दिल्ली के हर ज़िले में ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर बैंक बनाए जाएंगे ताकि राजधानी में किसी को ऑक्सीजन की कमी न हो। अपने-अपने घरों में आइसोलेशन में रहने वाले कोरोना मरीज़ भी ये ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर माँग सकते हैं और सरकार उन्हें उनके घर तक यह पहुँचा देगी।
लेकिन इसके साथ ही सवाल यह उठने लगा है कि क्या दिल्ली सरकार ऐसा कर पाएगी? इसके लिए ज़रूरी संसाधन हैं? क्या उसके पास इतने ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर हैं? घर पर राशन पहुँचाने की घोषणा की तरह ही यह भी तो नाकाम नहीं होगी?
घर पर ऑक्सीजन कंसेन्ट्रेटर
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसका एलान करते हुए कहा कि हर ज़िले में एक ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर बैंक बनाया जाएगा, जहाँ किसी समय एक साथ 200 कंसन्ट्रेटर होंगे।
उन्होंने कहा कि कई बार कोरोना रोगियों को सिर्फ इसलिए अस्पताल में दाखिल होना पड़ता है कि उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। कुछ रोगियों की ऑक्सीजन की कमी से मौत भी हो गई है, इस बैंक से यह कमी दूर की जा सकेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि होम आइसोलेशन में किसी मरीज को ज़रूरत पड़ी तो 2 घंटे में उसके घर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पहुंचाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे मरीज जो अस्पताल से ठीक हो कर घर जाते हैं और उनको ज़रूरत होती है, उन्हें भी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दिलवाया जाएगा।
अरविंद केजरीवाल ने यह भी कहा कि जिन लोगों को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर दिया जाएगा, डॉक्टर उनके संपर्क में लगातार रहेंगे। ज़रूरत ख़त्म होने के बाद ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर वापर कर देना होगा, जिसे सैनिटाइज कर दूसरे रोगी को दिया जा सकेगा।
स्थिति में सुधार
मुख्यमंत्री के मुताबिक़, दिल्ली में कोरोना के मामलों में गिरावट देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि पिछले 24 घंटों में करीब 6,500 नए मामले सामने आए हैं, जबकि एक दिन पहले 8,500 मामले सामने आए थे। इसके साथ ही संक्रमण की दर में भी कमी हुई है। मौजूदा समय में यह 12 फ़ीसदी से गिरकर 11 प्रतिशत पर पहुँच गई है।
केजरीवाल ने कहा कि शुक्रवार को दिल्ली में और 500 आईसीयू बेड बनकर और तैयार हो गए, अभी कुछ दिन पहले 500 आईसीयू बेड पहले ही तैयार हुए थे। उनके मुताबिक़, 15 दिनों में आईसीयू के 1,000 बिस्तर बन कर तैयार हो गए।
ऑक्सीजन टास्क फ़ोर्स
बता दें कि देश में ऑक्सीजन की किल्लत बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है और इससे कई लोगों की मौत होने की ख़बरे हैं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स का गठन कर दिया। टास्क फोर्स में 12 सदस्य होंगे। यह टास्क फोर्स राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में ऑक्सीजन वितरण पर तो नज़र रखेगी ही, उनकी ज़रूरतों को भी देखेगी और इसके अनुसार व्यवस्था की जाएगी। देश के अलग-अलग राज्यों के विशेषज्ञों और डॉक्टरों को टास्क फोर्स में शामिल किया गया है।
आदेश जारी करते हुए जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि यह टास्क फोर्स परामर्श और सूचना के लिए केंद्र सरकार के मानव संसाधनों का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र होगी। यह काम करने के लिए अपने तौर-तरीके और प्रक्रिया तैयार करने के लिए भी स्वतंत्र होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इसके दो दिन पहले ही केंद्र से कहा था कि देश में ऑक्सीजन आवंटन में पूरी तरह फेरबदल यानी सुधार करने की ज़रूरत है। इसने यह भी कहा था कि इस पूरी व्यवस्था के ऑडिट किए जाने और ज़िम्मेदारी तय किए जाने की ज़रूरत है। सुप्रीम कोर्ट ऑक्सीजन आवंटन पर सरकार की योजना को लेकर सुनवाई कर रहा था।
डी. वाई. चंद्रचूड़ और एमआर शाह की पीठ ने कहा था कि बेड की संख्या के आधार पर केंद्र के मौजूदा फ़ॉर्मूले को पूरी तरह से बदलने की आवश्यकता है। पूरे देश में फ़िलहाल अस्पताल बेड, आईसीयू के इस्तेमाल के हिसाब से ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है।