ओआईसी का प्रतिनिधिमंडल आएगा जम्मू-कश्मीर?
ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इसलामिक कोऑपरेशन यानी ओआईसी ने भारतीय मुसलमानों को निशाने पर लेने की घटनाओं पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है और कहा है कि वह एक प्रतिनिधिमंडल जम्मू-कश्मीर भेजेगा जो वहाँ की ज़मीनी स्थिति का अध्ययन कर रिपोर्ट सौंपेगा।
इससे यह भी साफ होता है कि भारतीय मुसलमानों के साथ होने वाले व्यवहारों से विदेशों में भारत की छवि खराब हो रही है और ख़ास कर मुसलमान देश इससे अधिक चिंतित हैं।
सऊदी अरब में भारतीय राजदूत औसफ़ सईद ने पिछले दिनों ज़ेद्दाह में ओआईसी के महासचिव यूसुफ़ अल अथीमीन से मुलाक़ात की थी तो यह मुद्दा उठा था।
राजदूत से मुलाक़ात
ऑर्गनाइजेशन ऑफ़ इसलामिक कोऑपरेशन ने बाद में एक प्रेस बयान में कहा, ‘राजदूत सईद और महासचिव यूसुफ़ अल अथीमीन के बीच बातचीत में भारतीय मुसलमानों से जुड़े कई मुद्दों पर बात हुई, उसमें जम्मू-कश्मीर और ओआईसी के प्रस्तावों और किसी पक्ष की ओर से एकतरफा कार्रवाई नहीं करने की बात कही गई।’
बैठक में गई थीं सुषमा स्वराज
याद दिला दें कि दो साल पहले तत्कालीन भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ओआईसी के सम्मलेन में भाग लिया था। भारत इस संगठन का सदस्य नहीं है। स्वराज इस संगठन की बैठक में भाग लेने वाली पहली ग़ैर-मुसलिम व पहली महिला थीं। इसे भारत की एक बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में देखा गया था।
First time as Guest of Honour!
— Arindam Bagchi (@MEAIndia) February 23, 2019
EAM @SushmaSwaraj will attend 46th Session of the Council of Foreign Ministers of Organisation of Islamic Cooperation as 'Guest of Honour' to attend the Inaugural Plenary at the invitation of UAE Foreign Minister.
https://t.co/CgYRBbEfp2 1/2
लेकिन अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म करने, वहाँ लॉकडाउन लगाने और राजनीतिक नेताओं व कार्यकर्ताओं को जेल में डालने या नज़रबंद करने से ओआईसी बहुत ही नाराज़ हुआ था।
उस समय पाकिस्तान ही नहीं, तुर्की ने भी ज़ोर देकर कहा था कि जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर ओआईसी की विशेष बैठक होनी चाहिए। उन्हें मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों का समर्थन हासिल था। सऊदी अरब ने वह बैठक बड़ी मुश्किल से टाली थी।
ओआईसी में फिर कश्मीर
ओआईसी में जम्मू-कश्मीर का मुद्दा एक बार फिर उठ रहा है। अब वहाँ यह माँग ज़ोर पकड़ रही है कि एक प्रतिनिधिमंडल जम्मू-कश्मीर जाकर स्थिति का आकलन करे और रिपोर्ट सौंपे।
यह भारत के लिए कठिन स्थिति इसलिए है कि दिल्ली का मानना रहा है कि जम्मू-कश्मीर एक दोतरफा मुद्दा है, जिसे वह पड़ोसी देश पाकिस्तान से बात कर सुलझा लेगा। भारत का कहना है कि इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है।
लेकिन पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय व बहुपक्षीय मुद्दा बनाए रखना चाहता है ताकि वह इसके ज़रिए भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर घेरता रहे।
पाकिस्तान इस घटनाक्रम से खुश है। उसके विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस बयान में कहा है कि ओआईसी ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति को ठीक समझा है।