पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के खिलाफ देशभर में चल रहे क्रैकडाउन के तहत दिल्ली में भी गिरफ्तारियां हुईं। हालांकि दिल्ली में हो रही गिरफ्तारियां अलग तरह की हैं। दिल्ली में मंगलवार 27 सितंबर को करीब 30 लोगों को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने गिरफ्तार किया है। लेकिन इनमें अधिकांश गिरफ्तार लोगों ने सीएए विरोधी आंदोलनों में हिस्सा लिया था। दिल्ली के ओखला इलाके में जामिया मिल्लिया इस्लामिया और शाहीन बाग इलाके में दो महीने के लिए धारा 144 लगा दी गई है। ओखला की कुछ गलियों में तो ऐसा लग रहा है जैसे कर्फ्यू लग गया हो। दिल्ली पुलिस ने जामिया के स्टूडेंट्स और टीचरों को चेतावनी दी है कि वे समूहों में कहीं भी जमा नहीं हों। देश के अन्य शहरों में जो गिरफ्तारियां हुई हैं, वहां कहीं भी धारा 144 लागू नहीं है।
दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने मंगलवार 27 सितंबर को शाहीन बाग की गलियों में तलाशी अभियान चलाया। इस दौरान 30 लोगों को गिरफ्तार किया गया। महिला एक्टिविस्ट शाहीन कौसर को भी यहां से पुलिस ने हिरासत में लिया है। शाहीन कौसर सीएए विरोधी शाहीनबाग आंदोलन का जाना-पहचाना चेहरा थीं। लेकिन पुलिस का कहना है कि शाहीन पीएफआई की राजनीतिक शाखा एसडीपीआई से जुड़ी हुई थीं। हालांकि शाहीन कौर ओखला में गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए स्कूल चलाती हैं।
इसी तरह जाकिर हुसैन के अंडरग्रैजुएट छात्र शोएब अहमद को जाकिर नगर से गिरफ्तार किया गया। शोएब के पिता वकार अहमद प्रॉपर्टी डीलर हैं, उनका मोबाइल भी पुलिस ले गई। शोएब की मां मुमताज का कहना है कि शोएब और उसके पिता वकार का पीएफआई से कोई लेना-देना नहीं है।
बहरहाल, दिल्ली में मंगलवार को जिन 30 लोगों को पीएफआई से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, उनमें से अधिकांश सीएए विरोधी आंदोलन में शामिल रहे हैं।
पीएफआई को लेकर दिल्ली पुलिस ने पहली बार ओखला और शाहीन बाग पर फोकस किया है। दिल्ली पुलिस को आशंका है कि मंगलवार को हुई गिरफ्तारियों का विरोध हो सकता है, इसलिए धारा 144 लागू कर दी गई, ताकि जामिया के छात्र सड़कों पर न उतर सकें। वैसे भी उसने अधिकृत रूप से जामिया के छात्रों और टीचरों को समूहों में जमा न होने की चेतावनी दी है। मालूम हो कि सीएए विरोधी आंदोलन के दौरान गिरफ्तार कई छात्र नेता और राजनीतिक कार्यकर्ता अभी भी जेलों में हैं। उनकी किसी कोर्ट से जमानत नहीं हुई है। इन राजनीतिक बंदियों में सबसे प्रमुख चेहरा जेएनयू के छात्र नेता रहे उमर खालिद और शारजील इमाम हैं जो पिछले दो वर्षों से ज्यादा समय से जेल में बंद हैं।
हालांकि जामिया और ओखला में जब भी आंदोलन हुए हैं या शाहीनबाग आंदोलन के दौरान पीएफआई की उपस्थिति मीडिया द्वारा देखी नहीं गई लेकिन अब जिस तरह से कार्रवाई हो रही है कि उससे लगता है कि पूरा सीएए विरोधी आंदोलन पीएफआई ही चला रहा था। लेकिन तथ्य मौजूद है कि शाहीनबाग आंदोलन को जामिया टीचर्स एसोसिएशन ने शक्ल दी थी।
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चेयरमैन जफरुल इस्लाम खान ने धारा 144 लगाए जाने को अलोकतांत्रिक बताया है। उनका कहना है कि पीएफआई की आड़ में हो रही गिरफ्तारियों की वजह से जामिया के छात्र आंदोलन कर सकते थे, इसलिए ये गिरफ्तारियां की गई हैं। जबकि जिन्हें पकड़ा गया है, उनका ऐसे किसी भी संगठन से संबंध नहीं है। धारा 144 लगाना लोगों की व्यक्तिगत आजादी छीनना भी है।
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने निजामुद्दीन और शाहीन बाग समेत कई जगहों पर छापेमारी की। अब तक हमने पीएफआई से जुड़े 30 लोगों को हिरासत में लिया है।
छापे से पहले शहर में कई जगहों पर अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है। पुलिस अधिकारी ने कहा, हमने एहतियाती कदम उठाए हैं। हमने कानून व्यवस्था को मजबूत करने और इलाके में शांति बनाए रखने के लिए जिलों के संबंधित क्षेत्रों में अर्धसैनिक बलों को तैनात किया है।
पूरे देश में 250 गिरफ्तार
विभिन्न राज्यों में पीएफआई कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के लिए करीब 44 स्थानों पर छापे मारे गए और देशभर में 250 लोग दूसरे राउंड में गिरफ्तार किए गए। 22 सितंबर को करीब 200 लोग गिरफ्तार किए गए थे। दिल्ली की तरह यूपी में भी गिरफ्तारियां अलग तरह की हैं। पिछले राउंड में कुछ मौलाओं को पुलिस ने पीएफआई से संपर्क के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसी तरह दूसरे राउंड में बुलंदशहर से भी मौलाना गिरफ्तार किए गए हैं। इसी तरह गाजियाबाद जिले से भी 6 गिरफ्तारियां की गई हैं।