विदेशों में काम करने वाले लाखों भारतीयों को भारत लाने का बीड़ा अब भारत सरकार ने उठा लिया है। यह स्वागत योग्य क़दम है। भारतीयों की यह घर वापसी शायद इतिहास की बेजोड़ घटना होगी। 1990 में जब सद्दाम हुसैन के शासन वाले इराक़ के ख़िलाफ़ अमेरिका ने मिसाइलें दागी थीं, तब भी खाड़ी देशों से लगभग पौने दो लाख लोग भारत लौटे थे। लेकिन इस बार लाखों लोग लौटने की कतार में खड़े हैं।
मुझे याद है कि इन देशों में कार्यरत मेरे दर्जनों मित्र अपनी कारें, कीमती फर्नीचर और मकान भी छोड़कर भाग खड़े हुए थे। चंद्रशेखर जी की तत्कालीन सरकार के राजदूतों ने अपने लोगों की दिल खोलकर मदद की थी लेकिन अब 30 साल बाद उस युद्ध से भी बड़ा ख़तरा हमारे प्रवासियों के दिल में बैठ गया है।
प्रवासी समझ रहे हैं कि कोरोना उन्हें तो वहां मार ही सकता है, भारत में भी उनके परिजनों को ले बैठ सकता है। इसीलिए चाहे जो हो, वे कहते हैं कि हमें तो हमारे परिवार के पास पहुंचना ही है। इसके अलावा हजारों-लोग बेरोज़गार हो गए हैं। कुछ काफी बीमार हैं, कुछ दो-चार दिन के लिए वहां गए थे लेकिन 40 दिन से वहीं अटके पड़े हैं और कुछ लोगों के परिजन भारत में बहुत बेहाल हैं।
चुकाना होगा किराया
सरकार ने इन सब कारणों को ध्यान में रखते हुए एक सप्ताह में 13 देशों से लगभग 15 हजार लोगों को वापस लाने की घोषणा की है। इन यात्रियों को अपना किराया दूरी के हिसाब से ख़ुद ही देना होगा और यह 12 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक होगा। यह आपत्तिजनक नहीं है, क्योंकि विदेशों में काम कर रहे भारतीय पर्याप्त कमाते हैं लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि वे अपनी कमाई में से हर साल 83 अरब डाॅलर भारत भेजते हैं। अब इस राशि में सेंध लगेगी।
भारत में कैसे मिलेगा रोज़गार
लेकिन देखना यह है कि ये लोग, जिनकी संख्या लाखों में हैं, वापस उन देशों में जाएंगे या नहीं यदि वे नहीं जाएंगे तो उन्हें भारत में रोज़गार कैसे मिलेगा क्या वे कम वेतन पर काम करना चाहेंगे इनमें जो मजदूर हैं, वे तो शायद भारतीय कारखानों में खप जाएंगे लेकिन ऊंचे वेतन वाले लोग बड़ा सिरदर्द खड़ा कर सकते हैं।
अभी तक 4-5 लाख लोगों ने ही भारत लौटने की अर्जी भेजी है। यह संख्या कई गुना बढ़ सकती है। यदि अमेरिका, यूरोप और खाड़ी देशों में कोरोना का प्रकोप शांत नहीं हुआ तो मानकर चलिए कि सारी दुनिया में फैले डेढ़-दो करोड़ प्रवासी भारतीय वापस लौटने की इच्छा रखेंगे।
कोरोना फैलने का ख़तरा
अभी तक तो घर वापसी का यह अभियान आपात स्थिति में फंसे लोगों के लिए ही है लेकिन कोई आश्चर्य नहीं कि जब लाखों लोगों को विदेश से लाना होगा तो सरकार कैसे-क्या करेगी एक डर यह भी है कि इन लोगों की वापसी के बाद कहीं कोरोना भारत में ही उसी तरह न फैल जाए, जैसे कि वह उन देशों में फैला हुआ है। सरकार को इस मामले में भी बड़ा सावधान रहना होगा।(डॉ. वेद प्रताप वैदिक के ब्लॉग www.drvaidik.in से साभार)