यूपी विधानसभा चुनाव के पांचवें चरण में कुछ नेताओं के बयानों पर गौर किया जाना चाहिए। उन बयानों से लग रहा है कि बीजेपी यह तय नहीं कर पा रही है कि वो किस मुद्दे को प्रमुखता देना चाहती है। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने आज बलिया जिले के बैरिया में कहा कि अगर उनकी पार्टी की सरकार की आई तो सभी को होली और दिवाली पर मुफ्त गैस सिलेंडर मिलेगा।
हालांकि बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणापत्र में होली-दिवाली पर मुफ्त गैस सिलेंडर बांटने का कोई वादा नहीं है। यहां तक कि यह वादा पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह तक ने नहीं किया। पता नहीं चुनाव आयोग राजनाथ सिंह के इस बयान का संज्ञान लेगा या नहीं, लेकिन अगर यह संदेश मतदाताओं ने ठीक से ग्रहण कर लिया तो बीजेपी की चुनावी उम्मीदों में इजाफा जरूर होगा। राजनाथ के इस बयान को समाचार एजेंसी एएनआई ने भी ट्वीट किया है।
यूपी में अभी भी घरों में पारंपरिक चूल्हों पर ही खाना पकता है। ईंधन के रूप में लकड़ी आदि का इस्तेमाल आम बात है। यही वजह है कि मोदी सरकार गरीब घरों को लकड़ी वाले चूल्हे से छुटकारा दिलाने के लिए उज्जवला योजना लेकर आई थी। भारत सरकार के आंकड़ों के मुताबिक मोदी सरकार ने पहले चरण में उज्जवला योजना के तहत 1 करोड़ 47 लाख एलपीजी गैस कनेक्शन दिए थे। दूसरा चरण अगस्त 2021 में शुरू हुआ, जिसके तहत 20 लाख लाभार्थी और जोड़े गए। इस योजना के तहत लाभार्थी को पहला सिलेंडर और चूल्हा मुफ्त दिया जाता है। उज्जवला योजना में जो फर्जीवाड़ा यूपी में हुआ था, उसके बारे में आप लोगों को पता ही होगा।
अगर राजनाथ का मुफ्त गैस सिलेंडर देने का वादा एक जुमला नहीं है और सरकार वाकई होली दिवाली पर मुफ्त गैस सिलेंडर यूपी में देती है तो जाहिर है कि वो सिर्फ उज्जवला के लाभार्थियों को भी मिलेगा। अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार के खजाने पर कितना बोझ पड़ेगा। जिस गैस सिलेंडर की कीमत 1 मार्च 2014 को 410 रुपये 50 पैसे थी, वही गैस सिलेंडर 900 रुपये से भी महंगा मिल रहा है। यह रेट कमर्शल इस्तेमाल वाले सिलेंडर का नहीं है।
राजनाथ के इस बयान से यह भी पता चल रहा है कि महंगाई की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी त्रस्त हैं। इन्हीं हालात को भांपकर शायद राजनाथ सिंह ने साल में दो गैस सिलेंडर मुफ्त देने का वादा किया है।
बहरहाल, प्रधानमंत्री मोदी आज बस्ती, देवरिया में थे तो गृह मंत्री अमित शाह भी बलिया, बांसडीह, नौतनवा में थे। लेकिन मोदी और शाह में किसी ने भी मुफ्त सिलेंडर की घोषणा नहीं की। प्रधानमंत्री यूक्रेन से आए स्टूडेंट्स की वापसी को इस चुनाव में भुना रहे थे तो अमित शाह के पास आतंकवाद, गुंडाराज का पुराना राग था। प्रधानमंत्री ने तीसरी बार यूक्रेन का जिक्र अपने भाषणों में किया है। ताज्जुब है कि पूर्वांचल की जिस बेल्ट में आज दोनों नेता घूम रहे थे, उसी बेल्ट के 12 जिलों में आज मतदान भी हो रहा था, जिसमें अयोध्या भी शामिल है। लेकिन मोदी और शाह ने एक बार भी अयोध्या या राम मंदिर का जिक्र अपने भाषणों में नहीं किया। दोनों नेता पिछले तीन महीने से यूपी की खाक छान रहे हैं लेकिन राम मंदिर जैसा लोकप्रिय मुद्दा इनके भाषणों से गायब है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो फिर भी कभी कभार अयोध्या और राम मंदिर का जिक्र कर देते हैं।
पीएम मोदी इससे पहले मुफ्त राशन योजना का जिक्र अपनी यूपी की जनसभा में कर चुके हैं। मोदी ने कहा था कि लोग उस नमक का कर्ज इस चुनाव में उतारना चाहते हैं। मोदी के इस भाषण के बाद मीडिया के एक खास वर्ग ने यह नेरेटिव चलाया कि केंद्र की बीजेपी सरकार की मुफ्त राशन योजना से कोरोना काल में गरीबों को कितनी मदद मिली है और वे मोदी और बीजेपी के मुरीद हो चुके हैं।
हकीकत इससे अलग है। कोरोना काल में सरकारी राशन की कालाबाजारी का हाल किसी से छिपा नहीं है। तमाम शहरों या बड़े गांवों में इनकी जो दुकानें हैं, उनके जरिए जिस तरह गरीब का राशन किस तरह ब्लैक मार्केट या राशन माफिया के पास पहुंचता है। कम से कम उस नमक को खाने वाला तो राशन माफिया है। वो पहले से तमाम राजनीतिक दलों का कोर वोटर है। इस तरह 5 किलो मुफ्त राशन के नमक की कीमत गरीब तो चुकाने से रहा। पांचवें चरण में आज जो मतदान हो रहा है, उसी से पता चलता है कि शहरों के बजाय गांवों में वोट ज्यादा पड़ रहे हैं। तमाम राजनीतिक वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्यादा वोट पड़ने का अर्थ है कि हवा सरकार विरोधी है। 10 मार्च को साफ हो जाएगा कि गरीब ने पीएम मोदी को नमक की कीमत चुकाई है या नहीं। फिर 2024 में होली-दिवाली के मुफ्त गैस सिलेंडर की कीमत चुकानी होगी, तब उसकी बात करेंगे।