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विपक्षी एकताः बेहतर पहल के बावजूद मंजिल अभी दूर है

विपक्षी एकताः बेहतर पहल के बावजूद मंजिल अभी दूर है

विपक्षी एकता मिशन पर निकले बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने आज दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे और राहुल के साथ पहली बैठक की। यह बैठक खड़गे के घर पर हुई। 

विपक्षी एकता की एक बड़ी तस्वीर राजधानी दिल्ली में बुधवार को बनती दिखाई दी। लालू प्रसाद यादव से मुलाकात के एक दिन बाद बुधवार को नीतीश कुमार ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मुलाकात की। कांग्रेस की बुजुर्ग नेता सोनिया गांधी ने कल एक लेख के जरिए विपक्षी एकता को वक्त की जरूरत बताते हुए समान विचारधारा वाले दलों से तालमेल की बात साफ तौर पर कही थी। इसके बाद घटनाक्रम तेजी से बदला। नीतीश मंगलवार को दिल्ली पहुंचे। तेजस्वी दिल्ली में पहले से ही थे। अब नीतीश तीन दिनों तक तमाम विपक्षी नेताओं से संपर्क साधने वाले हैं।

नीतीश कुमार ने कई मौकों पर कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए हाथ मिलाने की सलाह दी थी। आज की मुलाकात कई मायने में महत्वपूर्ण है लेकिन विपक्ष की मंजिल अभी दूर है। तेलंगाना में के. चंद्रशेखर राव और बंगाल में ममता बनर्जी अभी भी जब-तब अलग खिचड़ी पकाते रहते हैं। यूपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण बहुजन समाज पार्टी और मायावती विपक्षी एकता से बराबर दूरी बनाए हुए हैं। इसलिए इतनी आसान लगने वाली राह आसान भी नहीं है। लेकिन शुरुआत अच्छी हुई तो उम्मीद बंधी है।

न्यूज एजेंसी पीटीआई और एएनआई के मुताबिक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव जेडीयू बिहार के अध्यक्ष ललन सिंह के साथ बुधवार को राहुल और खड़गे से मिलने पहुंचे। यह बैठक खड़गे के आवास पर हुई। वहीं पर राहुल गांधी भी आ गए थे।

समाचार एजेंसी एएनआई द्वारा साझा किए गए एक वीडियो में, बिहार के मुख्यमंत्री, उनके डिप्टी और ललन सिंह के साथ मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से बात करते हुए देखे गए।

पीटीआई ने बताया कि अपनी बैठक के दौरान, नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने 2024 के संसदीय चुनावों में बीजेपी को हराने के लिए विपक्षी एकता को मजबूत करने के प्रयासों के बीच वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की। समझा जाता है कि खड़गे और राहुल गांधी ने नीतीश और तेजस्वी से साफ कर दिया कि उन्हें सभी विपक्षी दलों के साथ बातचीत में कोई ऐतराज नहीं है। अभी नीतीश या कांग्रेस की ओर से इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया गया है।

नीतीश ने कांग्रेस नेतृत्व के सामने साफ कर दिया कि वो पीएम पद की दौड़ में नहीं हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि अधिकतम विपक्षी दल बीजेपी के खिलाफ एक साथ आएं। वह एक विपक्षी मोर्चे पर जोर दे रहे हैं जिसमें कांग्रेस को मुख्य भूमिका निभानी चाहिए।

जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार मंगलवार को तीन दिवसीय दौरे पर दिल्ली पहुंचे थे। वो कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों, विशेषकर क्षेत्रीय दलों के बीच की खाई को पाटने के मकसद से दिल्ली आए हैं।

जेडीयू सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि खड़गे के फोन के बाद यात्रा की योजना बनाई गई। उन्होंने कहा कि नीतीश कांग्रेस और अन्य दलों के बीच पुल का काम करना चाहते हैं ताकि केंद्र की बीजेपी सरकार का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत और एकजुट विपक्ष को विकल्प के तौर पर पेश किया जा सके।

दिल्ली आने के बाद मुख्यमंत्री ने सबसे पहले बिहार में अपने सहयोगी आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद से मुलाकात की। लालू के बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव भी फिलहाल दिल्ली में हैं।

आरजेडी के सूत्रों ने नीतीश-लालू मुलाकात पर कहा: यह एक शिष्टाचार भेंट से कहीं ज्यादा थी। लालू प्रसाद का परिवार इस समय सीबीआई और ईडी की पूछताछ का सामना कर रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री का दौरा राजनीतिक बदले की भावना के मुद्दे पर अपने सहयोगी के साथ एकजुटता दिखाने का एक तरीका भी है।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पूर्व सांसद और सीनियर जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा - यह राष्ट्रीय विपक्षी एकता की दिशा में नीतीश कुमार की लंबे समय से प्रतीक्षित यात्रा है। हम खुश हैं कि एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पहला कदम उठाया, अब गेंद को आगे बढ़ाने का समय है।

खड़गे ने पिछले शुक्रवार को कहा था कि विपक्ष को एकजुट करने के लिए वो अन्य दलों के नेताओं के संपर्क में हैं। उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे के अलावा नीतीश को फोन किया था।

अगले तीन दिनों में नीतीश समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव, दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप नेता अरविंद केजरीवाल और शीर्ष वामपंथी नेताओं से मिलने वाले हैं। त्यागी ने कहा, लंबे समय तक हमारे राजनीतिक विरोधी रहे लालू प्रसाद के साथ गठबंधन करके, नीतीश कुमार ने क्षेत्रीय दलों को एक साफ संदेश दिया है कि वे 2024 के चुनावों में बीजेपी को हराने के बड़े कारण के लिए अपने मतभेदों को भूल जाएं।

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