अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने को है, 'अक्षम डॉक्टर’ लगे हैं इलाज में: चिदंबरम 

06:20 pm Feb 10, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार और नीति निर्माताओं को निशाना साधते हुए कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने की ओर अग्रसर है और इसकी देखरेख वे कर रहे हैं जो 'अक्षम डॉक्टर' हैं। चिदंबरम ने अर्थव्यवस्था की इतनी ख़राब हालत होने के कई कारण भी बताए हैं और इसके लिए मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया है।

सरकार के तमाम दावों के बावजूद देश की आर्थिक स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। तो अब आने वाले समय में क्या होगा? क्या इसकी स्थिति में सुधार होगी? इसकी भी उम्मीद सकारात्मक नहीं दिखती क्योंकि अर्थव्यवस्था के किसी भी मोर्चे पर कोई ख़ास सुधार होता नहीं दिख रहा है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण तो यही है कि दूसरी छमाही में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि की दर 4.5 प्रतिशत दर्ज की गई। ऐसा तब है जब आरबीआई ने 2019-20 के लिए जीडीपी विकास दर 6.1 का अनुमान लगाया था। अब इसी आरबीआई ने दूसरी छमाही की रिपोर्ट आने के बाद जीडीपी विकास दर का अनुमान 6.1 प्रतिशत से कम कर 5 प्रतिशत कर दिया है। इसका मतलब साफ़ है कि स्थिति के अभी सुधरने की गुँज़ाइश नहीं है, बल्कि ख़राब ही होगी।

पिछले साल जनवरी में जब रिपोर्ट आई थी कि देश में बेरोज़गारी दर 6.1 फ़ीसदी हो गई है और यह 45 साल में सबसे ज़्यादा है तो लगा था कि इस पर सरकार नये सिरे से ध्यान देगी और स्थिति सुधरेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। दिसंबर महीने में बेरोज़गारी दर 7.6 फ़ीसदी रही है। इसका साफ़ मतलब यह है कि बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियाँ गई हैं। महँगाई काफ़ी बढ़ी है। उपभोक्ता सूचकांक दिसंबर 2019 में 7.4 फ़ीसदी तक पहुँच गया है। खाने की चीजों की क़ीमतों में 12.2 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हो गई है।

चिदंबरम भी ऐसी ही स्थिति की ओर इशारा कर कहते हैं कि मरीज की हालत बहुत ज़्यादा ख़राब है। 'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट के अनुसार, चिदंबरम ने कहा कि मोदी सरकार कहती है कि उनको पिछली सरकार से ख़राब अर्थव्यवस्था मिली थी। उन्होंने कहा, 'आप छह साल से सरकार में हैं। वे कब तक पिछली सरकार को दोष देते रहेंगे। लोग इस सरकार से सवाल पूछ रहे हैं, पिछली सरकार से नहीं... मुख्य आर्थिक सलाहकार कहते हैं कि अर्थव्यवस्था आईसीयू में है। मैं असहमत हूँ। मुझे लगता है कि मरीज को अब आईसीयू में ले जाना होगा। दुर्भाग्य से, मरीज को आईसीयू से बाहर रखा गया है और अब अक्षम डॉक्टर उसकी देखरेख कर रहे हैं।'

चिदंबरम ने इसके लिए तंज कसा कि सरकार विपक्षी दलों से परामर्श लेने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार मनमोहन सिंह से जाकर क्यों नहीं पूछती। उन्होंने कहा कि रोगी को आईसीयू से बाहर रखना ख़तरनाक है...। चिदंबरम ने रघुराम राजन, अरविंद सुब्रमण्यन, उर्जित पटेल को देश छोड़कर जाने पर पर सवाल उठाए और कहा कि आपके द्वारा नियुक्त प्रत्येक सक्षम डॉक्टर देश छोड़ चुका है।

इसलिए, आज शुद्ध परिणाम हमारे सामने है- एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जो ध्वस्त होने के क़रीब है। इसको बहुत सक्षम डॉक्टरों द्वारा देखा जाना चाहिए। पिछले कुछ वर्षों में हमने देखा है कि डॉक्टर इतने सक्षम नहीं हैं।


पी चिदंबरम, पूर्व वित्त मंत्री

अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाने वाले कोर सेक्टर की नवंबर महीने की रिपोर्ट निराश करने वाली है। सबसे अहम 8 कोर औद्योगिक क्षेत्रों में विकास दर शून्य से नीचे तो रही ही है, इसके साथ ही यह पहले से भी नीचे गई है। पिछली तिमाही में यह -5.2 प्रतिशत थी तो अब यह और गिर कर -5.8 प्रतिशत पर पहुँच गई है।

तो इसका कारण क्या है? पी चिदंबरम ने इसके लिए कई कारण गिनाए हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ग़लतियों को स्वीकार नहीं करती है।

चिदंबरम ने कहा, 'नोटबंदी ऐतिहासिक भूल थी और जीएसटी लागू करने में ज़ल्दबाज़ी के कई ख़ामियाँ रह गई थीं...।' उन्होंने कहा कि इस सरकार के साथ दूसरी सबसे बड़ी दिक़्क़त यह है कि वह हमेशा चीजों को खारिज करने के मूड में रहती है और अर्थव्यवस्था की स्थिति मानने को तैयान नहीं है, जो काफ़ी बुरी ख़राब है। चिदंबरम ने कहा कि बेरोज़गारी बढ़ रही है, ख़पत घट रही है और इससे भारत और ग़रीब बन रहा है। 

ऐसे में जब हर सेक्टर ख़राब संकेत की ओर इशारा कर रहे हैं, क्या सरकार इसको अब मानने को तैयार होगी और सुधार के क़दम उठाएगी?