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सैनिकों की वापसी के बाद एलएसी पर देपसांग, डेमचोक में गश्त फिर से शुरू

सैनिकों की वापसी के बाद एलएसी पर देपसांग, डेमचोक में गश्त फिर से शुरू

लद्दाख के देपसांग और डेमचोक में आख़िर साढ़े चार साल से गश्त क्यों नहीं हो रही थी? जानिए, गश्त से पहले वहाँ सैनिकों की तैनाती को लेकर लेकर क्या फ़ैसला लिया गया।

एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय और चीनी सेनाओं ने गुरुवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा एलएसी पर लद्दाख के डेमचोक और देपसांग में गश्त फिर से शुरू कर दी। दोनों देशों के सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पहले ही पूरी हो गई है। गुरुवार को दोनों देशों के सैनिकों ने मिठाइयों का आदान-प्रदान कर एक-दूसरे को बधाई दी।

यह क्षेत्र में तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इसके बाद बीजिंग और नई दिल्ली के बीच साढ़े चार साल से अधिक समय से चल रहे गतिरोध को समाप्त करने के लिए एक समझौते को औपचारिक रूप दिया गया। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार गुरुवार को दोनों देशों के सैनिकों ने गश्त शुरू कर दी। इससे पहले बुधवार को एक रिपोर्ट आई थी कि भारत और चीन ने दोनों जगहों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है।

गश्ती अभियान अब समन्वित किए जा रहे हैं। इसमें स्थिति के अनुसार सैनिकों की संख्या और दूरी में भिन्नता है। दोनों पक्षों द्वारा अस्थायी संरचनाओं को हटाने और सैनिकों की वापसी सुनिश्चित करने के साथ ही, डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया का सत्यापन किया जा रहा है।

स्थिरता बनाए रखने के लिए स्थानीय कमांडरों के स्तर पर बातचीत जारी रहेगी, जिसमें ब्रिगेडियर और समान रैंक के अधिकारी शामिल होंगे। इन बातचीतों का मक़सद गश्ती प्रोटोकॉल को और बेहतर करना और किसी भी बाक़ी मुद्दे को निपटना है। सीमा पर किसी भी गलतफहमी को रोकने के लिए दोनों पक्षों के ग्राउंड कमांडर सुरक्षित गश्त के तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

भारत और चीन के स्थानीय सैन्य कमांडरों ने 30 अक्टूबर को वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी पर देपसांग और डेमचोक में बैठक की थी ताकि चल रहे सैनिकों की वापसी के प्रयासों को अंतिम रूप दिया जा सके। 

सैनिकों की वापसी को लेकर मंगलवार को देपसांग पर हवाई सत्यापन पूरा किया गया। यह पुष्टि करने के लिए कि अस्थायी प्रतिष्ठानों को हटा दिया गया है और सैनिकों ने योजना के अनुसार वापसी की है, मानव रहित हवाई वाहनों यानी यूएवी को तैनात किया गया।

डेमचोक में ख़राब मौसम की स्थिति ने इसी तरह के सत्यापन प्रयास पर ब्रेक लगा दिया था, लेकिन अधिकारियों को उम्मीद है कि यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। मंगलवार शाम तक क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति देखी गई, जिसमें डेपसांग और डेमचोक दोनों से टेंट, अस्थायी संरचनाएं और वाहन पूरी तरह से हटा दिए गए। एक साथ डिसइंगेजमेंट और सत्यापन प्रक्रियाएं सावधानीपूर्वक की गईं। यह एलएसी पर शांति और स्थिरता बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 

बता दें कि भारत ने 21 अक्टूबर को घोषणा की थी कि उसने एलएसी पर गश्त करने के लिए चीन के साथ एक समझौता किया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने यह घोषणा की थी। यह घटनाक्रम तब हुआ जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 22-23 अक्टूबर को 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस की यात्रा करने वाले थे। मिस्री ने कहा था कि इससे पीछे हटने और 2020 में इन क्षेत्रों में उठे मुद्दों का समाधान करने की ओर वे आगे बढ़ रहे हैं।

विदेश सचिव ने 2020 के जिन मुद्दों का ज़िक्र किया था वह पूर्वी लद्दाख के गलवान से जुड़ा मामला है। 5 मई 2020 को चीनी सैनिकों ने भारतीय सीमा में घुसपैठ की थी। इसका नतीजा यह हुआ था कि बाद में 15 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। कई चीनी सैनिकों के मारे जाने की भी ख़बरें आई थीं। 

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