर जी का बलिदान कितना बड़ा था...।' उन्होंने आगे कहा, "उस समय देश में मजहबी कट्टरता की आँधी आई थी। धर्म को दर्शन, विज्ञान और आत्मशोध का विषय मानने वाले हमारे हिंदुस्तान के सामने ऐसे लोग थे जिन्होंने धर्म के नाम पर हिंसा और अत्याचार की पराकाष्ठा कर दी थी। उस समय भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरु तेगबहादुर जी के रूप में दिखी थी। औरंगजेब की आततायी सोच के सामने उस समय गुरु तेगबहादुर जी, ‘हिन्द दी चादर’ बनकर, एक चट्टान बनकर खड़े हो गए थे।"

बता दें कि साल 1675 में गुरु तेग बहादुर ने चांदनी चौक पर अपनी शहादत दी थी। उनकी शहादत की याद में ही चांदनी चौक पर गुरुद्वारा सीस गंज साहिब बनाया गया है। गुरु तेग बहादुर जयंती सिख समुदाय के लिए महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इसे प्रकाश पर्व के रूप में भी जाना जाता है, जो गुरु तेग बहादुर के जन्म का प्रतीक है। वह सिख धर्म के नौवें गुरु थे। वह गुरु हरगोबिंद के सबसे छोटे पुत्र थे, जिनका जन्म 1621 में हुआ था। यह दिन सिख समुदाय के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि गुरु तेग बहादुर को उद्धारकर्ता गुरु माना जाता है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'अभी शबद कीर्तन सुनकर जो शांति मिली, वो शब्दों में अभिव्यक्त करना मुश्किल है। आज मुझे गुरु को समर्पित स्मारक डाक टिकट और सिक्के के विमोचन का भी सौभाग्य मिला है। मैं इसे हमारे गुरुओं की विशेष कृपा मानता हूं।'

उन्होंने कहा, 'ये भारतभूमि, सिर्फ़ एक देश ही नहीं है बल्कि हमारी महान विरासत है, महान परंपरा है। इसे हमारे ऋषियों, मुनियों, गुरुओं ने सैकड़ों-हजारों सालों की तपस्या से सींचा है, उसके विचारों को समृद्ध किया है।' प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान ने भारत की अनेकों पीढ़ियों को अपनी संस्कृति की मर्यादा की रक्षा के लिए, उसके मान-सम्मान के लिए जीने और मर-मिट जाने की प्रेरणा दी है। बड़ी-बड़ी सत्ताएँ मिट गईं, बड़े-बड़े तूफान शांत हो गए, लेकिन भारत आज भी अमर खड़ा है, आगे बढ़ रहा है।'

उन्होंने आगे कहा, 'भारत ने कभी किसी देश या समाज के लिए ख़तरा नहीं पैदा किया। आज भी हम पूरे विश्व के कल्याण के लिए सोचते हैं। हम आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं, तो उसमें पूरे विश्व की प्रगति लक्ष्य का सामने रखते हैं।'

अधिकारियों ने कहा कि लाल क़िले पर दिल्ली पुलिस के 1,000 से अधिक जवानों और विभिन्न एजेंसियों के एक बहुस्तरीय सुरक्षा घेरा तैनात किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार लाल क़िला परिसर के अंदर 100 से अधिक सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। अधिकारियों के मुताबिक़, सुरक्षा घेरे में एनएसजी स्नाइपर्स, स्वात कमांडो, काइट हंटर्स, कैनाइन यूनिट्स और ऊँची इमारतों पर शार्पशूटर शामिल हैं।

पंजाब में विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री मोदी सिख समुदाय के कई अहम नेताओं से मिले थे और उन्होंने सिखों से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते साल 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाने का एलान भी किया था। 

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