कोरोना वैक्सीन के सर्टिफ़िकेट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फ़ोटो के ख़िलाफ़ केरल हाई कोर्ट में याचिका दायर करना एक शख़्स को महंगा पड़ गया। हाई कोर्ट ने उस पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया। अदालत ने इस केस को तुच्छ, राजनीति से प्रेरित और इस याचिका को प्रचार हासिल करने के उद्देश्य से दायर याचिका करार दिया।
पीटीआई के मुताबिक़, जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने कहा, “यह कोई नहीं कह सकता कि प्रधानमंत्री कांग्रेस के प्रधानमंत्री हैं या बीजेपी के या फिर किसी और राजनीतिक दल के। जब एक बार संविधान के मुताबिक़ प्रधानमंत्री चुन लिए जाते हैं तो वह पूरे देश के प्रधानमंत्री होते हैं और यह पद देश के हर नागरिक के लिए गर्व का विषय होना चाहिए।”
जज ने कहा कि लोगों को प्रधानमंत्री के फ़ोटो वाले सर्टिफ़िकेट को अपने पास रखने में शर्मिंदा होने की ज़रूरत नहीं है।
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता छह हफ़्ते के भीतर 1 लाख रुपये जमा करें ऐसा न करने पर उनकी संपत्तियों को बेचकर इसकी भरपाई की जाएगी। अदालत ने इस याचिका को ग़ैर जरूरी याचिका भी करार दिया।
यह याचिका आरटीआई कार्यकर्ता पीटर मायलीपरम्पिल ने दायर की थी। पीटर का कहना था कि निजी अस्पतालों में जब लोग पैसे देकर वैक्सीन लगवा रहे हैं तो उसके सर्टिफ़िकेट पर प्रधानमंत्री का फ़ोटो होना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
पहले भी हुआ था विवाद
वैक्सीन के सर्टिफ़िकेट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोटो होने को लेकर पहले भी विवाद हुआ था। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने इसे लेकर सवाल उठाया था तो पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव के दौरान टीएमसी ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि सर्टिफ़िकेट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फ़ोटो होना मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश है और साथ ही यह आचार संहिता का भी उल्लंघन है। इसके बाद आयोग ने चुनावी राज्यों में सर्टिफ़िकेट से फ़ोटो हटाने का आदेश दिया था।