नसीरुद्दीन शाह के बयानों पर प्रतिक्रिया देने से पहले हमें यह सोचना चाहिए कि उन्होंने ऐसी बात किन तथ्यों को लेकर कही है और इसके पीछे की वजह क्या है। दरअसल, हम सब एक ऐसे दौर से गुज़र रहे हैं जब हमें सवाल सुनना पसंद ही नहीं है। क़ाबिले-ग़ौर बात यह भी है कि सवाल से ज़्यादा हंगामा इस बात पर है कि सवाल पूछ कौन रहा है।
ऐसा पहली बार नहीं है जब किसी ने ऐसा बयान दिया हो। इससे पहले आमिर ख़ान ने एक कार्यक्रम में कहा था कि ‘देश के उग्र माहौल को लेकर चिंतित उनकी पत्नी किरण ने उनसे देश छोड़ने तक का ज़िक़्र किया था।’ तब भी वही स्थिति थी। फ़र्क़ बस इतना था कि तब ट्रोल और न्यूज़ चैनलों के प्राइम टाइम में बहस के केंद्र में आमिर ख़ान थे और अब नसीरुद्दीन शाह हैं|
क्या कहा था नसीरुद्दीन शाह ने?
‘कारवाँ-ए-मोहब्बत-इंडिया’ से एक साक्षात्कार के दौरान नसीरुद्दीन शाह ने बुलंदशहर में हुई हिंसक घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘मैं अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हूँ और गुस्से में हूँ।’ उन्होंने कहा कि देश में जिस तरह का ज़हर फैलाया गया है, अब उसे रोकना मुश्किल लग रहा है|
उन्होंने कहा कि हमने अपने बच्चों को किसी ख़ास धर्म की शिक्षा नहीं दी है। ऐसे में अगर कभी भीड़ ने मेरे बच्चों को घेर लिया, तो वे क्या जवाब देंगे (कि वे हिंदू हैं या मुस्लिम)!
पिछले कुछ सालों से देश में हो रही मॉब लिंचिंग के क्रम में नई-नई शामिल होने वाली बुलंदशहर हिंसा पर उन्होंने हैरानी जताई कि ‘गाय की मौत को पुलिस अधिकारी की हत्या से ज्यादा तवज्जो दी गई…लोग क़ानून अपने हाथ में लेकर घूम रहे हैं और उन्हें खुली छूट भी दे दी गई है|’
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सवाल के जवाब में सवाल!
नसीरुद्दीन शाह ने यह बयान क्या दे दिया, हिंदूवादी लोग, संगठन और यहाँ तक कि न्यूज़ चैनल भी उन पर टूट पड़े और उन्हें अपने तर्क से ग़लत साबित करने में लग गए। लेकिन मेरा सवाल यह है कि क्या इससे पहले मॉब लिंचिंग, प्रशासनिक लापरवाही, गोरक्षकों की गुंडई आदि को लेकर सवाल खड़े नहीं किए गए हैं? खुद मीडिया हजारों दफ़ा इन सब मुद्दों पर सवाल कर चुका है और दोषियों को कठघरे में खड़ा कर चुका है।
लोगों के जे़हन में हैं सवाल
दरअसल, नसीरुद्दीन शाह ने कोई नई बात नहीं उठाई है। आप अपने आसपास देख लीजिए, आपको वही दिखेगा जो वे कह रहे हैं। आप किसी आम आदमी से भी पूछ लीजिए। उसके ज़ेहन में भी यही सब सवाल हैं। यह अलग बात है कि सरकार, प्रशासन, सत्तारूढ़ दल और बहुसंख्यक तबक़ा चीख-चीख कर कहता रहे - ऑल इज़ वेल, सब कुछ बढ़िया है। वे ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि क्योंकि वे शिकार नहीं है और इस ज़हरीले होते समाज का शिकार भी नहीं हो रहे हैं। बोलेंगे वे ही जो शिकार हैं, जिन पर हमला हो रहा है। और जब वे बोलेंगे और जिनके ख़िलाफ़ बोलेंगे, वे उसका प्रतिकार करेंगे ही। नसीरुद्दीन शाह के मामले में भी यही हो रहा है।
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- नीचे नसीरुद्दीन का ऑरिजिनल विडियो देखें ताकि आप ख़ुद जान सकें कि नसीरुद्दीन शाह ने क्या कहा था।