इस बार ईसाइयों के पवित्र त्योहार गुड फ़्राइडे और ईस्टर संडे पर न तो गिरजाघरों में सामूहिक प्रार्थना के लिए लोगों की भीड़ उमड़ेगी और न ही उसके पहले ईसा मसीह के सलीब पर चढ़ाए जाने के बाद फिर से जी उठने की कहानी सुनाने के लिए जगह-जगह कार्यक्रम होंगे। यह सब कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए किया जाएगा।
गिरजाघरों में प्रार्थना तो होगी, पर उसकी लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी और भक्तों से कहा जाएगा कि वे अपने-अपने घरों में बैठ-बैठे ही इसे देखें और प्रार्थना कर लें।
'घर में ही प्रार्थना करें'
मुंबई के सेंट ज्यूड चर्च के फ़ादर वार्नर डी सूज़ा ने एनडीटीवी से कहा, ‘हमारे गिरजाघर में नियमित आने वालों की संख्या 800 से ज़्यादा है। उन्हें चर्च में नहीं आने को कहना मुश्किल काम है, पर यह भी ज़रूरी है कि हम ख़ुद सुरक्षित रहें और दूसरों को सुरक्षित रहने दें।’उन्होंने आगे कहा, ‘ऑनलाइन ब्रॉडकास्ट कभी भी गिरजाघर में मौजूद रहने का विकल्प नहीं हो सकता, पर हम उम्मीद रखते हैं कि सबकुछ ठीक ही रहेगा।’
भारत में लगभग 2.80 करोड़ ईसाई हैं और गुड फ्राइडे व ईस्टर संडे उनकी आस्था से जुड़े महत्वपूर्ण त्योहार हैं। गिरजाघर में मंच से पादरी ‘होज़ाना’ यानी ‘ईश्वर की जय हो’ का उद्घोष करते हैं। ईसा मसीह को सलीब पर चढ़ाए जाने को दिखाने के लिए जगह-जगह जुलूस निकाले जाते हैं और कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
सोशल मीडिया
मलनकरा ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च के दिल्ली डायोसीज के प्रमुख एच. जी. डॉक्टर योहानन मार डीमेट्रियोस ने एनडीटीवी से कहा :
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‘हम धर्म के अनुयायियों के साथ आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर जुड़े रहेंगे, हम उनसे सोशल मीडिया और फ़ोन के ज़रिए संपर्क में रहेंगे।’
एच. जी. डॉक्टर योहानन मार डीमेट्रियोस, प्रमुख, ऑर्थोडॉक्स सीरियन चर्च के दिल्ली डायोसीज
मुंबई आर्चडायोसीज से 5 लाख लोग जुड़े हुए हैं। पर इस बार ईस्टर के मौके पर होने वाला होली कम्युनियन यानी पवित्र सम्मेलन नहीं होगा। इतिहास में ऐसा पहली बार होगा कि ईस्टर के पहले धार्मिक सम्मेलन नहीं होगा।
उन्होंने कहा, कार्डिनल अपने 4-5 सहयोगियों के साथ सामूहिक प्रार्थना करेंगे और उसका लाइव प्रसारण किया जाएगा। हम अनुयायियों को इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं कि वे इससे जुड़ें।
दिल्ली के संसद मार्ग स्थित फ्री चर्च के रेवरेंड टिमोथी शॉ का कहना है कि ईस्टर की सुबह होने वाली सामूहिक प्रार्थना को वह मिस ज़रूर करेंगे, पर ईसाई धर्म भवन नहीं हृदय से जुड़ा हुआ है, यदि आप ख़ुद को ईश्वर से जुड़ा महसूस करते हैं तो कहीं भी प्रार्थना कर सकते हैं।