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फ्लोर टेस्ट: देशमुख और नवाब मलिक पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

फ्लोर टेस्ट: देशमुख और नवाब मलिक पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

महाराष्ट्र के ताज़ा सियासी हालात में यह साफ दिखाई दे रहा है कि शिवसेना की अगुवाई वाली महा विकास आघाडी सरकार अल्पमत में आ चुकी है। ऐसे में उसके लिए एक-एक विधायक का वोट बेहद जरूरी है।

महाराष्ट्र सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री अनिल देशमुख और कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक बुधवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। उन्होंने अदालत में अर्जी दायर कर मांग की है कि उन्हें 30 जून को होने वाले फ्लोर टेस्ट में वोट डालने का हक दिया जाए। बताना होगा कि नवाब मलिक और अनिल देशमुख जेल में हैं और इससे पहले उन्हें राज्यसभा और विधान परिषद के चुनाव में भी वोट डालने की अनुमति नहीं दी गई थी।

तब शिवसेना ने कहा था कि नवाब मलिक और अनिल देशमुख महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य हैं तो फिर उन्हें विधान परिषद के चुनाव में मतदान करने से कैसे रोका जा सकता है। संजय राउत ने कहा था कि अदालत के पीछे कोई और खेल खेल रहा है।

महाराष्ट्र में तेजी से बदल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे सरकार से 30 जून को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहा है। इसके खिलाफ शिवसेना सुप्रीम कोर्ट पहुंची है और दूसरी ओर गुवाहाटी में ठहरे बागी विधायक भी गुवाहाटी से गोवा होते हुए गुरुवार को मुंबई पहुंचेंगे। गुवाहाटी से निकलने से पहले सभी बागी विधायक कामाख्या मंदिर पहुंचे और उन्होंने दर्शन कर पूजा-अर्चना की।

 - Satya Hindi

बागी विधायकों की कयादत कर रहे एकनाथ शिंदे ने बुधवार को एक बार फिर कहा कि उनके साथ 50 विधायक हैं। शिंदे ने कहा कि फ्लोर टेस्ट के बाद ही आगे की रणनीति बनाई जाएगी। उन्होंने एक बार फिर कहा कि वे सभी बालासाहेब ठाकरे के शिवसैनिक हैं।शिंदे ने कहा कि उनके पास पूरी तरह दो-तिहाई बहुमत है और वह फ्लोर टेस्ट को लेकर बिल्कुल चिंतित नहीं हैं उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में बहुमत मायने रखता है और हमारे पास बहुमत है।

मुंबई में सुरक्षा कड़ी 

फ्लोर टेस्ट को देखते हुए मुंबई में भी सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी की गई है क्योंकि विधानसभा, राजभवन, शिवसेना भवन के आसपास मीडिया कर्मियों का जमावड़ा है और बीते दिनों में शिवसेना के बागी विधायकों के घरों और दफ्तरों पर हमला भी हुआ है। 

शिवसेना के द्वारा राज्यपाल के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दिए जाने के बाद सभी की नजरें सुप्रीम कोर्ट पर हैं।

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