शिवाजी प्रतिमा ढहने पर पीएम की माफी अहंकार से भरी थी: उद्धव
छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने के मुद्दे पर पर एमवीए प्रदर्शन कर रहा है। प्रतिमा ढहने के विरोध में विपक्षी दलों ने गेटवे ऑफ इंडिया की ओर मार्च किया। इस दौरान उद्धव ठाकरे ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि महाराष्ट्र के लोग उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की माफी अहंकार से भरी है। शरद पवार ने कहा है कि छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा का ढहना भ्रष्टाचार का उदाहरण है।
पुलिस द्वारा अनुमति नहीं दिए जाने के बावजूद विपक्षी दलों का गेटवे ऑफ़ इंडिया तक यह मार्च निकाला गया। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे, राज्य कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले और एनसीपी (एसपी) सुप्रीमो शरद पवार समेत विपक्ष के शीर्ष नेताओं ने इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
शिवद्रोही सरकारला अद्दल घडवण्यासाठी, आज महाविकास आघाडीतर्फे ‘जोडे मारा आंदोलन’ करण्यात आले.
— ShivSena - शिवसेना Uddhav Balasaheb Thackeray (@ShivSenaUBT_) September 1, 2024
पक्षप्रमुख मा. श्री. उद्धवसाहेब ठाकरे, राष्ट्रवादी काँग्रेस (शरदचंद्र पवार) पक्षाचे अध्यक्ष मा. शरदचंद्रजी पवार, महाराष्ट्र काँग्रेसचे प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले ह्यांच्या प्रमुख उपस्थितीत… pic.twitter.com/rnQoPs8Vpc
शरद पवार, उद्धव ठाकरे, नाना पटोले और वर्षा गायकवाड़ ने 'संयुक्त महाराष्ट्र' आंदोलन में शहीद हुए लोगों की याद में बने हुतात्मा चौक पर पुष्पांजलि अर्पित कर विरोध मार्च की शुरुआत की।
विरोध प्रदर्शन के मार्ग पर पूरे दक्षिण मुंबई में पुलिस की भारी तैनाती की गई थी और गेटवे ऑफ इंडिया के आसपास के इलाके को पूरी तरह से घेर लिया गया था। मुंबई पुलिस ने विरोध मार्च के लिए अनुमति नहीं दी थी, केवल हुतात्मा चौक पर एक सभा की अनुमति दी गई थी। केवल वरिष्ठ नेताओं को गेटवे ऑफ इंडिया तक जाने की अनुमति दी गई थी।
विरोध मार्च में भाग लेने वालों ने प्रतिमा ढहने की निंदा करते हुए तख्तियां ले रखी थीं और एकनाथ शिंदे सरकार के ख़िलाफ़ नारे लगाए। शिवसेना (यूबीटी) नेता अरविंद सावंत ने पीटीआई से कहा, 'महाराष्ट्र का अपमान हुआ है। हम आहत हैं। इतिहास में कभी भी शिवाजी महाराज की मूर्ति नहीं गिरी। जब ऐसी चीजें होती हैं, तो विरोध स्वाभाविक है। उद्धव ठाकरे इसके खिलाफ बोलते रहे हैं, सरकार अक्षम है। पुलिस हमारे झंडे उतार रही है, वे भी गुलामों की तरह काम कर रहे हैं। वे केवल चुनाव के कारण माफी मांग रहे हैं। हम सीएसटी पर शिवाजी महाराज की मूर्ति लगाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन वे यह कहकर सहमत नहीं हैं कि ऐसा कोई नियम नहीं है, यह गुजरात में हो रहा है, लेकिन यहां नहीं।'
एनसीपी-एसपी नेता राजेश टोपे ने एएनआई से कहा, 'छत्रपति शिवाजी महाराज महाराष्ट्र का गौरव और आत्मा हैं। मुझे लगता है कि इस घटना ने इन दोनों को आहत किया है। हमारा विरोध मार्च लोकतंत्र का हिस्सा है। अनुमति न देना लोकतंत्र का गला घोंटने जैसा है। सरकार को ऐसा नहीं करना चाहिए, उन्हें अनुमति देनी चाहिए...।'
विरोध प्रदर्शन के बीच महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने एएनआई से कहा, '...यह हमारे लिए बहुत दुखद बात है...शिवाजी महाराज हमारे लिए राजनीतिक मुद्दा नहीं हो सकते, यह हमारे लिए पहचान और आस्था का मामला है। जो घटना हुई वह दुर्भाग्यपूर्ण थी। इस पर राजनीति करना और भी दुखद बात है और विपक्ष इस पर राजनीति कर रहा है।' फडणवीस ने कहा कि यह आंदोलन पूरी तरह से राजनीतिक है।
विरोध प्रदर्शनों के आह्वान पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा ने आंदोलन की प्रासंगिकता पर सवाल उठाया है और इसे आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए राजनीति से प्रेरित बताया है। राज्य भाजपा प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने कहा कि भाजपा की युवा शाखा विपक्ष को बेनकाब करने के लिए आज पूरे महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज की प्रतिमाओं के पास आंदोलन करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा महज आठ महीने पहले अनावरण की गई छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा ढहने से महाराष्ट्र में राजनीतिक तूफ़ान खड़ा हो गया है। यह कितना बड़ा मुद्दा है, यह इससे समझा जा सकता है कि बीजेपी के साथ एनडीए सरकार में शामिल अजित पवार का एनसीपी खेमा बेहद नाराज़ है। उनकी एनसीपी ने अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ मौन प्रदर्शन किया। अहम बात यह भी है कि अगले कुछ महीने में ही राज्य में चुनाव होने वाले हैं। शिवाजी की प्रतिमा ढहने की नाराज़गी कहीं कुछ राजनीतिक दलों की चुनावी नैया न डुबो दे, यह चिंता तो नेताओं को है ही।
भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने ही खुद इसका आठ महीने पहले अनावरण किया था। इस वजह से सरकार के साथ पीएम मोदी भी निशाने पर रहे। विपक्षी नेता इस मामले में माफी मांगने की मांग करते रहे हैं। दो दिन पहले ही पीएम मोदी ने माफी मांगी है। उन्होंने कहा, 'पिछले दिनों सिंधुदुर्ग में जो हुआ, आज मैं सिर झुकाकर मेरे आराध्य देव छत्रपति शिवाजी महाराज जी के चरणों में मस्तक रखकर माफी मांगता हूं।' हालाँकि, उनकी माफी वाला बयान भी विवादों में आ गया है और विपक्षी दल इस माफी को अहंकार से भरी माफी क़रार दे रहे हैं।