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यूपी: खेत में घुसने पर दलित को 50 जूते मारने, जुर्माने की मुनादी

यूपी: खेत में घुसने पर दलित को 50 जूते मारने, जुर्माने की मुनादी

क्या यूपी में कुछ लोगों की सामंती मानसिकता अभी भी नहीं गई है? क्या दलितों का मानसिक उत्पीड़न कभी ख़त्म नहीं होगा? मुजफ्फरनगर में मुनादी किए जाने का मामला क्यों आया?

मुनादी! आधुनिकता में चमचमाते महानगरों में भले ही यह शब्द दशकों पुराना लगता हो या इसके मायने भी पता नहीं हो, लेकिन कई गांवों में यह अभी भी हकीकत है! उत्तर प्रदेश में एक दलित के साथ ऐसा ही हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो सामने आया है जिसमें गांव का एक दबंग व्यक्ति मुनादी यानी घोषणा करवाता है कि दलित यदि खेत में घुसे तो उसे 50 जूते मारे जाएँगे और 5 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यह मामला एक दबंग द्वारा ऐसे तुगलकी फरमान जारी करने का है जो अवैध है और क़ानूनन जुर्म है। 

यही वजह है कि सोशल मीडिया पर वीडियो के वायरल होने के बाद पुलिस ने कार्रवाई की है और इस मामले में आरोपी और उसके साथी को गिरफ़्तार किया है। 

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो मुजफ्फरनगर के पावटी खुर्द गांव का है। उस वीडियो में देखा जा सकता है कि ढोल बजाते हुए एक युवक कह रहा है कि राजबीर प्रधान की ओर से मुनादी कराई जा रही है। मुनादी में कहा गया, 'कोई भी अनुसूचित जाति का व्यक्ति उसकी डोल पर, समाधि पर, ट्यूबवेल पर दिख गया तो पांच हजार जुर्माना लगेगा और 50 जूते भी मारे जाएँगे'। 

स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों में कहा गया है कि वीडियो में जिस राजबीर सिंह का नाम लिया जा रहा है वह उस क्षेत्र में कुख्यात अपराधी रहे विक्की त्यागी के पिता हैं। रिपोर्टों के अनुसार विक्रांत उर्फ विक्की त्यागी की फरवरी 2015 में कोर्ट में पेशी के दौरान हत्या कर दी गई थी।

बहरहाल, वायरल वीडियो जब पुलिस तक पहुँचा तो पुलिस ने कार्रवाई की। मुजफ्फरनगर पुलिस ने इस मामले में एक बयान जारी किया है। 

पुलिस ने कहा है कि पावटी खुर्द गांव में राजबीर नाम के व्यक्ति ने एक गैर कानूनी और आपत्तिजनक जातिगत टिप्पणी की व मारपीट की बात की। अधिकारी ने कहा है कि स्थानीय पुलिस ने मुक़दमा दर्ज कर लिया और राजबीर सिंह और उसके एक अन्य साथी को गिरफ्तार किया है। 

वैसे, दलितों के ख़िलाफ़ यह कोई पहला मामला नहीं है जिसमें दबंग ऊँची जाति के लोगों पर अत्याचार करने के आरोप लगे हैं। ऐसे मामले लगातार आते रहे हैं। अभी हाल ही में पिछले महीने यूपी के ही रायबरेली से ऐसे ही अत्याचार का एक मामला सामने आया था। 

तब वायरल हुए एक वीडियो में दिखा था कि कुछ युवक दलित युवक की पिटाई करते नज़र आते हैं। वीडियो में दिखा था कि युवक हाथ जोड़े खड़ा था और एक युवक उसे बेल्ट जैसी किसी चीज से पिट रहा था। वीडियो में आगे दिखा था कि पीड़ित जमीन पर दोनों हाथों से कान पकड़े हुए बैठा था। आरोपी मोटरसाइकिल पर बैठा हुआ दिखा था। पीड़ित जमीन पर डर के मारे कांप रहा था। और फिर मोटरसाइकिल पर बैठा आरोपी पीड़ित को पैर चाटने के लिए मजबूर किया था।

तब स्थानीय मीडिया में दावा किया गया था कि पीड़ित की मां ने कुछ आरोपियों के खेतों में काम किया था और पीड़ित उनसे उस काम के लिए पैसे मांग रहा था। रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोपी इसी से नाराज़ हो गया।

इससे पहले बिहार में भी ऐसी ही एक ख़बर आई थी। राज्य के औरंगाबाद ज़िले में दिसंबर महीने में दबंग जाति के एक उम्मीदवार को मुखिया चुनाव में वोट नहीं देने की वजह से दो दलितों को कथित तौर पर कान पकड़ कर उठक-बैठक करने को मजबूर किया गया। इतना ही नहीं, उन्हें थूक चाटने को मजबूर किया गया। इस मामले में अभियुक्त बलवंत सिंह को गिरफ़्तार कर लिया गया।

इस साल जनवरी में मध्य प्रदेश के नीमच जिले के एक गांव में एक दलित व्यक्ति की बारात पुलिस सुरक्षा में निकाली गई थी। दूल्हे ने अपने हाथ में संविधान की प्रति ले रखी थी। दूल्हे के परिवार ने कुछ प्रभावशाली लोगों पर बारात में बाधा डालने की आशंका जताई थी। 

पिछले साल दिसंबर में ही कर्नाटक से भी दलित उत्पीड़न की एक ख़बर आई थी। मैसूरु ज़िले के एक लिंगायत-बहुल गाँव में एक दलित युवक को इसलिए पीटा गया कि वह एक मंदिर के सामने सरकार की ओर से बनाई गई सार्वजनिक सड़क का इस्तेमाल कर रहा था। ऐसे मामले पूरे देश भर से जब तब आते रहे हैं।

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