किसान आंदोलन के दौरान सिखों में पैदा हुई नाराजगी को कम कर पाएंगे मोदी?
पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिख समाज के अहम लोगों से ताबड़तोड़ मुलाकातें की हैं। निश्चित रूप से यह किसान आंदोलन के दौरान सिख समुदाय के भीतर पैदा हुई नाराजगी को कम करने और इसके जरिए पंजाब के विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन को सियासी बढ़त दिलाने की कोशिश है लेकिन क्या मोदी ऐसा कर पाएंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले पंजाब के प्रमुख डेरे राधा स्वामी सत्संग ब्यास के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों से मुलाकात की और उसके बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी उनसे मिले।
प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार को बड़ी संख्या में सिख समुदाय के धार्मिक गुरुओं और अहम शख्सियतों से अपने आवास पर मिले और इसकी तसवीरें भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पंजाबी भाषा में शेयर की।
प्रधानमंत्री से मिलने वाले सिख समुदाय के अहम लोगों में बाबा जस्सा सिंह, ज्ञानी रणजीत सिंह गोहर, संत बलबीर सिंह सीचेवाल, दमदमी टकसाल के हरभजन सिंह, नामधारी समुदाय के प्रमुख सद्गुरु उदय सिंह सहित कई लोग शामिल रहे। इन सभी लोगों का पंजाब के सिख समुदाय में खासा असर है। प्रधानमंत्री ने अपने आवास पर इन लोगों को नाश्ता भी कराया।
पंजाब चुनाव में मतदान के नजदीक आते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह इतनी बड़ी संख्या में सिख समुदाय के अहम लोगों से मुलाकात की है, उससे यह सवाल जरूर उठता है कि जब एक साल तक पंजाब के लोग सर्दी, गर्मी और बरसात में दिल्ली के बॉर्डर्स पर बैठे थे तब प्रधानमंत्री को उनकी याद क्यों नहीं आई।
जब बीजेपी के नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों ने किसान आंदोलन में बैठे सिखों को खालिस्तानी और मवाली तक कहा तब प्रधानमंत्री क्यों नहीं बोले। जब लखीमपुर खीरी में किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा दी गई और 4 किसानों की मौत हो गई तब भी प्रधानमंत्री नहीं बोले।यहां तक कि इस मामले में अभियुक्त आशीष मिश्रा के पिता केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष और किसानों के विरोध के बावजूद अब तक अपने मंत्रिमंडल से नहीं हटाया है।
धुआंधार प्रचार
बीजेपी ने बीते दो हफ्तों में पंजाब में धुआंधार प्रचार किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम बड़े नेताओं ने राज्य में रैलियां कर बीजेपी गठबंधन के लिए वोट मांगे। किसान आंदोलन के दौरान पंजाब में बीजेपी के नेताओं का घरों से निकलना तक मुश्किल हो गया था। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिख समाज से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिशें क्या सिखों के भीतर पैदा हुई नाराजगी को कम कर पाई है, इसका पता चुनाव नतीजे आने पर ही चलेगा।
पंजाब में बीजेपी कभी भी एक बड़ी ताकत नहीं रही है हालांकि शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन में रहते हुए उसे सत्ता में भागीदारी जरूर मिली थी लेकिन इस बार अकाली दल भी उसके साथ नहीं है, ऐसे में देखना होगा कि प्रधानमंत्री की यह कोशिश क्या बीजेपी को किसी तरह की मदद दिला पाती है।