भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने गत दिनों टीवी चैनल्स के लिये एक चेतावनी रुपी एडवाइज़री जारी की है। मंत्रालय ने इस एडवाइज़री के माध्यम से रूस व यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध तथा पिछले दिनों राजधानी दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाक़े में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के बाद देश के मुख्य धारा के निजी टीवी चैनलों के प्रसारण के तरीक़ों व इनसे संबंधित कार्यक्रमों में
अपनाई गयी आपत्तिजनक भाषा व शीर्षक आदि पर सख़्त एतराज़ जताया है। एडवाइज़री में कहा गया है, “कुछ चैनल इन घटनाओं के प्रसारण में सामाजिक रूप से अस्वीकार्य भाषा का इस्तेमाल करते हुये इन्हें भ्रामक और सनसनीखेज़ तरीक़े से प्रसारित कर रहे हैं।”
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने झूठे दावे करने और अस्वीकार्य भाषा का प्रयोग करने वाले ऐसे टी वी चैनल्स को चेतावनी देते हुए कहा है कि ,यदि आवश्यक समझा जाएगा तो केबल टेलीविज़न नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 में निर्धारित प्रावधानों के अंतर्गत इस प्रकार के चैनल्स अथवा ऐसे आपत्तिजनक कार्यक्रमों के प्रसारण को प्रतिबंधित भी किया जा सकता है।
टी वी चैनल्स को भेजी गयी अपने एडवाइज़री में सरकार ने विभिन्न चैनल्स द्वारा प्रसारित की गयी भोंडे, अनावश्यक तथा भड़काऊ व उकसाने वाले कई आपत्तिजनक शीर्षक का ज़िक्र भी किया। उदाहरण के तौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध के संबंध में 18 अप्रैल 2022 को एक टी वी चैनल ने 'यूक्रेन में एटमी हड़कंप' के शीर्षक से कार्यक्रम प्रसारित किया। इस रिपोर्ट में कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का हवाला ग़लत व अनावश्यक तरीक़े से दिया गया।
इसी तरह एक चैनल ने लोगों को भयभीत करते हुये यह ख़बर प्रसारित कर डाली कि 'रूस ने यूक्रेन पर परमाणु हमले के लिए 24 घंटे की डेडलाइन दी है'। इसी तरह 'परमाणु पुतिन से परेशान जेलेंस्की','आधिकारिक रूसी मीडिया ने कहा है कि तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो चुका है’ आदि भ्रामक ख़बरें चलायीं गयीं। यहाँ तक कि एक चैनल द्वारा अपने झूठे दावों की पुष्टि करते हुये एक वीडियो भी दिखाया गया जिसमें कि रूसी राष्ट्रपति पुतिन को अपने साथ कथित रूप से एक न्यूक्लियर ब्रीफ़ केस लेकर चलते हुये दिखा दिया।
इसी प्रकार के अनेक सनसनीख़ेज़ शीर्षक जैसे 'न्यूक्लियर निशाना, हैरतअंगेज़ ख़ुलासा वर्ल्ड वॉर का।' 'यूक्रेन से पुतिन का परमाणु प्लान तैयार?', 'एटम बम गिरेगा? तीसरा विश्व युद्ध शुरू होगा' 'ये रात क़यामत वाली है', 'रूस परमाणु हमला कब करेगा, कहां करेगा?' तथा 'विश्व युद्ध के मुहाने पर दुनिया' जैसे सनसनीख़ेज़ शीर्षक लगाने व ऐसे शीर्षक पर आधारित कार्यक्रम प्रसारित करने का भी ज़िक्र एडवाइज़री में किया गया है।
इसी तरह सरकार ने दिल्ली जहांगीरपुरी हिंसा की रिपोर्टिंग के उकसाऊ व आपत्तिजनक तरीक़ों व इनसे संबंधित भड़काऊ शीर्षक व कार्यक्रमों का भी उल्लेख किया। जैसे 'दिल्ली में अमन के दुश्मन कौन', 'बड़ी साज़िश दंगे वाली, करौली, खरगौन वाया दिल्ली', 'हिंसा से एक रात पहले साज़िश का वीडियो' ‘अली Vs बली, कहां कहां खलबली?’ और 'अली, बजरंगबली पर खलबली' तथा एक टी वी चैनल द्वारा प्रसारित 'हुंकार' शीर्षक के कार्यक्रम में प्रयुक्त आपत्तिजनक भाषा के प्रयोग का ज़िक्र करते हुये सभी टी वी चैनल्स को नियमों के अंतर्गत ही कार्यक्रम प्रसारित करने का निर्देश दिया है।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अनुसार चैनल्स ने समाचारों में असंसदीय, भड़काऊ और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य भाषा का प्रयोग किया तथा सांप्रदायिक टिप्पणियों और अपमानजनक संदर्भों वाली बहसें प्रसारित कीं, जो दर्शकों पर नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव डाल सकती हैं और सांप्रदायिक वैमनस्य को भी भड़का सकती हैं। इससे बड़े पैमाने पर शांति भंग हो सकती है।’
सरकार द्वारा टी वी चैनल्स के लिये जारी यह दिशा निर्देश निःसंदेह सराहनीय हैं। यह काम तो सरकार को बहुत पहले ही कर लेना चाहिए था। क्योंकि देश के अनेक टी वी चैनल्स यहाँ तक की देश में सबसे अधिक टी आर पी बटोरने वाले टी वी चैनल्स तो कई वर्षों से इस तरह के सामाजिक विष रोपण का काम करते आ रहे हैं। इनमें कई चैनल्स के स्वामी तो सत्तारूढ़ दल के सांसद व सत्ता के क़रीबी उद्योगपति हैं। विगत लगभग एक दशक से इन्होंने भारतीय समाज को अपने ऐसे ही भोंडे कार्यक्रमों, शीर्षकों व अति आपत्तिजनक शब्दावलियों से विभाजित करने में कोई कसर बाक़ी नहीं छोड़ी। कार्यक्रमों के सीधे प्रसारण में लात-जूते, धक्का मुक्की, गली गलोच, नागिन डांस, शस्त्र प्रदर्शन, अपने पूर्वाग्रह के चलते शीर्ष संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों के लिये अपमानजनक भाषा का प्रयोग, रिश्वतख़ोरी के इलज़ाम में तथाकथित 'प्रसिद्ध ' ऐंकर का तिहाड़ जेल जाना, टी आर पी बढ़ाने लिये लोगों में पैसे बांटना जैसी तमाम शर्मनाक परिस्थितियों का सामना अनेक भारतीय निजी टी वी चैनल्स करते आ रहे हैं।
चीख़ चिल्लाकर ख़बरें पढ़ना व कार्यक्रम प्रस्तुत करना तो गोया इनका चलन बन चुका है। ऐसे चैनल्स की इस तरह की ग़ैर ज़िम्मेदाराना कारगुज़ारियों की चर्चा पूरे विश्व में होने लगी है।
टी वी चैनल्स की इसी दुर्दशा ने ही तो भारतीय मीडिया को 'गोदी मीडिया' की उपाधि से नवाज़ा है? अति गंभीर संस्थान यहाँ तक कि भारतीय लोकतंत्र में चौथे स्तंभ के रूप में अपनी पहचान रखने का दावा करने वाले भारतीय मीडिया का कभी इतना पतन हो जायेगा यह कभी सोचा भी नहीं गया था।
इसी सन्दर्भ में सरकार को एक दिशानिर्देश उन नेताओं व धर्गुरूओं के लिये भी सख़्त लहजे में जारी करने चाहिये जो इस तरह के भड़काऊ 'गोदी मीडिया' को अपने नफ़रती व ज़हरीले बयानों से उकसाऊ सामग्री उपलब्ध कराते हैं। जो सरकार टी वी चैनल्स के दिन प्रतिदिन के शीर्षक व भड़काऊ शब्दावली पर नज़र रखती है वह यह भी बख़ूबी जानती है कि देश में किसी धर्म के विरुद्ध नारे लगाने वाले दूसरे धर्म के लोग कौन हैं?
गाँधी को गाली देने वाले, हत्यारों व बलात्कारियों तथा दंगाइयों का महिमामंडन करने वाले कौन हैं। देश में सशस्त्र संघर्ष छेड़ने और धर्म विशेष के घरों पर बुलडोज़र चलाने की बातें करने वालों को भी सरकार बख़ूबी जानती है। सरकार की जनसँख्या नियंत्रण नीति के विरुद्ध केवल सांप्रदायिक विद्वेष वश चार बच्चे पैदा करने का आह्वान करने वाले कौन हैं ?
अपने घरों में शस्त्र, तीर कमान और बोतलें आदि रखने का आह्वान करने वाले 'माननीयों' को भी सरकार भली भांति जानती है। सरकार को ऐसे लोगों के विरुद्ध भी केवल 'एडवाइज़री’ मात्र जारी करने की नहीं बल्कि सख़्त कार्रवाई करते हुये इन्हें जेल में ठूसने की ज़रुरत है।
यदि सरकार ऐसे समाज विभाजक लोगों को 'छुट्टे सांड' की तरह घूमने देती है और केवल 'गोदी मीडिया' वाले चैनल्स को 'एडवाइज़री जारी कर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझती है फिर तो यही सन्देश जायेगा कि 'एडवाइज़री' की यह क़वायद मात्र दिखावा है वह भी या तो किसी दबाव में जारी की गयी है या दुनिया को दिखाने के लिये।
फिर भी सकारात्मक सोच का तो यही तक़ाज़ा है कि सरकार ने टी वी चैनल्स को जो दर्पण दिखाया है इसके लिये यही कहा जा सकता है कि -'देर आयद दुरुस्त आयद'।