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विपक्षी झटकाः ममता बनर्जी अचानक राहुल के खिलाफ क्यों

विपक्षी झटकाः ममता बनर्जी अचानक राहुल के खिलाफ क्यों

विपक्षी एकता को झटके लगना शुरू हो गए हैं। टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उधर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी कहा है कि सपा इस बार अमेठी और रायबरेली से लड़ेगी। दोनों गांधी परिवार की परंपरागत सीटें हैं। दोनों के बयान और घटनाक्रम विपक्षी एकता को लेकर कुछ और इशारा कर रहे हैं। 

विपक्षी एकता की कोशिशों को पिछले दो दिनों में बड़े झटके लगे हैं। यह झटके आगे चलकर नई मुश्किलें खड़ी करेंगे। टीएमसी चीफ ममता बनर्जी ने अचानक कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दूसरी तरफ सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने साफ कह दिया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी अमेठी और रायबरेली से अपने प्रत्याशी खड़े करेगी। अमेठी और रायबरेली गांधी परिवार की परंपरागत सीट है और सपा हमेशा से उनके सम्मान में यहां से प्रत्याशी नहीं खड़े करती रही है। 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी के घर पुलिस भेजे जाने पर अभी तमाम विपक्षी दलों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। जबकि राजनीतिक रूप से यह छोटी घटना नहीं है।

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पार्टी की एक आंतरिक बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर बहुत कठोर शब्दों में हमला किया है। यह जानकारी सूत्रों ने एनडीटीवी को दी है।

सूत्रों के मुताबिक ममता ने उस बैठक में कहा - अगर राहुल गांधी विपक्ष का चेहरा हैं, तो कोई भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना नहीं बना पाएगा। राहुल गांधी पीएम मोदी की "सबसे बड़ी टीआरपी" हैं।

ममता ने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया है- 

बीजेपी संसद को इसलिए नहीं चलने दे रही है क्योंकि वे चाहते हैं कि राहुल गांधी नेता बनें... बीजेपी राहुल गांधी को नायक बनाने की इच्छुक है।


-ममता बनर्जी, टीएमसी प्रमुख, 19 मार्च 2023, सोर्सः एनडीटीवी

एनडीटीवी के मुताबिक ममता ने मुर्शिदाबाद में कल रविवार को कोलकाता से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संबोधन में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा- यह कांग्रेस है जो बीजेपी के सामने झुकती है। कांग्रेस, सीपीएम और बीजेपी अल्पसंख्यकों को तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के खिलाफ भड़का रही हैं। बता दें कि हाल ही में हुए उपचुनाव में टीएमसी अल्पसंख्यक बहुल सीट हार गई है। यह सीट कांग्रेस ने जीती है। जबकि अल्पसंख्यक टीएमसी का सबसे बड़ा वोट बेस हैं।

बहरहाल, राहुल पर टीएमसी का रवैया बदल रहा है। ममता बनर्जी से पहले टीएमसी सांसद और लोकसभा में पार्टी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा था कि राहुल गांधी के विपक्ष का चेहरा होने से बीजेपी को फायदा होता है।

पिछले कई वर्षों से ममता कांग्रेस के साथ टकराव के रास्ते पर हैं। कांग्रेस इस बात से परेशान है कि टीएमसी बंगाल और पूर्वोत्तर में उसके वोटों में सेंध लगा रही है, जहां पार्टी ने हाल के विधानसभा चुनावों में चुनाव लड़ा, लेकिन कोई भी सीट जीतने में नाकाम रही।

चुनाव से पहले, राहुल गांधी ने भी बंगाल में राजनीतिक हिंसा और शारदा घोटाले का हवाला देते हुए टीएमसी पर हमला किया था। इन्हीं दो मुद्दों पर बीजेपी भी नियमित रूप से टीएमसी को निशाना बनाती रही है। बंगाल में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी टीएमसी के सबसे कड़े आलोचक हैं। 

लेकिन मुर्शिदाबाद में कांग्रेस से टीएमसी की हार के बाद से मामला और बिगड़ गया है। दोनों पार्टियां अब नियमित रूप से एक-दूसरे पर बीजेपी की कठपुतली होने का आरोप लगा रही हैं। 2024 में बीजेपी के खिलाफ एकजुट हो रहे विपक्षी मोर्चे के लिए दोनों दलों के बीच बैक चैनल बातचीत नाकाम हो गई है। ममता बनर्जी ने घोषणा की है कि वह चुनाव में अकेले उतरेंगी। उनकी पार्टी ने किसी भी बैक-चैनल वार्ता से इनकार किया है।

सपा का रवैया

अखिलेश यादव ने हाल ही में ममता बनर्जी से मुलाकात की थी। अखिलेश ने कल रविवार को दिल्ली में घोषणा की सपा इस बार अमेठी और रायबरेली से अपने प्रत्याशी उतारेगी। राहुल गांधी ने 2019 का पिछला चुनाव अमेठी से लड़ा था और बीजेपी की स्मृति ईरानी से हार गए थे। केरल के वायनाड से भी लड़ने के कारण राहुल की इज्जत बच गई थी। लेकिन अखिलेश की इस घोषणा से साफ हो गया कि सपा उस विपक्षी गठबंधन में शामिल नहीं होने जा रही है, जिसमें कांग्रेस होगी। इस घोषणा से यह भी लग रहा है कि यूपी में मुकाबला चार कोणीय होगा। जिसमें बीजेपी के सामने कांग्रेस, बसपा और सपा होंगे। इनमें से कांग्रेस और सपा के साथ कुछ पार्टियां अलग-अलग गठबंधन कर सकती है। सपा का सबसे बड़ा सहयोगी जयंत चौधरी की रालोद है। जयंत चौधरी के संबंध सपा के अलावा कांग्रेस से बेहतर हैं। रालोद का गढ़ पश्चिमी यूपी के कुछ जिले हैं। इस तरह रालोद और सपा भी अपने गठबंधन पर नए सिरे से विचार कर सकते हैं।

कुल मिलाकर नए घटनाक्रम और समीकरण बता रहे हैं कि विपक्षी दलों ने बीजेपी की राह को 2024 के लिए आसान कर दिया है। खासकर सबसे बड़े राज्य यूपी में विपक्ष का गणित बीजेपी को फायदा पहुंचा सकता है। यूपी में लोकसभा की 85 सीटें हैं।

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