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नीरव मोदी लंदन में गिरफ़्तार, ज़मानत पर अगली सुनवाई 29 मार्च को

नीरव मोदी लंदन में गिरफ़्तार, ज़मानत पर अगली सुनवाई 29 मार्च को

हीरों के भगोड़े व्यापारी नीरव मोदी को लंदन में गिरफ़्तार कर अदालत में पेश किया गया। उन पर बैंकों से पैसे लेकर नहीं चुकाने और धोखाधड़ी करने के आरोप हैं। 

लंदन की मेट्रोपोलिटन पुलिस ने बुधवार को हीरों के भगोड़े व्यापारी नीरव मोदी को गिरफ़्तार कर वेस्टमिंस्टर अदालत में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। मोदी ने ज़मानत की अर्ज़ी पेश करते हुए अदालत से कहा कि वह क़ानून का पालन करेंगे और जाँच में भरपूर सहयोग करेंगे। मोदी ने कहा कि उन्होंने नियम के मुताबिक़ टैक्स चुकाया है और अपने काग़ज़ात जमा करवा दिए हैं। इस पर अगली सुनवाई 29 मार्च को होगी। वह तब तक पुलिस कस्टडी में ही रहेंगे। 

भारत के प्रवर्तन निदेशालय यानी एनफ़ोर्समेंट डाइरक्टरेट के कहने पर ही भारत सरकार ने नीरव मोदी के प्रत्यार्वतन के लिए ब्रिटिश सरकार से कहा। ब्रिटन के विदेश मंत्री ने इसे स्वीकार कर लिया, उसके बाद लंदन की एक अदालत ने सोमवार को मोदी की गिरफ़्तारी का वारंट जारी कर दिया था। 

नीरव मोदी पर आरोप है कि उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से अलग-अलग समय में कुल 13,000 करोड़ रुपये के क़र्ज़ लिए, उन्हें नहीं चुकाया, धोखाधड़ी की और क़र्ज लेने में भी नियम-क़ानूनों का उल्लंघन किया। बाद में वह लंदन चले गए।

मोदी ने गोल्डन वीज़ा नियमों के तहत लंदन में रहने और कामकाज करने का अधिकार हासिल कर लिया। वह इन दिनों लंदन के महँगे इलाक़े के आलीशान फ़्लैट में रहते हैं और मशहूर सेंटर पॉयन्ट में अपनी कंपनी खोल रखी है। लंदन स्थित उनकी कंपनी घड़ियों और गहनों की खुदरा बिक्री और डिज़ायन बनाने का काम करती है।

क्या कहा लंदन पुलिस ने?

लंदन की मेट्रोपोलिटन पुलिस ने एक बयान में कहा, 'भारतीय अधिकारियों की ओर से नीरव दीपक मोदी को मंगलवार, 19 मार्च को हबोर्न में गिरफ़्तार कर लिया गया।' 

कैसे शुरू हुई कार्रवाई?

ब्रिटेन में छपने वाले अख़बार 'द टेलीग्राफ़' ने बीते दिनों मोदी को लंदन की सड़कों पर घूमते हुए पाया था, उनसे बात करने की कोशिश की थी, लेकिन मोदी ने 'नो कमेंट्स' कह कर टाल दिया था। अख़बार ने अपनी वेबसाइट पर यह वीडियो भी डाला था। उसके बाद भारत में यह सवाल उठने लगा कि जिस व्यक्ति को एक अख़बार ढूंढ सकता है, उसे भारत  सरकार की एजेंसियाँ क्यों नहीं खोज सकतीं? सरकार पर दबाव पड़ने लगा तो सरकार ने ब्रिटेन से कहा कि मोदी का प्रत्यावर्तन करे। ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने कहा कि वह भारत के अनुरोध को मानते हैं। उसके बाद ही नीरव मोदी के ख़िलाफ़ वारंट जारी किया गया। 

गिरफ़्तारी से चुनाव का क्या रिश्ता?

पर्यवेक्षकों का कहना है कि नीरव मोदी के ख़िलाफ़ यह कार्रवाई नरेंद्र मोदी सरकार ने चुनाव को ध्यान में रख कर की है। नीरव मोदी की प्रधानमंत्री से निकटता की ख़बरें छपी थीं और सरकार की काफ़ी फ़जीहत हुई थी। अब सरकार यह दिखाना चाहती है कि वह नीरव मोदी के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई कर रही है और उसे हर हाल में भारत लाया जाएगा।

नीरव मोदी की गाड़ियाँ होंगी नीलाम

एनफ़ोर्समेंट डाइरेक्टरेट यानी ईडी ने कहा है कि बुधवार को मुंबई की पीएमएलए अदालत ने नीरव मोदी की 173 पेटिंग्स और 11 लग्ज़री गाड़ियों को नीलाम करने की अनुमति दे दी है।  इसके पहले ही नीरव की पत्नी एमी मोदी के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वारंट कर दिया गया। उन पर मनी लॉन्डरिंग के आरोप हैं। 

मामला माल्या का

नीरव मोदी से मिलता जुलता मामला शराब उद्योग के बादशाह समझे जाने वाले विजय माल्या का है। विजय माल्या ने स्टेट बैंक समेत कई बैंकों से तकरीबन 10,000 करोड़ रुपये के क़र्ज़ लिए, पैसे नहीं चुकाए, धोखाधड़ी की और लंदन चले गए। वहाँ उन्होंने रहने का हक़ हासिल कर लिया। इस पर भारत में हल्ला मचा तो सरकार ने प्रत्यावर्तन के लिए ब्रिटेन पर दबाव डाला। वह गिरफ़्तार किए गए, अदालत गए, मामला चला। अंत में लंदन की एक अदालत ने उन्हें भारत वापस भेजने की माँग मान ली। लेकिन उनका मामला गृह मंत्रालय में अटका हुआ है। वह फ़िलहाल ज़मानत पर हैं और लंदन में ही हैं।

 - Satya Hindi

उद्योगपति विजय माल्या (फ़ाइल फ़ोटो)

क्या होगा अदालत में?

लंदन की अदालत इस पर विचार करेगी कि हीरों के इस व्यापारी पर जो आरोप लगे हैं उनके तहत ब्रिटेन में मुक़दमा चलाया जा सकता है या नहीं। यह सवाल भी उठेगा कि भारत भेजे जाने से क्या मोदी के मानवाधिकारों का उल्लंघन होगा। भारत सरकार को ब्रिटिश अदालत को यह भरोसा दिलाना होगा कि मोदी को अदालत में अपनी बात रखने का पूरा मौका मिलेगा और जेल में उनका पूरा ख़्याल रखा जाएगा। किंगफ़िशर के मालिक विजय माल्या के प्रत्यावर्तन के मामले में भी इन बातों का ध्यान रखा गया था।

नीरव मोदी का अगल कदम?

अदालत ने यदि प्रत्यावर्तन के दावे को सही पाया और भारत के आश्वासनों को मान लिया तो वह ब्रिटेन के गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी देगी। ब्रिटिश गृह मंत्री साज़िद जाविद इस पर विचार करेंगे कि इस मामले में क्या किया जाए। यदि उन्होंंने प्रत्यावर्तन को हरी झंडी दे दी, उसके बाद मोदी को यह ह़क होगा कि वह 14 दिनों के अंदर इसके ख़िलाफ़ अपील करें। उन्होंने अपील नहीं की तो उन्हें 28 दिनों में भारत भेज दिया जाएगा। लेकिन यदि उन्होंने अपील की तो अदालत में फिर इस पर मुक़दमा चलेगा। 

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