बंगाल के बर्खास्त मंत्री पार्थ चटर्जी ने रविवार को दावा किया है कि कोलकाता में उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घरों से बरामद चीजें उनकी नहीं हैं। ईडी के छापे में अर्पिता के घर से ढेर सारी नकदी और कई किलो सोना बरामद हुआ था।
प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने शिक्षकों की भर्ती में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में छापेमारी के दौरान अर्पिता मुखर्जी के दो घरों से लगभग 50 करोड़ रुपये नकद जब्त किए। चटर्जी और मुखर्जी दोनों को क़रीब हफ़्ते भर पहले गिरफ्तार किया गया था। पहले 23 घंटे की पूछताछ के बाद चटर्जी को गिरफ्तार कर लिया गया था और इसके बाद अर्पिता मुखर्जी को।
अर्पिता मुखर्जी के घर से इतनी बड़ी मात्रा में नकदी बरामद होने के बाद पार्थ चटर्जी को गुरुवार को ही कैबिनेट मंत्री के पद से हटा दिया गया है। बाद में उनकी पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया।
पार्थ चटर्जी का आज बयान तब आया जब उन्हें जांच के लिए कोलकाता के एक अस्पताल लाया गया था। पत्रकारों से घिरे हुए चटर्जी ने एक सवाल के जवाब में कि क्या कोई उनके खिलाफ साजिश कर रहा है, पूर्व मंत्री ने जवाब दिया कि उन्हें 'समय आने पर' सब कुछ पता चल जाएगा। उन्होंने यह भी कहा, 'यह मेरा पैसा नहीं है।' दो दिन पहले ही चटर्जी ने अपनी सफाई में कहा था कि उन्हें एक साज़िश में फँसाया जा रहा है।
कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि समझा जाता है कि मुखर्जी ने जांचकर्ताओं को बताया है कि तबादलों और कॉलेजों को मान्यता दिलाने में मदद करने के लिए मिली रिश्वत के वो पैसे थे।
पार्थ चटर्जी ममता बनर्जी सरकार के उद्योग और राज्य संसदीय मामलों के विभागों को संभालते थे। चटर्जी पर एसएससी की सिफारिशों पर पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से की गई नियुक्तियों में धांधली का आरोप है। जब भर्तियाँ की गई थीं तब चटर्जी शिक्षा मंत्री थे।
बीजेपी ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी भी कथित अनियमितताओं में शामिल थीं। बता दें कि शुरू में चटर्जी के बचाव में दिखने वाली और केंद्रीय एजेंसी के दुरुपयोग का आरोप लगाने वाली टीएमसी ने बाद में अपने रुख में बदलाव किया और चटर्जी को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था।
पार्थ चटर्जी तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों में थे और पश्चिम बंगाल में जब वामदलों की सरकार थी तब ममता बनर्जी के साथ मिलकर उन्होंने वामदलों की सरकार को हटाने के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। पश्चिम बंगाल की सियासत में पार्थ चटर्जी का अच्छा-खासा दबदबा रहा है। ममता बनर्जी उन्हें पार्थो दा कहकर पुकारती थीं और उन पर बहुत भरोसा करती थीं।