विपक्ष : अंग्रेजों को भी वापस लेना पड़ा था कृषि क़ानून
कृषि क़ानूनों पर लोकसभा में चल रही ज़ोरदार बहस के बीच विपक्ष ने सरकार से आग्रह किया है कि वह आन्दोलनकारी किसानों की माँगे मान ले। उसने ज़ोर देकर कहा कि अंग्रेजों को भी इस मुद्दे पर पीछे हटना पड़ा था और कृषि क़ानून को वापस लेना पड़ा था। दूसरी ओर, सरकार ने कहा है कि वह इस मुद्दे पर किसानों से बातचीत के लिए तैयार है। इसके साथ ही बीजेपी सदस्यों ने कृषि क़ानूनों का ज़ोरदार बचाव करते हुए कहा है कि इससे किसानों का फ़ायदा होगा।
बता दें कि इसके एक दिन पहले यानी मंगलवार को विपक्ष ने जब राज्यसभा में कृषि क़ानूनों के मुद्दे पर बहस की माँग की तो स्पीकर एम. वेंकैया नायडू ने इसे यह कह कर खारिज कर दिया कि इस पर बहस अगले दिन यानी बुधवार को होगी।
विपक्ष ने जब बुधवार को यह मुद्दा उठाया और अलग बहस की माँग की तो अध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के लिए होने वाली बहस में यह मुद्दा उठाया जा सकता है। राज्यसभा में इसके लिए पाँच घंटे का समय तय किया गया।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कृषि क़ानून 2020 का विरोध करते हुए राज्यसभा में कहा कि अंग्रेज़ों ने अपनी मर्जी से कृषि क़ानून लाने की कोशिश की, उन्हें उन क़ानूनों को रद्द करना पड़ा था।
उन्होंने गणतंत्र दिवस के दिन हुई हिंसा को ग़लत बताते हुए कहा कि जो कुछ हुआ, वह लोकतंत्र के ख़िलाफ़ है और ऐसे लोगों को कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए। उन्होंने इसके साथ ही यह भी कहा कि इस बहाने निर्दोषों को झूठे मामलों में नहीं फँसाना चाहिए।
'गायब लोगों का पता लगाए सरकार'
आज़ाद ने सरकार से माँग की कि एक कमेटी बनाई जाए जो गणतंत्र दिवस को गुम हुए लोगों के बारे में पता लगाए और जाँच करे। बता दें कि किसान संगठनों ने कहा है कि सौ से ज़्यादा लोग 26 जनवरी से ही लापता हैं।
समाजवादी पार्टी के सदस्य रामगोपाल यादव ने उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर में किसानों के धरना स्थल के पास किए गए पुलिस बन्दोबस्त का विरोध करते हुए कहा कि जैसी किलेबंदी उस इलाक़े में की गई है, वैसी तो पाकिस्तान से लगने वाली सीमा पर भी नहीं है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने ग़ाज़ीपुर में सड़क खोद दी है, बैरिकेड लगा दिए हैं और सड़क पर बड़ी-बड़ी कीलें लगा दी हैं ताकि कोई उसे पार न कर सके। इसके अलावा ब्लेड लगे तार भी लगा दिए गए हैं।
'संविधान को ध्वस्त करने की कोशिश'
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी के सांसद एलमाराम करीम ने कहा कि यह सरकार जानबूझ कर बहुत ही सुव्यवस्थित तरीके से संविधान को ध्वस्त कर रही है। उन्होंने कृषि क़ानूनों के अलावा समान नागरिकता क़ानून, सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने के फ़ैसलों और दूसरे मुद्दों पर सरकार की आलोचना की।
बीजू जनता दल के सदस्य प्रसन्न आचार्य ने स्वामीनाथन आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करने की माँग की। उन्होंने सरकार पर तंज करते हुए कहा कि 2014 में सरकार ने कहा था कि 2020 तक किसानों की आय दुगनी हो जाएगी।
उन्होंने पूछा कि 2014 में किसानों की आय कितनी थी और आज कितनी है।
स्वामीनाथन आयोग लागू करने की माँग
आचार्य ने कृषि क़ानूनों पर सरकार को घेरते हुए पूछा कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य को बऱकार रखने का जो मौखिक आश्वासन दे रही है, उसे एक लाइन में लिख कर क्यों नहीं दे सकती।
आचार्य ने माँग की कि सुप्रीम कोर्ट के एक जज की अध्यक्षता में कमेटी बने जो गणतंत्रण दिवस की वारदात की जाँच करे। उन्होंने कहा कि हर किसान नेता को उस दिन की वारदात के लिए ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।