क्या आप इस बात पर यकीन करेंगे कि जब देश में कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से तोड़ कर रख दिया है, लगभग 12 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई, वहीं देश के सबसे धनी 100 अरबपतियों की संपत्ति में तकरीबन 13 खरब रुपए की वृद्धि हुई है?
अंतरराष्ट्रीय संस्था ऑक्सफ़ैम ने अपनी रिपोर्ट 'द इनइक्वैलिटी वायरस' में यह जानकारी दी है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस और उस वजह से हुए लॉकडाउन की वजह से जहाँ एक ओर करोड़ों लोगों का रोज़गार गया, वहीं सबसे धनी अरबपतियों की जायदाद 35 प्रतिशत बढ़ गई। इस दौरान भारत के सौ अरबपतियों की संपत्ति में 12.97 खरब रुपए का इज़ाफ़ा हुआ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना वायरस और उस वजह से हुए लॉकडाउन की वजह से जहाँ एक ओर करोड़ों लोगों का रोज़गार गया, वहीं सबसे धनी अरबपतियों की जायदाद 35 प्रतिशत बढ़ गई।
भारत के सौ अरबपतियों की संपत्ति में 12.97 खरब रुपए का इज़ाफ़ा हुआ। यह इतनी रकम है कि देश के हर नागरिक को 94,045 रुपए दिए जा सकते हैं। दूसरी ओर, अप्रैल 2020 में हर घंटे 170,000 लोगों का रोज़गार, नौकरी या काम-धंधा ख़त्म हो गया।
आपदा में अवसर?
इसे इससे समझा जा सकता है, भारत में कोरोना के दौरान चोटी के 11 अरबपतियों ने जो पैसा कमाया, उससे मनरेगा स्कीम को 10 साल तक चलाया जा सकता है या स्वास्थ्य विभाग का 10 साल का खर्च निकल सकता है।
ऑक्सफ़ैम की रिपोर्ट 'द इनइक्वैलिटी वायरस' की सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह आर्थिक असमानता और बढ़ेगी।
लॉकडाउन की सबसे ज़्यादा मार असंगठित क्षेत्र के कामगारों पर पड़ी। रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन में देश में 12.20 करोड़ लोग बेरोज़गार हुए, जिसमें 75 प्रतिशत लोग असंगठित क्षेत्र के ही थे। इसमें से 4-5 करोड़ लोग तो निर्माण कार्य में लगे थे या छोटे-मोटे कारखानों में काम करते थे।
ऑक्सफ़ैम इंटरनेशनल की रिपोर्टhttps://www.oxfam.org/en
महिलाओं पर ज़्यादा असर
इस बेरोज़गारी की ज़्यादा मार महिलाओं पर पड़ी। इंस्टीच्यूट ऑफ़ सोशल स्टडीज़ ने एक सर्वेक्षण में पाया कि महिलाओं में कुल बेरोज़गारी 15 प्रतिशत से बढ कर 18 प्रतिशत हो गई। जिन महिलाओं की नौकरी बची रही, उनमें से 83 प्रतिशत के वेतन में कटौती कर दी गई।
इतना ही नहीं, महिलाओं के स्वास्थ्य पर अधिक बुरा असर पड़ा। आंगनबाड़ी कार्यक्रम बाधित हुआ और गाँवों की ग़रीब महिलाओं को इससे मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाएं बंद कर दी गईं। ऑक्सफ़ैम की रिपोर्ट में कहा गया है,
"यह अनुमान है कि परिवार कल्याण परियोजनाओं के बंद होने से 29.50 लाख महिलाओं को अनचाहा गर्भ हुआ, 18 लाख गर्भपात हुए, जिनमें से 10 लाख गर्भपात असुरक्षित स्थितियों में हुए।"
'डिजिटल डिवाइड' बढ़ा
कोरोना वायरस की वजह से देश में 'डिजिटल डिवाइड' यानी ऑनलाइन सुविधाओं के मामले में मौजूद असमानता पहले से बढ़ी। इसका फ़ायदा उन कंपनियों को मिला, जिन्होंने अवसर को सही ढंग से भुनाया और इस हिसाब से अपने कामकाज को बदला।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके उदाहरण ऑनलाइन कोचिंग कराने वाली कंपनियाँ बाइजू और अनएकेडेमी हैं। बाइजू की अनुमानित कीमत 10.8 अरब डॉलर तो अनएकेडेमी की 1.45 अरब डॉलर है, जो कुछ समय में ही हो गई है।
लेकिन दूसरी ओर, भारत के सबसे ग़रीब 20 प्रतिशत लोगों में से सिर्फ तीन प्रतिशत के पास कंप्यूटर है और महज नौ प्रतिशत लोगों की पहुँच इंटरनेट तक है।
कोरोना की मार महिलाओं पर ज़्यादाhttps://www.oxfam.org/en
धनी-ग़रीब भेदभाव पहले से ज़्यादा
ऑक्सफ़ैम की रिपोर्ट से यह साबित होता है कि कोरोना वायरस फैलने के मामले में भी धनी-ग़रीब का भेदभाव उभर कर सामने आया। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमित लोगों की संख्या के मामले में भारत दूसरे नंबर पर है। यह भी पाया गया है कि ग़रीब और हाशिए पर खड़े लोगों के इस रोग से संक्रमित होने की आशंका ज़्यादा है। भीड़ भरे छोटे घरों में रहने वाले ग़रीबों में कोरोना ज़्यादा तेज़ी से फैला।
इसे इससे समझा जा सकता है कि सबसे ग़रीब 20 प्रतिशत लोगों में से सिर्फ़ छह प्रतिशत परिवारों के पास ऐसे टॉयलेट थे, जिन्हें दूसरों के साथ साझा नहीं करना पड़ता है, जबकि सबसे संपन्न 20 प्रतिशत परिवारों में से 93 प्रतिशत के पास अपना अलग टॉयलेट है।
अनुसूचित जाति-जनजाति पर कोरोना का असर सबसे ज़्यादा देखा गया। ऑक्सफ़ैम रिपोर्ट के अनुसार, 37.2 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 25.9 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के पास अपना अलग टॉयलेट नहीं है।
ऑक्सफ़ैम इंडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ बेहार ने कहा, "हालांकि कोरोना वायरस के बारे में शुरू में कहा गया था कि यह सबके लिये समान है, लेकिन लॉकडाउन लगाए जाने के बाद धीन और ग़रीब के बीच का अंतर इसमें ज़्यादा साफ दिखने लगा।"
ऑक्सफ़ैम इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक की गैब्रिएला बूचर ने रिपोर्ट में कहा,
“
"धनी और ग़रीबों के बीच का विभाजन उतना ही ख़तरनाक है जितना ख़तरनाक वायरस है।"
गैब्रिएला बूचर, कार्यकारी निदेशक, ऑक्सफ़ैम इंटरनेशनल
मुकेश अंबानी ने हर घंटे कमाए 90 करोड़
लॉकडाउन के दौरान उद्योगपति मुकेश अंबानी की आमदनी बेतहाशा हुई। लॉकडाउन के पहले छह महीने में मुकेश अंबानी को हर घंटे 90 करोड़ रुपए की कमाई हुई। यह जानकारी हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2020 में सामने आई। इस रिपोर्ट के अनुसार, लगातार 9वें साल मुकेश अंबानी देश के अमीरों में सबसे अव्वल आए हैं।
हुरुन इंडिया और आईआईएफएल वेल्थ मैनेजमेंट लिमिटेड की इस सूची में 1,000 करोड़ रुपए या उससे अधिक की संपत्ति वाले भारत के सबसे धनी लोग शामिल होते हैं। इसमें 828 भारतीय शामिल हैं। यह सूची 31 अगस्त 2020 तक की है।
हुरुन इंडिया रिच लिस्ट 2020 में मुकेश अंबानी तो पहले स्थान पर थे ही, इनके अलावा हिंदुजा ब्रदर्स दूसरे स्थान पर थे। उनकी नेटवर्थ 1,43,700 करोड़ रुपये है। तीसरे स्थान पर एचसीएल कंपनी की शिव नाडर हैं, जिनकी आमदनी 1,41,700 करोड़ रुपये है। चौथे स्थान पर अडानी समूह की गौतम अडानी का परिवार है। अडानी की आमदनी 1,40,200 करोड़ रुपये बताई गई है।
रिलायंस समूह के प्रमुख मुकेश अंबानी
करोड़ों हुए बेरोज़गार
विप्रो के अजीम प्रेमजी की आय 1,14,400 करोड़ रुपये थी और इस सूची में वह पाँचवें स्थान पर थे। इसके अलावा सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के साइरस एस पूनावाला, एवेन्यू सुपरमार्ट्स की राधाकिशन दमानी एंड फैमिली, कोटक महिंद्रा के उदय कोटक, सन फ़ार्मा के दिलीप संघवी, शापूरजी पल्लनजी ग्रुप के साइरस मिस्त्री क्रमश: छठे, सातवें, आठवें, नौवें और 10वें स्थान पर हैं।
दूसरी ओर, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी सीएमआईई की रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के दौरान अप्रैल से जुलाई तक 1 करोड़ 89 लाख वेतन भोगी लोगों की नौकरियाँ चली गई थीं। इन वेतनभोगियों में वे शामिल नहीं हैं जो ग़ैर वेतनभोगी हैं यानी दिहाड़ी पर काम करते हैं।
कोरोना और लॉकडाउन का क्या असर हुआ, देखें वरिष्ठ पत्रकार आशुतोश की यह रिपोर्ट।