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केरल: चुनाव के दौरान कांग्रेस को झटका, पीसी चाको ने दिया इस्तीफ़ा

केरल: चुनाव के दौरान कांग्रेस को झटका, पीसी चाको ने दिया इस्तीफ़ा

G23 गुट के नेताओं की बग़ावत से जूझ रही कांग्रेस को केरल के विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ा झटका लगा है। पार्टी के बड़े नेता और दिल्ली के प्रभारी रहे पीसी चाको ने इस्तीफ़ा दे दिया है। 

G23 गुट के नेताओं की बग़ावत से जूझ रही कांग्रेस को केरल के विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ा झटका लगा है। पार्टी के बड़े नेता और दिल्ली के प्रभारी रहे पीसी चाको ने इस्तीफ़ा दे दिया है। इससे कांग्रेस की चुनावी तैयारियों पर असर पड़ सकता है।

चाको ने इस्तीफ़े के पत्र में लिखा है कि उन्होंने पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की लेकिन केरल कांग्रेस की टीम के साथ काम कर पाना बेहद मुश्किल है। चाको ने लिखा है कि वह पार्टी के हर फ़ैसले के साथ खड़े रहे लेकिन अब ऐसा करना बेहद मुश्किल हो गया है। चाको ने लिखा है कि लोग चाहते हैं कि कांग्रेस वापस लौटे लेकिन पार्टी के शीर्ष नेता गुटबाज़ी में शामिल हैं।  

एलडीएफ़ करेगा वापसी?

140 विधानसभा सीटों वाले केरल में इस बार फिर से वाम दलों के गठबंधन लेफ़्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ़) की सरकार बन सकती है, ऐसा टाइम्स नाउ-सी वोटर का सर्वे बता रहा है। सर्वे के मुताबिक़, एलडीएफ़ को 82, कांग्रेस की अगुवाई वाले लेफ़्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ़) को 56 सीटें मिल सकती हैं जबकि पूरा जोर लगाने के बाद भी बीजेपी को सिर्फ़ 1 सीट मिलने की बात कही गई है। 

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद हैं और उन्होंने केरल में अपने गठबंधन की जीत के लिए जोर लगाया हुआ है। लेकिन उन्हें सफलता मिलती नहीं दिख रही है जबकि एलडीएफ़ एक बार फिर वापसी करता दिख रहा है। 

46 फ़ीसदी अल्पसंख्यक 

सर्वे कहता है कि एलडीएफ़ को 78-86, यूडीएफ़ को 52-60, बीजेपी को 0-2 और अन्य को भी 0-2 सीट मिल सकती हैं। केरल में 6 अप्रैल को एक चरण में वोटिंग होगी जबकि 2 मई को चुनाव के नतीजे आएंगे। केरल में अल्पसंख्यकों की आबादी 46 फ़ीसदी है। इसमें 27 फ़ीसदी मुसलमान और 19 फ़ीसदी ईसाई हैं। 

शीला के साथ हुआ था विवाद

चाको जब दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी थे तो संगठन से जुड़े मुद्दों को लेकर उनका लंबे वक़्त पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के साथ विवाद रहा था। शीला दीक्षित ने लोकसभा चुनाव 2019 के बाद दिल्ली की सभी जिला और ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों को भंग कर दिया था लेकिन चाको ने शीला के फ़ैसले पर रोक लगा दी थी और पुरानी कमेटियों को बहाल रखा था। इसके बाद शीला और चाको के बीच सियासी लड़ाई बढ़ गई थी। 

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