सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर में विधानसभा के लिए किए गए परिसीमन को वैधता प्रदान कर दी। जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को समाप्त किए जाने के बाद राज्य में विधानसभा सीटों की संख्या को 83 से बढ़कर 90 कर दिया गया था।
जस्टिस संजय किशन कौल और एएस ओका की बैंच ने श्रीनगर के निवासी हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टू की याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिन्होंने परिसीमन आयोग के गठन की वैधता और उसके बाद की प्रक्रिया को चुनौती दी थी।
फैसले को पढ़ते हुए जस्टिसओका ने स्पष्ट किया कि कोर्ट के इस फैसले का अनुच्छेद 370 से संबंधित लंबित मामलों और इसके परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
यह फैसला हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टू की याचिका पर आया, जिन्होंने तर्क दिया कि जम्मू-कश्मीर के परिसीमन 2026 तक इंतजार करना चाहिए था। 2021 की जनगणना के आधार पर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के लिए 2026 में परिसीमन किया जाना है।
अधिवक्ता श्रीराम पी के माध्यम से दायर अपनी याचिका में 2020, 2021 और 2022 में जारी अधिसूचनाओं के संदर्भ में किए गए परिसीमन की वैधता पर सवाल उठाया। याचिकाकर्ता ने इस संबंद में तर्क दिया कि परिसीमन के लिए केवल भारत निर्वाचन आयोग ही इसके लिए अधिकृत है।
5 मई, 2022 को, तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश के नए चुनावी मानचित्र को अंतिम रूप दिया, जो अगस्त 2019 में विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद से इस क्षेत्र में चुनावों के लिए पहला कदम था।
अपने अंतिम आदेश में, आयोग ने हिंदू बहुल जम्मू क्षेत्र के लिए 43 सीटें और मुस्लिम बहुल कश्मीर के लिए 47 सीटें निर्धारित कीं थी। केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा के लिए कुल 90 सीटें निर्धारित हैं, जोकि पहले 83 थीं।
नई बनाई गई सात सीटों में से छह जम्मू और एक कश्मीर को आवंटित को गई थी। इससे पहले जम्मू में 37 और कश्मीर में 46 सीटें थीं। इससे कश्मीर का प्रतिनिधित्व कुल सीटों के 55.4% से घटकर 52.2% और जम्मू का प्रतिनिधित्व 44.6% से बढ़कर 47.8% हो गया है। यह परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर किया गया था, जिसमें जम्मू-कश्मीर की आबादी 12.5 मिलियन थी, जिसमें कश्मीर में 56.2% और जम्मू में 43.8% थी।
परिसीमन आयोग, जिसमें सुप्रीम कोर्ट की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई, मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी केके शर्मा शामिल थे। इस आयोग का गठन मार्च 2020 में किया गया था, जिसमें जम्मू-कश्मीर के पांच सांसद सहयोगी सदस्य के तौर पर शामिल किये गये थे।
यहां के राजनीतिक दलों का का कहना है परिसीमन और चुनाव से पहले राज्य का दर्जा बहाल किया जाए। केंद्र सरकार ने इस मांग को खारिज कर दिया है। जम्मू-कश्मीर राज्य में विधानसभा सीटों को आखिरी बार 1981 की जनगणना के आधार पर 1995 में गठित किया गया था। जम्मू-कश्मीर में आखिरी विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था।