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राष्ट्रपति चुनाव: एनडीए उम्मीदवार मुर्मू को मिला बीजेडी का समर्थन

राष्ट्रपति चुनाव: एनडीए उम्मीदवार मुर्मू को मिला बीजेडी का समर्थन

क्या राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार की राह आसान और विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा की राह मुश्किल हो गई है?

राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को बीजू जनता दल (बीजेडी) ने भी समर्थन दिया है। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा से ही आती हैं और एक वक्त में बीजेडी-बीजेपी की सरकार में मंत्री रही हैं। बीजेडी के अध्यक्ष और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने ओडिशा विधानसभा के सभी सदस्यों से अपील की है कि वे राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करें। 

बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का एलान किया था। अब यह माना जा रहा है कि एनडीए के उम्मीदवार के लिए राष्ट्रपति चुनाव में राह थोड़ा आसान हो जाएगी।

बीजेडी के पास विधायकों और सांसदों के कुल मिलाकर 32000 वोट हैं। ओडिशा में बीजेडी के 114 विधायक हैं जबकि लोकसभा में 12 सांसद हैं और राज्यसभा में उसके 9 सांसद हैं। यह माना जा रहा है कि द्रौपदी मुर्मू को क्षेत्रीय दलों एआईएडीएमके और वाईएसआर कांग्रेस का भी समर्थन मिल सकता है।

मार्च में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को चार राज्यों में बड़ी सफलता मिली थी और इस वजह से राष्ट्रपति के चुनाव में उसे बढ़त हासिल हो चुकी है।

दूसरी ओर, विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा भी विपक्षी दलों का समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं।

राष्ट्रपति के चुनाव में 776 सांसद और 4033 विधायक मतदान करेंगे। इस तरह इस चुनाव में कुल 4809 मतदाता हैं। सांसदों के वोट की कुल वैल्यू 5,43,200 है जबकि विधायकों के वोट की वैल्यू 5,43,231 है और यह कुल मिलाकर 10,86,431 होती है। इसमें से जिस उम्मीदवार को 50 फ़ीसद से ज्यादा वोट मिलेंगे, उसे जीत हासिल होगी। 

 - Satya Hindi

द्रौपदी मुर्मू का प्रोफाइल

द्रौपदी मुर्मू ने भुवनेश्वर के रमा देवी महिला कॉलेज से बी.ए. किया है। द्रौपदी मुर्मू ने 1979 से 1983 तक ओडिशा सरकार के सिंचाई और ऊर्जा महकमे में जूनियर असिस्टेंट के रूप में काम किया। 1994 से 1997 तक रायरंगपुर में श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में बतौर शिक्षक भी उन्होंने काम किया है। 

द्रौपदी मुर्मू ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1997 में रायरंगपुर में काउंसलर का चुनाव जीतकर की और वह वाइस चेयरपर्सन भी बनीं। वह 1997 में बीजेपी की एसटी मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष बनीं। 

साल 2000 से 2004 तक वह रायरंगपुर सीट से विधायक रहीं और उस दौरान बीजेडी-बीजेपी की सरकार में परिवहन और वाणिज्य मामलों सहित कई मंत्रालयों की स्वतंत्र प्रभार की मंत्री भी रहीं।

साल 2002 से 2009 तक द्रौपदी मुर्मू बीजेपी के एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य रहीं। 2004 से 2009 तक भी वह रायरंगपुर सीट से विधायक रहीं। 2006 से 2009 तक वह ओडिशा बीजेपी एसटी मोर्चा की अध्यक्ष रहीं। 

2010 में वह ओडिशा के मयूरभंज पश्चिम जिले में बीजेपी की अध्यक्ष बनीं और 2013 में इस पद पर फिर से चुनी गईं और अप्रैल 2015 तक रहीं। साल 2015 में उन्हें झारखंड का राज्यपाल बनाया गया।

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