नवजोत सिंह सिद्धू को लेकर फिर गलती करेगा कांग्रेस हाईकमान?
पंजाब कांग्रेस में इन दिनों एक बार फिर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के नाम की जोरदार चर्चा होने लगी है। इसकी वजह यह है कि कुछ दिन पहले ऐसी खबर आई थी कि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने जेल में बंद सिद्धू को एक चिट्ठी भेजी थी। इसके बाद से ही सिद्धू के जेल से निकलने के बाद उन्हें पंजाब कांग्रेस में बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चाओं ने जोर पकड़ा है। लेकिन ऐसी चर्चाओं से प्रदेश कांग्रेस के कई नेता खुद को असहज महसूस कर रहे हैं।
सिद्धू रोड रेज के मामले में इस साल मई से जेल में बंद हैं और कहा जा रहा है कि अगले 2 महीने के भीतर वह जेल से बाहर आ सकते हैं।
सिद्धू के जेल से बाहर आने और उन्हें कांग्रेस में बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चाओं से कांग्रेस के कई नेता क्यों असहज हैं, इस पर चर्चा करने के साथ ही सवाल यह भी उठता है कि क्या कांग्रेस हाईकमान सिद्धू को लेकर पूर्व में की गई अपनी गलतियों को दोहराना चाहता है? इन गलतियों को समझने के लिए फ्लैशबैक में चलना होगा।
अमरिंदर सिंह से लड़ाई
नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष जैसा बड़ा पद दिया था लेकिन सिद्धू तत्कालीन मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के खिलाफ आए दिन मोर्चा खोलते रहे। जबकि अमरिंदर सिंह कांग्रेस के पुराने सिपाही थे और सिद्धू बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आए थे और बीजेपी में रहने के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राहुल गांधी के खिलाफ तमाम तरह की आपत्तिजनक टिप्पणियां कर चुके थे।
सिद्धू के साथ लगातार टकराव के कारण अमरिंदर सिंह को अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी और विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाया गया।
चरणजीत सिंह चन्नी से भिड़े
कांग्रेस नेतृत्व को उम्मीद थी कि अब नवजोत सिंह सिद्धू नए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ मिलकर काम करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ और कुछ दिनों बाद ही सिद्धू ने मीडिया के सामने और चुनावी सभाओं में अपनी सरकार पर तमाम सवाल खड़े करने शुरू कर दिए थे।
सिद्धू चाहते थे कि कांग्रेस पंजाब के विधानसभा चुनाव में उन्हें अपना चेहरा बनाए लेकिन पार्टी ने जब चरणजीत सिंह चन्नी के नाम पर मोहर लगाई तो इसे लेकर सिद्धू खासे नाराज दिखाई दिए।
पंजाब मॉडल रखा आगे
विधानसभा चुनाव से पहले नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस की सरकार के कामकाज पर बात करने की बजाय अपने पंजाब मॉडल का ही जिक्र करते रहे और खुद को पार्टी का सबसे बड़ा नेता और पंजाब का सबसे बड़ा हितैषी साबित करने में जुटे रहे।
यहां याद दिलाना होगा कि सिद्धू ने अपनी जिद के कारण ही पंजाब में एडवोकेट जनरल और पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति के मामले में पार्टी को मुसीबत में डाल दिया था और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। तब चरणजीत सिंह चन्नी सरकार को उनकी बात माननी पड़ी थी।
इस सबका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस की विधानसभा चुनाव में करारी हार हुई।
नहीं रुकी बयानबाजी
चुनाव नतीजे आने के बाद भी सिद्धू चुप नहीं हुए और लगातार बयानबाजी करते रहे। पंजाब कांग्रेस के नए अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने जब अपना कार्यभार संभाला था तो सिद्धू कार्यक्रम में नहीं पहुंचे थे और अन्य कांग्रेस नेताओं से मुलाकात कर खुद को कांग्रेस का सबसे बड़ा नेता साबित करने की कोशिश की थी।
चुनाव नतीजों के बाद सिद्धू के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी कांग्रेस के अंदर कई बार उठी थी लेकिन न जाने क्यों गांधी परिवार ने सिद्धू के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की। ऐसे में सवाल उठा था कि आखिर सिद्धू को कांग्रेस में संरक्षण कौन दे रहा है। क्रिकेटर से राजनेता बने सिद्धू को कौन बचा रहा है और आखिर कांग्रेस कब सिद्धू पर अनुशासन का झंडा चलाएगी।
लेकिन अब जब सिद्धू के जेल के वापस आने के बाद उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चा है तो फिर से कांग्रेस के नेताओं में यह चिंता शुरू हो गई है कि सिद्धू कहीं एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस के अंदर वैसी ही उथल-पुथल न पैदा कर दें।
कुछ दिन पहले सिद्धू के मीडिया सलाहकार सुरेंदर दल्ला ने ट्वीट करके कहा कि नवजोत सिद्धू के जेल से बाहर आने के बाद मिशन 2024 शुरू होगा और पंजाब के हक की लड़ाई भी शुरू होगी। उन्होंने कहा कि पंजाब आज भी उसी मोड़ पर खड़ा है जहां से सिद्धू अपने पंजाब मॉडल के सहारे इसे निकालना चाहते थे और पंजाब के इंजन को बदले जाने की जरूरत है।
पंजाब मॉडल
याद दिलाना होगा कि सिद्धू ने विधानसभा चुनाव से पहले अपने 13 बिंदुओं वाले पंजाब मॉडल का जोर-शोर से जिक्र किया था। इसमें उन्होंने महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार, उद्योग, कानून और व्यवस्था, किसानों के मुद्दे, सामाजिक मुद्दों आदि को रखा था।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सिद्धू को जिम्मेदारी मिलने की चर्चाओं के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह रंधावा ने कहा कि कांग्रेस 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले ही पंजाब में बेहद खराब स्थिति में थी, क्या अब हमें सिद्धू को जिम्मेदारी देकर इस दिशा में कुछ और करने की जरूरत है।
सिद्धू के एक सहयोगी ने अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सिद्धू 2024 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते लेकिन जेल से बाहर आने के बाद वह पार्टी और संगठन की मजबूती के लिए निश्चित तौर पर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि आप सिद्धू को एक बदले हुए शख्स के रूप में देखेंगे और अब उनमें काफी धैर्य भी दिखाई देगा।
एक अन्य कांग्रेस नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि पार्टी को एक मजबूत नेता की जरूरत है और सिद्धू ऐसे नेता साबित होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार को भी एक मजबूत विपक्ष की जरूरत है।
जेल में तक नहीं मिले सिद्धू
हालांकि कई अन्य नेता सिद्धू को जिम्मेदारी मिलने की चर्चाओं से चिंतित भी दिखाई दिए। एक कांग्रेस नेता ने अखबार से कहा, सिद्धू को जब प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था तब उन्होंने क्या किया। कांग्रेस के पास उस वक्त दुबारा चुनाव जीतने का सुनहरा मौका था लेकिन लगातार लड़ाई और सिद्धू के अपनी ही पार्टी का लगातार विरोध करते रहने की वजह से मौका हाथ से निकल गया। उन्होंने यह भी कहा कि सिद्धू कभी नहीं बदलेंगे। उन्होंने कांग्रेस के कई नेताओं से जेल में भी मुलाकात नहीं की जबकि बहुत सारे लोग सिर्फ एकजुटता व्यक्त करने के लिए उनसे मिलना चाहते थे।
तो क्या कांग्रेस हाईकमान नवजोत सिंह सिद्धू को वाकई बड़ी जिम्मेदारी देगा। सिद्धू के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए यह नहीं कहा जा सकता कि वह प्रदेश कांग्रेस को एकजुट करके पंजाब में 2024 की चुनावी लड़ाई मजबूती से लड़ेंगे। यह देखने वाली बात होगी कि क्या वह खुद में बदलाव करेंगे और कांग्रेस को मजबूत करने के काम में जुटेंगे?