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राज्यपाल आरिफ के केरल यूनिवर्सिटी में 4 मनोनयन को कोर्ट ने रद्द किया

राज्यपाल आरिफ के केरल यूनिवर्सिटी में 4 मनोनयन को कोर्ट ने रद्द किया

केरल हाईकोर्ट ने डेढ़ महीने में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से यूनिवर्सिटी सीनेट में नियुक्त किए जाने वाले लोगों की नई सूची मांगी है। अदालत ने केरल के गवर्नर की उस दलील को भी खारिज कर दिया कि बतौर कुलाधिपति उन्हें ऐसी नियुक्तियों का अधिकार हासिल है। जानिए पूरा मामलाः

केरल हाईकोर्ट ने केरल यूनिवर्सिटी सीनेट में चार सदस्यों के मनोनयन को रद्द कर दिया। इनकी नियुक्ति राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने की थी। दरअसल, यूनिवर्सिटी ने जो सूची भेजी थी, राज्यपाल ने उन नामों को हटाते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से संबद्ध उम्मीदवारों को शामिल किया था। एबीवीपी आरएसएस और भाजपा से जुड़ा एक छात्र संगठन है। 

अदालत ने राज्यपाल के इस तर्क को खारिज कर दिया कि कुलाधिपति के रूप में, सीनेट में नियुक्तियाँ करना उनका विशेषाधिकार था। कोर्ट ने कहा- “यह सामान्य बात है कि वैधानिक प्रावधानों के संदर्भ में मनोनय करते समय चांसलर को कोई बेलगाम पावर नहीं मिली हुई है। पावर का कोई भी मनमाना इस्तेमाल न केवल भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 में निहित 'समानता' के नियम का उल्लंघन करता है, बल्कि अनुच्छेद 16 में अंतर्निहित 'भेदभाव' के नियम का भी उल्लंघन करता है।''

हाईकोर्ट ने केरल विश्वविद्यालय अधिनियम, 1974 की धारा 17 के तहत 'अन्य सदस्यों' की श्रेणी में चार छात्रों द्वारा दायर दो याचिकाओं पर विचार करते हुए यह फैसला सुनाया। स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) से संबद्ध छात्रों को राज्यपाल ने सूची से हटा दिया था। छात्रों ने आरोप लगाया कि आरिफ मोहम्मद खान ने नामांकन के लिए सामान्य प्रक्रिया का पालन नहीं किया और उनकी तुलना में बिना योग्यता वाले व्यक्तियों का चयन किया।

केरल यूनिवर्सिटी अधिनियम की धारा 17 में कहा गया है कि कुलाधिपति के पास चार छात्रों के मनोनयन का अधिकार है, जो मानविकी, विज्ञान, खेल और ललित कला के क्षेत्र में अपनी असाधारण शैक्षणिक क्षमताओं की वजह से जाने जाते हों। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने जिन चार छात्रों को मनोनीत किया। वे थे- मालविका उदयन (ललित कला), सुधि सदन (खेल), ध्रुविन एसएल (विज्ञान), और अभिषेक डी नायर (मानविकी)। ये सभी छात्र एबीवीपी के सदस्य हैं।

जस्टिस सीपी मुहम्मद नियास की अध्यक्षता वाली एकल पीठ ने चार नामांकित व्यक्तियों का नामांकन रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया। अदालत ने राज्यपाल को छह सप्ताह के भीतर नई सूची सौंपने को कहा।

एसएफआई केरल के राज्य सचिव पीएम अर्शो ने बताया कि “हम अदालत के आदेश का स्वागत कर रहे हैं; यह राज्यपाल के लिए न केवल कानूनी बल्कि राजनीतिक झटका भी है। उन्होंने अपने संवैधानिक पद का राजनीतिक इस्तेमाल किया और केरल के परिसरों में आरएसएस के एजेंडे को लागू करने की कोशिश की।”

कांग्रेस का मोदी सरकार पर यह आरोप है कि उसने राज्यपालों के जरिए तमाम यूनिवर्सिटीज में आरएसएस से जुड़े लोगों की भर्ती कर दी है। हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि कई यूनिवर्सिटीज में कुलपति अपनी काबिलियत के दम पर नहीं बल्कि आरएसएस से संबंधों के कारण बैठे हुए हैं। हाल ही में जाने-माने चिंतक और शिक्षक अपूर्वानंद ने इस मुद्दे पर एक लेख भी लिखा था, जिसे आप सत्य हिन्दी पर पढ़ सकते हैं।

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