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कोटा: 100 तक पहुंचा बच्चों की मौत का आंकड़ा, सियासत कर रहे राजनेता

कोटा: 100 तक पहुंचा बच्चों की मौत का आंकड़ा, सियासत कर रहे राजनेता

जेके लोन अस्पताल बच्चों का बहुत बड़ा अस्पताल है लेकिन लगातार हो रही मौतों से पता चलता है कि यहां पर स्वास्थ्य सुविधाएं बदतर हैं। 

देश के तमाम राज्यों में नौनिहालों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जाती हैं। राज्य सरकारें दावा करती हैं कि उनकी योजनाओं से शिशुओं, छोटे बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर हुआ है लेकिन समय-समय पर सरकारी लापरवाही से होने वाली बच्चों की मौत इन राज्यों के शासकों को आइना दिखाती है। लेकिन राज्य सरकारें ऐसे मामलों में अपनी जवाबदेही तय करने के बजाय बात को इधर-उधर घुमा देती हैं। इसके बाद नेता सियासत में जुट जाते हैं और असल मुद्दे पीछे छूट जाते हैं। 

कोटा के जेके लोन अस्पताल में पिछले कई दिनों से बच्चों की मौत हो रही है। इस सरकारी अस्पताल में 23-24 दिसंबर को 48 घंटे में 10 बच्चों की मौत हुई थी। पिछले 2 दिनों में 9 और बच्चों की मौत हो चुकी है और यह आंकड़ा बढ़कर 100 पहुंच चुका है। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, अस्पताल के अधीक्षक ने कहा है कि बच्चों की मौत वजन कम होने के कारण हुई है। जेके लोन अस्पताल बच्चों का बहुत बड़ा अस्पताल है लेकिन लगातार हो रही मौतों से पता चलता है कि यहां पर स्वास्थ्य सुविधाएं बदतर हैं। 

जब राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कोटा में बच्चों की मौत को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बीजेपी के शासनकाल में भी मौतें हुई हैं जबकि उनके समय में कम मौतें हुई हैं। ऐसा लगता है कि गहलोत ने ख़ुद पर जिम्मेदारी लेने के बजाय बात को इधर-उधर घुमा दिया। ऐसा ही कुछ 2017 में उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुआ था, जब ऑक्सीजन की कमी से 60 से ज़्यादा बच्चों की मौत हुई थी और इसकी जाँच करने के बजाय कि अस्पताल में आॉक्सीजन की कमी कैसे हुई, क्यों इसका बिल नहीं चुकाया गया, बच्चों को बचाने में जुटे डॉ. कफ़ील ख़ान को विलेन के रूप में पेश किया गया था। हालांकि कफ़ील राज्य सरकार की ही रिपोर्ट में बेदाग़ साबित हुए थे। 

कोटा में बच्चों की मौत के मामले को लेकर विपक्ष गहलोत सरकार पर हमलावर है। मंगलवार को बीजेपी संसदीय दल के एक प्रतिनिधिमंडल ने अस्पताल का दौरा किया और कहा कि एक बिस्तर पर 2 से 3 बच्चे हैं और अस्पताल के पास पर्याप्त संख्या में नर्स नहीं हैं। लेकिन बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल को इस सवाल का जवाब भी देना चाहिए कि इससे पहले राजस्थान में बीजेपी की ही सरकार थी, आख़िर तब क्यों नहीं उन्होंने इस दिशा में ठोस काम किए जिससे बच्चों की मौत रुक जाती। बच्चों की मौत को लेकर बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने वाले राष्ट्रीय आयोग ने राज्य सरकार को इस मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन का कहना है कि इस अस्पताल में बच्चों के मरने की दर बहुत ज़्यादा है। 

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने इस मामले में बयान जारी कर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी पर हमला बोला है। मायावती ने ट्वीट कर कहा है, ‘यदि कांग्रेस की महिला राष्ट्रीय महासचिव राजस्थान के कोटा में जाकर मृतक बच्चों की ‘माओं’ से नहीं मिलती हैं तो यहाँ अभी तक किसी भी मामले में यू.पी. में पीड़ितों के परिवार से मिलना, केवल इनका राजनैतिक स्वार्थ व कोरी नाटकबाज़ी ही मानी जायेगी, जिससे यू.पी. की जनता को सतर्क रहना है।’

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते हैं कि पिछले पाँच साल से इस अस्पताल में मौतें हो रही हैं। वह कहते हैं कि पहले 1500 मौतें हुई थीं लेकिन अब ग्राफ़ लगातार नीचे आ रहा है और इस बार 900 बच्चों की मौत हुई है। लेकिन राज्य का मुखिया होने के नाते उन्हें सरकारी अस्पतालों की दशा सुधारनी चाहिए और ऐसे क़दम उठाने चाहिए कि एक भी बच्चे की मौत वजन कम होने या अन्य किसी बीमारी से न हो। 

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