आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं। पक्ष और विपक्ष अपने अपने स्तर पर एकता के प्रयासों में लगे हुए हैं। विपक्ष की तरफ से इसका जिम्मा उठाया है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने। नीतीश के इन प्रयासों पर प्रशांत किशोर ने निशाना साधा है।
राजनीतिक रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर कई पार्टियों को अपनी सेवाएं देने के बाद खुद की राजनीतिक जमीन तलाश कर रहे हैं। अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने गृह राज्य बिहार को चुना है। इसी सिलसिले में उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर एक बयान दिया है।
नीतीश पर निशाना साधते हुए प्रशांत किशोर ने कहा है कि नीतीश कुमार को देश में एकता बनाने से पहले अपनी लंगड़ी सरकार पर ध्यान देना चाहिए, और बिहार की चिंता करनी चाहिए। प्रशांत केवल यहीं नहीं रुके और उन्होंने तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने पहली कैबिनेट बैठक में ही 10 लाख नौकरियां देने की बात की थी, सबको पता है कि वह 10 लाख नौकरियां नहीं दे सकते। तेजस्वी यादव लालू प्रसाद यादव के बेटे नहीं होते तो क्या उन्हें देश में कहीं नौकरी मिलती?
प्रशांत किशोर का यह बयान ऐसे समय पर आया है जबकि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव साथ में देश के तमाम विपक्षी नेताओं से मिलने के लिए निकले हुए हैं। नीतीश कुमार ने केंद्र की बीजेपी सरकार को हटाने के लिए विपक्ष को एकजुट करने का जिम्मा लिया हुआ है।
नीतीश कुमार ने कल सोमवार को उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की। उनकी यह मुलाकात बहुत हद तक सफल भी मानी जा रही है। क्योंकि उन्हें दोनों ही नेताओं ने गठबंधन के साथ आने का भरोसा दिया हुआ है।
नीतीश के इन प्रयासों का अभी तक हासिल ममता बनर्जी का साथ आना है। क्योंकि माना जा रहा था कि वो कांग्रेस के साथ वाले किसी भी गठबंधन में आने की इच्छुक नहीं हैं। लेकिन नीतीश कुमार कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात के बाद ही इस तरह के प्रयास कर रहे हैं।
विपक्षी नेताओं से इस मुलाकात के पहले कयास लगाए जा रहे थे कि नीतीश कुमार खुद को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करवाने के लिए यह प्रयास कर रहे हैं, लेकिन कल अखिलेश और ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद उन्होंने साफ कर दिया है कि वे इस पद के दावेदार नहीं हैं।