कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने गुरुवार को संसद भवन से विजय चौक तक मोदी सरकार के विरोध में 'तिरंगा मार्च' निकाला। विपक्षी दलों ने आज शाम लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला के चायपान बैठक (टी मीट) का बहिष्कार कर दिया है। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा "लोकतंत्र पर लगातार हमला कर रही है। कांग्रेस के अलावा डीएमके, समाजवादी पार्टी, आरजेडी और एनसीपी, वाम दलों जैसे समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के सांसद इस तिरंगा मार्च में शामिल थे।
लोकसभा का बजट सत्र गुरुवार को अध्यक्ष ओम बिरला के साथ समाप्त हो गया, जिसमें घोषणा की गई कि सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है। विपक्षी सांसदों ने गुरुवार को भी अपना विरोध जारी रखा। इसके बाद सदन को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।
विपक्ष और सत्ता पक्ष के विरोध के कारण 13 मार्च को बजट सत्र शुरू होने के बाद से ही लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही बाधित होना शुरू हो गई थी। जहां विपक्ष ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले की संयुक्त संसदीय समिति की जांच की मांग की, वहीं भाजपा कांग्रेस नेता राहुल गांधी से उनके लंदन में की गई टिप्पणी के लिए माफी मांगने की मांग जारी रखे हुए है।
खड़गे की प्रेस कॉन्फ्रें
ससंसद से विजय चौक तक 'तिरंगा मार्च' निकालने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार पर निशाना साधा। खड़गे ने कहा - 12 मिनट में बिना चर्चा के 50 लाख करोड़ रुपये का बजट पास हो गया। खड़गे ने कहा कि अडानी की वज़ह से सत्तारुढ़ दल ने संसद का बजट सत्र नहीं चलने दिया। मोदी सरकार अडानी को बचाने में जुटी है। यही आरोप अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने भी लगाया।उन्होंने कहा- हम अडानी मामले में जेपीसी जांच की मांग कर रहे हैं। पैनल में उन्हीं के लोग होंगे, फिर सरकार डर क्यों रही है। खड़गे ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार पर संसद की बर्बादी के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगाते हुए कहा, मोदी सरकार लोकतंत्र की बात बहुत करती है, लेकिन बात पर अमल नहीं करती"
इस तरह बजट सत्र का लगभग एक महीना नारेबाजी में बीत गया। विपक्ष ने अडानी से हंगामे की शुरुआत की थी और आज अंतिम दिन भी अडानी मामले में जांच की मांग गूंजती रही। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि अडानी मुद्दे की वजह से मोदी सरकार ने संसद नहीं चलने दी।