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आरजेडी की इफ़्तार पार्टी में पहुंचे सीएम नीतीश कुमार

आरजेडी की इफ़्तार पार्टी में पहुंचे सीएम नीतीश कुमार

नीतीश कुमार के आरजेडी की इफ़्तार पार्टी में पहुंचने को क्या सिर्फ राजनीतिक शिष्टाचार माना जाना चाहिए या बिहार की सियासत में नीतीश कुमार एक बार फिर करवट बदलने की तैयारी कर रहे हैं। 

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शुक्रवार शाम को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की ओर से आयोजित इफ्तार पार्टी में पहुंचे। इफ्तार पार्टी में राबड़ी देवी के अलावा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, उनके भाई तेजप्रताप यादव, राज्यसभा सांसद मीसा यादव सहित आरजेडी के कई बड़े नेता मौजूद रहे।

आरजेडी की ओर से 5 साल बाद इफ़्तार पार्टी रखी गई थी। क्योंकि बीते कई सालों से आरजेडी के मुखिया लालू प्रसाद यादव जेल में हैं और इस वजह से इफ़्तार पार्टी का आयोजन नहीं हो सका था। 

इफ़्तार पार्टी में चिराग पासवान, पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन भी मौजूद रहे।

नीतीश कुमार के इस इफ़्तार पार्टी में जाने से तमाम तरह की सियासी अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। जैसे कि क्या नीतीश कुमार फिर से आरजेडी के साथ दोस्ती बढ़ा रहे हैं। इससे पहले जाति जनगणना के मुद्दे पर भी नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव साथ-साथ दिखाई दिए थे। जाति जनगणना के मुद्दे पर बीजेपी और जेडीयू में तलवारें खिंची हुई हैं।

सबसे बड़ी पार्टी बनी बीजेपी 

बिहार के सियासी हलकों में यह चर्चा आम है कि नीतीश बीजेपी की बढ़ती ताकत से परेशान हैं। विधानसभा चुनाव में बीजेपी को नीतीश कुमार की जेडीयू से कहीं ज्यादा सीटें मिली थी और हाल ही में मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी के 3 विधायकों को तोड़ने के बाद बीजेपी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। 

 - Satya Hindi

नीतीश को लेकर चर्चाएं 

नीतीश कुमार के राज्यसभा जाने या राष्ट्रपति बनने की चर्चाएं भी बीते दिनों बिहार से लेकर दिल्ली तक की सियासत में सुनाई दी हैं। हाल ही में हुए बोचहां सीट के उपचुनाव में आरजेडी ने बीजेपी को शिकस्त दी थी और यह माना गया था कि आगे बढ़ रही बीजेपी की इस हार से नीतीश कुमार को थोड़ी सी राहत जरूर मिली है।

अपना सीएम चाहती है बीजेपी 

बिहार की राजनीति में यह चर्चा आम है कि बीजेपी राज्य में अपने किसी नेता को मुख्यमंत्री बनाना चाहती है। उसके पास जेडीयू से कहीं ज्यादा सीटें हैं लेकिन वह अपने दम पर सरकार नहीं बना सकती शायद इसी वजह से वह कोई बड़ा कदम उठाने से हिचक रही है। नीतीश कुमार इस बात को बेहतर ढंग से जानते हैं कि बीजेपी के मंसूबे क्या हैं इसलिए वह भी फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ा रहे हैं। 

नीतीश कुमार लंबे वक्त से बीजेपी के साथ हैं लेकिन बीच में कुछ साल उन्होंने आरजेडी के साथ मिलकर भी बिहार में सरकार चलाई है। हालांकि जेडीयू का कहना है कि नीतीश कुमार के इफ़्तार पार्टी में जाने को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। लेकिन सियासत में कब क्या हो जाए, कोई नहीं जानता। 

बीजेपी और जेडीयू भले ही लंबे वक्त से बिहार में मिलकर सरकार चला रहे हैं लेकिन धारा 370, तीन तलाक जैसे कई मुद्दों को लेकर इन दोनों दलों की विचारधारा पूरी तरह अलग रही है। बहरहाल, नीतीश कुमार के आरजेडी की इफ़्तार पार्टी में जाने से कुछ वक्त के लिए तमाम तरह की सियासी अटकलों को बल जरूर मिल गया है।

122 विधायक चाहिए 

बिहार विधानसभा में कुल 243 विधायक हैं। इसलिए सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत होगी। बीजेपी के 77 और जीतनराम मांझी के चार विधायकों को जोड़कर 81 विधायक होते हैं। ऐसी सूरत में बीजेपी को सरकार बनाने के लिए 41 विधायक और चाहिए और इसके लिए उसे कांग्रेस और जेडीयू में बहुत बड़ी तोड़फोड़ करनी होगी, जो लगभग असंभव है। जेडीयू के पास 43 विधायक हैं। 

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