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अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन भारतीयों से सख़्त नफ़रत क्यों करते थे?

अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन भारतीयों से सख़्त नफ़रत क्यों करते थे?

अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन भारतीयों से सख़्त नफ़रत करते थे, उनके बार में अपमानजनक बातें करते थे और भारतीय महिलाओं के बारे में उनकी सोच बेहद घटिया थी। यहां तक कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी वह नापसंद करते थे।

अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन भारतीयों से सख़्त नफ़रत करते थे, उनके बार में अपमानजनक बातें करते थे और भारतीय महिलाओं के बारे में उनकी सोच बेहद घटिया थी। यहां तक कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी वह नापसंद करते थे और उनके बारे में बेहद अपमानजनक बातें करते थे। इसका असर उनकी विदेश नीति पर पड़ा था और शीत युद्ध के उन दिनों में भारत-अमेरिका रिश्तों पर उसकी छाप दिखती है।

इस तरह की बातें पहले भी कही जा चुकी हैं। पर हाल फिलहाल ह्वाइट हाउस के कुछ टेप को गोपनीयता से बाहर किया गया तो कुछ विस्फोटक बातें सामने आई हैं।  न्यूयार्क टाइम्स ने इस पर एक ख़बर लिखी है, जिसमे उस टेप में कही बेहद आपत्तिजनक बातों का खुलासा किया गया है।

महिला विरोधी बयान

इस टेप के मुताबिक, 17 जून, 1971, को राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन और उनके सहयोगी हेनरी किसिंजर के बीच बातचीत हुई थी। इसमें निक्सन ने कहा था, 'इसमें कोई संदेह नहीं कि दुनिया की सबसे आकर्षणहीन महिलाएं भारत की होती हैं, निसंदेह।' उन्होंने इसी बातचीत में कहा था,

'भारतीय महिलाओं में कामुकता नही होती है, बिल्कुल नहीं। लोग काले अफ्रीकियों के बारे में क्या कहते हैं, पर उनमें जानवरों की तरह ही सही, एक आकर्षण तो होता है, पर हे भगवान!, भारतीय! इनमें तो कुछ नहीं है।'


रिचर्ड निक्सन, पूर्व राष्ट्रपति, अमेरिका

दरअसल न्यूयॉर्क टाइम्स में यह लेख प्रिन्सटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गैरी जे बैस ने लिखा है। बैस ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए ई-मेल में कहा है कि निक्सन की भारत विरोधी भावनाओं के मूल में यही सब था। निक्सन भारत के निर्गुट आन्दोलन को नापसंद करते थे और सोवियत संघ के साथ भारत के रिश्तों को लेकर हमेशा संदेह करते थे।

किसिंजर भी भारत-विरोधी

बैस ने कहा, 'निक्सन की भारत विरोधी भावनाएं तब और मजबूत हो गईं जब जॉन एफ़ कैनेडी ने भारत समर्थक नीतियां अपना लीं। सबसे बड़ी वजह यह थी कि निक्सन और इंदिरा गांधी दोनों एक दूसरे से नफ़रत करते थे।'

हेनरी किसिंजर के विचार भी निक्सन की तरह ही थे। उन्होंने भारत में तैनात तत्कालीन अमेरिकी राजदूत केनेथ बी कीटिंग की मौजूदगी में कहा था, 

'राष्ट्रपति महोदय! भारतीय लोग बहुत बड़े चापलूस होते हैं। चापलूसी में उन्हें महारत हासिल है। पिछले 600 सालों से वे इसी भरोसे जीवित हैं।'


हेनरी किसिंजर, पूर्व विदेश मंत्री, अमेरिका

भारत में लोकतंत्र का हवाला

निक्सन को भारत की जनसंख्या से भी बहुत चिढ़ थी। जब हेनरी किसिंजर ने उन्हें बताया कि भारत की जनसंख्या 55 करोड़ है तो निक्सन ने चिढ़ कर कहा था कि लोग उस देश में बच्चे पैदा करते ही क्यों हैं।

लेकिन किसिंजर ने उन्हें यह समझाने की कोशिश की थी कि भारत में थोड़ा बहुत ही सही, लेकिन लोकतंत्र है। इतने बड़े लोकतंत्र की उपेक्षा नहीं की जा सकती।  

निक्सन की भारत विरोधी भावनाएं पहले ही पहले ही सामने आ चुकी हैं और उस पर काफी कुछ कहा सुना जा चुका है। निक्सन इंदिरा गांधी से सख़्त नफरत करते थे, उन्होंने उनके ख़िलाफ़ गाली का प्रयोग किया था। एक बार अमेरिका गई इंदिर गांधी को उन्होंने मिलने से पहले काफी देर तक इंतजार करवाया, सिर्फ यह जताने के लिए कि वह उनकी या भारत की परवाह नहीं करते।

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