+
राहुल के मुद्दे पर 17 विपक्षी दल एकजुट, टीएमसी भी आई

राहुल के मुद्दे पर 17 विपक्षी दल एकजुट, टीएमसी भी आई

विपक्षी एकता में आज एक बड़ी कामयाबी उस समय मिली जब 17 दल कांग्रेस के साथ न सिर्फ बैठे बल्कि काले कपड़े पहनकर विरोध प्रदर्शन में भी शामिल हुए है। हालांकि काले कपड़े का निर्देश कांग्रेस सांसदों को था। लेकिन सबसे बड़ा घटनाक्रम ममता बनर्जी की टीएमसी के शामिल होने का है। अभी तक टीएमसी विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हो रही थी। 

संसद के अंदर और बाहर विपक्षी एकता का जबरदस्त प्रदर्शन आज 27 अगस्त को दिखाई दिया। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) भी आज पहली बार कांग्रेस के नेतृत्व वाली विपक्षी रणनीति बैठक में शामिल हुई। सांसद के रूप में राहुल गांधी की अयोग्यता के खिलाफ "काली" पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन में भी भाग लिया।

शुरुआत कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के दफ्तर में बैठक से हुई। टीएमसी के प्रसून बनर्जी और जवाहर सरकार रणनीति बैठक में शामिल हुए। ममता बनर्जी की पार्टी के स्टैंड में यह एक बड़े बदलाव का संकेत है। क्योंकि इसने पहले घोषणा की थी कि वो कांग्रेस और भाजपा दोनों से समान दूरी बनाए रखेगी।

एनडीटीवी के मुताबिक हालांकि तृणमूल ने साफ किया है कि उसका समर्थन राहुल गांधी के विरोध तक ही सीमित था क्योंकि उसका मानना ​​था कि विपक्ष को इस पर एकजुट होना चाहिए। जवाहर सरकार ने आज कहा कि हम हर विरोध में रहे हैं और पहले दिन ही बाहर चले गए थे। सदन की एक भी बैठक में शामिल नहीं हुए। हमारा आज का फैसला अलोकतांत्रिक हमलों के खिलाफ एकजुटता के आह्वान पर है।

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक टीएमसी के हैरानी वाले इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए, कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा कि कांग्रेस "लोकतंत्र की रक्षा" के लिए आगे आने वाले किसी भी व्यक्ति का स्वागत करती है। मैं उन सभी को धन्यवाद देता हूं जिन्होंने इसका समर्थन किया। इसलिए, मैंने कल सभी को धन्यवाद दिया और मैं आज भी उन्हें धन्यवाद देता हूं। हम लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए और लोगों की रक्षा के लिए आगे आने वाले किसी भी व्यक्ति का स्वागत करते हैं। हम उन लोगों का दिल से आभार व्यक्त करते हैं जो हमारा समर्थन करते हैं।

कांग्रेसी सांसद राहुल गांधी की अयोग्यता पर विरोध जताने के लिए काली शर्ट पहनकर संसद में पहुंचे थे।

तेलंगाना में कांग्रेस की प्रतिद्वंद्वी के. चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) भी शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई। हालांकि अभी कल ही उद्धव ठाकरे ने सावरकर पर टिप्पणी करने के मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चेतावनी दी थी। लेकिन उस बात को भुलाते हुए उद्धव की पार्टी के सांसद कांग्रेस के साथ आए।

बैठक में जो 17 विपक्षी दल मौजूद थे, उनमें कांग्रेस, डीएमके, एसपी, जेडीयू, बीआरएस, सीपीएम, आरजेडी, एनसीपी, सीपीआई, आईयूएमएल, एमडीएमके, केसी, टीएमसी, आरएसपी, आप, जम्मू-कश्मीर एनसी और शिवसेना (यूबीटी) शामिल थे।

बता दें कि पश्चिम बंगाल में वामपंथी दलों के साथ-साथ विपक्ष में शामिल कांग्रेस के साथ तृणमूल के संबंध असहज हैं। पार्टी ने शुरू में 2019 के मानहानि मामले में राहुल गांधी की अयोग्यता पर एक सोची-समझी चुप्पी बनाए रखी थी, यहां तक ​​कि भाजपा द्वारा विपक्षी नेताओं को कथित रूप से निशाना बनाने के खिलाफ एकजुट विपक्ष के व्यापक आह्वान के बीच भी टीएमसी चुप रही। टीएमसी कांग्रेस के नेतृत्व वाली विपक्षी रणनीति की बैठकों में भी शामिल नहीं हो रही थी। 

तृणमूल प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जो भाजपा की घोर आलोचक रही हैं, ने राहुल गांधी का समर्थन किया है। ममता ने कहा - पीएम मोदी के नए भारत में, विपक्षी नेता भाजपा का मुख्य लक्ष्य बन गए हैं! जबकि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले भाजपा नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया गया है, विपक्षी नेताओं को उनके भाषणों के लिए अयोग्य घोषित किया गया है। आज, हमने अपने संवैधानिक लोकतंत्र के लिए एक नया निम्न स्तर (राहुल को अयोग्य करने पर) देखा है।

वैसे ममता ने इस महीने की शुरुआत में कांग्रेस-वाम गठबंधन पर भाजपा के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया था, और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए किसी भी साझेदारी से इनकार किया था। ममता बनर्जी ने दावा किया कि "भगवा खेमे की मदद" मांगने के बाद कांग्रेस को खुद को भाजपा विरोधी कहने से बचना चाहिए।

बहरहाल, कांग्रेस ने राहुल गांधी को चुप कराने के लिए एक "साजिश" का आरोप लगाया है। कांग्रेस के मुताबिक अडानी-हिंडनबर्ग मामले में राहुल गांधी तीखे सवालों से पीएम और भाजपा को असहज कर रहे थे। कांग्रेस कार्यकर्ता पिछले दो दिनों से देश भर में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और शीर्ष नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार पर "शहीद के बेटे" को "चुप करने की कोशिश" करने का आरोप लगाया। प्रियंका ने प्रधानमंत्री मोदी को कायर भी कहा था।

52 वर्षीय पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को गुजरात में सूरत एक अदालत ने दोषी ठहराया और 2019 के एक भाषण के लिए दो साल की जेल की सजा सुनाई, जिसमें उन्होंने मोदी नाम वाले शब्द को दो भगोड़े व्यापारियों नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के साथ जोड़ा। अदालत ने उन्हें जमानत भी दे दी और 30 दिनों के लिए सजा को निलंबित कर दिया ताकि उन्हें हाईकोर्ट में अपील करने की अनुमति मिल सके।

राहुल गांधी की टीम ने कहा है कि वे इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे। यदि आदेश रद्द नहीं किया जाता है, तो राहुल गांधी को अगले आठ वर्षों तक चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें