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अग्निपथ योजना के खिलाफ याचिका मंजूर, सुप्रीम कोर्ट में अगले हफ्ते सुनवाई

अग्निपथ योजना के खिलाफ याचिका मंजूर, सुप्रीम कोर्ट में अगले हफ्ते सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में अग्निपथ योजना को युवकों ने चुनौती दी है। अदालत ने उनकी याचिका को स्वीकार कर लिया और अगल हफ्ते सुनवाई के लिए लिस्ट करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की अग्निपथ स्कीम के खिलाफ याचिका मंजूर कर ली है। इस अगले हफ्ते के लिए लिस्ट किया गया है यानी अगले हफ्ते सुनवाई होगी। सरकार आर्मी, एयरफोर्स और नेवी में चार साल के लिए अग्निवीरों की भर्ती करने के लिए यह स्कीम लाई है। लेकिन इस स्कीम की तारीफ से ज्यादा आलोचना हो रही है। तारीफ करने वालों में सिर्फ बीजेपी के नेता, उनके राज्यों के सीएम, मंत्री और नेता आदि शामिल हैं। 

एडवोकेट कुमुद लता दास ने जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके महेश्वर की वेकेशन बेंच के सामने वायु सेना में जॉब के लिए कोशिश करने वाले युवकों की से दायर याचिका का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना के लागू होने से उम्मीदवारों का कार्यकाल 20 साल से घटाकर 4 साल कर दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से इसकी सुनवाई के लिए कई बार तारीख मांगी गई लेकिन तारीख नहीं दी गई। इस पर बेंच ने अगले हफ्ते के लिए लिस्ट करने को कहा।

केंद्र सरकार ने 14 जून को आर्म्ड फोर्सेस में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना का एलान किया था। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ आर्मी, नेवी और एयरफोर्स तीनों सेनाओं के प्रमुख भी मौजूद थे। लेकिन हर किसी अग्निपथ की तारीफ में जुटा रहा। लेकिन शीघ्र ही इसका विरोध शुरू हो गया और यूपी, बिहार में हिंसक आंदोलन शुरू हो गए। कई ट्रेनों को फूंक दिया गया। लेकिन सरकार ने कहा कि वो हर कीमत पर इस स्कीम को लागू करेगी।

इस योजना के तहत 17.5 साल से 23 साल के 45000 से 50000 युवाओं को 4 साल के लिए सेना में भर्ती किया जाएगा। केंद्र सरकार ने बताया कि अगले 90 दिनों के भीतर भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी और जुलाई 2023 तक पहला बैच तैयार हो जाएगा। इस योजना के तहत जिन युवाओं का चयन सेनाओं में होगा उन्हें अग्निवीर के नाम से जाना जाएगा और इसमें चयन ऑनलाइन केंद्रीय सिस्टम के जरिए होगा।

क्या है योजना में खास?

अग्निपथ योजना के तहत चयन होने के बाद युवाओं को 6 महीने की ट्रेनिंग दी जाएगी और फिर उन्हें 3.5 साल के लिए अलग-अलग जगहों पर तैनात किया जाएगा। इस दौरान उनकी तनख्वाह 30000 से शुरू होगी और यह 40000 रुपए तक जाएगी। 

इस दौरान उनकी तनख्वाह का 30 फीसद पैसा सेवा निधि प्रोग्राम के तहत रखा जाएगा और सरकार भी इतनी ही राशि का योगदान हर महीने करेगी। इसके अलावा उन्हें भत्ते भी दिए जाएंगे। उन्हें मेडिकल और इंश्योरेंस सेवाओं का भी फायदा मिलेगा। 4 साल की नौकरी पूरी होने के बाद हर जवान के पास ब्याज मिलाकर एक 11.71 लाख रुपए की धनराशि होगी और यह पूरी तरह कर मुक्त होगी। इसके अलावा 48 लाख रुपए का लाइफ इंश्योरेंस कवर भी अग्निपथ योजना के तहत शामिल होने वाले जवानों को 4 साल तक की अवधि के दौरान मिलेगा। 

4 साल के बाद केवल 25 फीसद जवान ही आर्म्ड फोर्सेस में वापस आ सकेंगे और वे 15 साल तक सेना में फिर से सेवा करेंगे। जबकि बाकी लोग सेवाओं से बाहर हो जाएंगे। उन्हें किसी तरह की पेंशन की सुविधा का फायदा भी नहीं मिलेगा। अग्निवीरों की शैक्षणिक योग्यता के लिए वही क्राइटेरिया होगा जो सेना में भर्ती होने के लिए होता है। यानी उन्हें 10 वीं पास होना जरूरी होगा।

क्यों हो रही आलोचना?

इस योजना के आलोचकों का कहना है कि 4 साल नौकरी करने के बाद जब युवक और युवतियां आर्म्ड फोर्सेस से बाहर निकलेंगे तो वह क्या करेंगे, इस बारे में सरकार ने कुछ नहीं कहा है। आलोचकों का कहना है कि 6 महीने की ट्रेनिंग बेहद कम है और आर्म्ड फोर्सेस में ट्रेनिंग के लिए काफी ज्यादा वक्त चाहिए। 

सरकार को क्या फ़ायदा?

बीते कई सालों से पेंशन में दिए जाने वाला पैसा सरकारों के लिए बड़ी चिंता का विषय रहा है। सरकार को इस योजना से एक बड़ा फायदा यह भी है कि पूर्व सैनिकों को दी जाने वाली पेंशन का पैसा भी वह बचा सकेगी। इस योजना के सफल होने पर वार्षिक राजस्व और पेंशन बिल में कटौती होगी और यह कटौती हर साल के रक्षा बजट यानी कि 5.2 लाख करोड़ का आधा होगी।

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