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क्या फिर बीजेपी के साथ आएंगे राजभर?, शाह से मुलाकात होने की चर्चा

क्या फिर बीजेपी के साथ आएंगे राजभर?, शाह से मुलाकात होने की चर्चा

ओमप्रकाश राजभर ने 2017 में उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था और वह 2 साल तक योगी सरकार में मंत्री रहे थे। अगर राजभर एनडीए में लौटते हैं तो यह सपा गठबंधन के लिए बड़ा झटका होगा। 

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के मुखिया ओमप्रकाश राजभर क्या फिर से एनडीए में लौट सकते हैं। विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही यह चर्चा जोरों पर है कि बीजेपी उनके संपर्क में है। अगर राजभर एनडीए में लौटते हैं तो यह सपा गठबंधन के लिए बड़ा झटका होगा। 

विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने बहुत कोशिश की थी कि ओमप्रकाश राजभर उसके साथ मिलकर चुनाव लड़ें। लेकिन राजभर सपा के साथ चले गए। 

चुनाव में बीजेपी और उसके गठबंधन को बड़ी जीत मिली और सपा गठबंधन काफी पीछे रह गया। हालांकि सपा ने अपने 2017 के प्रदर्शन में काफी सुधार किया है।

इंडिया टुडे के मुताबिक, ओमप्रकाश राजभर की शुक्रवार शाम को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी के आला नेता सुनील बंसल और धर्मेंद्र प्रधान से 1 घंटे तक मुलाकात हुई है। इस मुलाकात की चर्चाओं को लेकर उत्तर प्रदेश में खासी सियासी हलचल है और कहा जा रहा है कि एनडीए में वापस लौटने की सूरत में ओमप्रकाश राजभर को कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है।

इस तरह की खबरों पर ओमप्रकाश राजभर ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा कि वे सपा के साथ हैं और स्थानीय निकाय चुनाव मिलकर लड़ेंगे।

हालांकि सुभासपा की ओर से इस तरह की खबरों का खंडन किया गया है लेकिन 25 मार्च को जब योगी आदित्यनाथ शपथ लेने जा रहे हैं, उससे पहले उत्तर प्रदेश के राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल सकते हैं।

विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद ओमप्रकाश राजभर ने कहा था कि उन्हें पहले चरण के चुनाव के बाद ही ऐसा लगने लगा था कि सपा गठबंधन हार रहा है। उन्होंने अमित शाह के साथ मुलाक़ात की ख़बरों को खारिज कर दिया। 

सपा गठबंधन में सुभासपा को 18 सीटें मिली थी और उसने 6 सीटों पर जीत हासिल की थी। पूर्वांचल के इलाकों में ओमप्रकाश राजभर की वजह से बीजेपी को सियासी नुकसान हुआ है और ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी राजभर को अपने साथ लाना चाहती है।

योगी सरकार में रहे मंत्री 

ओमप्रकाश राजभर ने 2017 में उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था और वह 2 साल तक योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे। लेकिन पिछड़ों के आरक्षण के बंटवारे सहित कुछ अन्य मांगों को लेकर वह सरकार से बाहर निकल गए थे और तब से बीजेपी के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे थे।

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