बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को अपनी पार्टी जदयू के मुस्लिम नेताओं के साथ एक बैठक की है। इस बैठक में बिहार के सभी 38 जिलों से आए मुस्लिम नेता शामिल हुए।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक नीतीश कुमार ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को भाजपा की बी टीम बताते हुए अपनी पार्टी के मुस्लिम नेताओं को सावधान रहने को कहा है।
सीएम आवास पर हुई इस बैठक में उन्होंने कहा है कि भाजपा की यह बी टीम वोट काटने के लिए जगह-जगह अपने उम्मीदवारों को उतरेगी। उन्होंने मुस्लिम नेताओं से अपील की है कि वे उनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने दे।
इस बैठक के दौरान सीएम नीतीश ने कहा कि वे अल्पसंख्यकों के कल्याण और उनके विकास के लिए काम करते रहेंगे। कहा कि हम जब एनडीए के साथ थे तब भी अल्पसंख्यकों के लिए बगैर किसी दबाव के काम किया है।
बैठक में नीतीश कुमार ने मुस्लिम नेताओं को भरोसा दिलाया कि अल्पसंख्यकों के विकास के लिए वे आगे भी काम करते रहेंगे। बैठक में राज्य भर से आए जदयू के मुस्लिम नेताओं ने अपनी विभिन्न मांगों से भी मुख्यमंत्री को अवगत कराया।
राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बैठक के जरिये नीतीश कुमार ने राज्य सरकार द्वारा मुस्लिम समाज के लिए किए गये कार्यों का संदेश पहुंचाने की कोशिश की है। कोशिश की गई है कि मुस्लिम समाज को पता चले कि सरकार ने उनके लिए कौन-कौन सी योजनाएं चलाई हैं और क्या काम किए गये हैं।
बिहार में है 17.70 प्रतिशत मुस्लिम आबादी
जाति गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद सीएम नीतीश कुमार की जदयू के मुस्लिम नेताओं के साथ हुई इस बैठक के कई राजनैतिक मतलब निकाले जा रहे हैं। सीएम नीतीश जानते हैं कि बिहार में 17.70 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है जो कि एक बड़ा वोट बैंक हैं। ऐसे में नीतीश कुमार इस वोट बैंक को अपने से दूर नहीं जाने देना चाहते हैं।जाति गणना के आंकड़े बताते हैं कि बिहार में ईबीसी, ओबीसी और दलितों के बाद मुस्लिम समाज सबसे बड़ा वोट बैंक है। इसलिए जदयू इस वोट बैंक को अपने पाले में करने की कोशिश मे है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि महागठबंधन में शामिल जदयू, राजद और कांग्रेस की कोशिश है कि आगामी लोकसभा चुनाव में किसी भी हाल में मुस्लिम वोटों का बंटवारा नहीं हो।
पिछले विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने बिहार के सीमांचल इलाके में कई सीटों जीत दर्ज की थी और कई सीटों पर बड़ा वोट काट कर राजद जैसी पार्टी को हरवाने का काम किया था। बिहार में ओवैसी की लोकप्रियता पिछले चुनाव में काफी देखने को मिली थी।
ऐसे में नीतीश कुमार को इस बात की चिंता होगी कि कहीं फिर लोकसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी मुसलमानों का बड़ा वोट शेयर पाने में कामयाब नहीं हो जाए।
बिहार की कुल आबादी में 10 प्रतिशत पसमांदा मुस्लिम हैं
जाति गणना के आंकड़े बताते हैं कि बिहार में मुस्लिम आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा अति पिछड़ा मुस्लिम आबादी है। इनकी संख्या बिहार की कुल आबादी का करीब 10 प्रतिशत है। इन्हें ही पसमांदा मुसलमान भी कहा जाता है।इस 10 प्रतिशत आबादी को अपने पाले में लाने की कोशिश भाजपा ने भी शुरु कर दी है। राजद का पहले से ही यह वर्ग परंपरागत वोट बैंक माना जाता है। संभावना जताई जा रही है कि ऐसे में नीतीश कुमार इस वर्ग को अपने पाले में लाने के लिए जल्द ही कोई बड़ी घोषणा कर सकते हैं।
पहले मुस्लिमों में अति पिछड़े मुस्लिमों के सवाल हाशिये पर रहते थे लेकिन जाति गणना ने राजनैतिक दलों को पसमांदा या अति पिछड़े पर ध्यान देने के लिए मजबूर कर दिया है।
माना जा रहा है कि जदयू आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में पसमांदा मुसलमानों को टिकट देने में तरजीह दे सकती है। जदयू इस तबके में अपनी पकड़ बनाने के लिए खास रणनीति के तहत काम कर रहा है।