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मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने अब भागवत को क्या लिखा?

मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने अब भागवत को क्या लिखा?

मुस्लिम समुदाय के बुद्दजीवियों से  मुलाकातों के बाद भी संघ और बीजेपी की तरफ से मुसलमानों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं में कमी नहीं आई है। इसके विरोध में और इन पांच नेताओं ने अब संघ प्रमुख मोहन भागवत को एक पत्र लिखा है।

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ और बीजेपी मुसलमानों तक अपनी पहुंच बनाना चाहते हैं। लेकिन उसके पुराने इतिहास और वर्तमान की घटनाओं को देखते हुए मुस्लिम समुदाय उस पर विश्वास करने को तैयार नहीं है। इसके बावजूद संघ ने पिछले दिनों मुस्लिम समुदाय के कुछ बड़े चेहरों को साथ लेकर एक मीटिंग की थी। इस मीटिंग में पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग तथा पत्रकार और नेता शाहिद सिद्दकी शामिल थे।

इन मुलाकातों के बाद भी संघ और बीजेपी की तरफ से मुसलमानों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं में कमी नहीं आई है। इसके विरोध में और इन पांच नेताओं ने अब संघ प्रमुख मोहन भागवत को एक पत्र लिखा है। अपने पत्र में इन लोगों ने मुसलमानों के खिलाफ हो रही घटनाओं पर आपत्ति जताई है। और मोहन से आग्रह किया है कि वे इसके खिलाफ बोलें। भागवत के अलावा इन्होंने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से भी इस तरह की घटनाओं पर कड़ी कार्रवाई करें।

एसवाई कुरैशी, नजीब जंग तथा शाहिद सिद्दकी द्वारा 23 मार्च को लिखे गये पत्र में मुसलमानों के खिलाफ लगातार की जा रहे नफरत भरे भाषणों की बमबारी, नरसंहार और मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के आह्वान के खिलाफ उन्होंने मोहन भागवत से हस्तक्षेप करने की अपील की।

संघ प्रमुख और इन पांच लोगों से मुलाकात का सिलसिला शुरु हुआ था पिछली साल अगस्त, उसके बाद इनकी दूसरी मुलाकात हुई नजीब जंग के घर 14 जनवरी को। भागवत के साथ मुलाकातों में मुस्लिम समुदाय के इन प्रमुख सदस्यों ने हेट स्पीच,मॉब लिंचिंग, और बुल्डोजर न्याय कि मुद्दे को प्रमुखता से रखा।

मुस्लिम समुदाय की दिकक्तों को सुनने के बाद भागवत ने संघ के नेताओं से बातचीत के इस सिलसिले को जारी रखने की इच्छा जताई थी। इन मीटिंग के जरिए ही संघ की तरफ से इस बात का अंदाजा लगाने की कोशिश की जा रही है कि काशी-मथुरा के मंदिरों के बगल में बनी मस्जिदों को मंदिर माने जाने को लेकर मुस्लिम समुदाय का रुख क्या रहता है।

महाराष्ट्र में की हिंदू जन आक्रोश मोर्चा के बैनर तले की जा रही रैलियों, जिनमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उलंल्घन के बाद भी मुस्लिम समुदाय के खिलाफ नफरत भरे भाषण दिये गये और उनके आर्थिक बहिष्कार का आह्वाहन किया गया था। मुस्लिम समुदाय के इन नुमांइदों ने इससे परेशान होकर भागवत से मिलने की कोशिश भी की लेकिन मुलाकात न हो पाने के कारण उन्होंने भागवत को पत्र लिखकर अपनी समस्याओँ से अवगत कराया।

पत्र में केवल इतना ही नहीं ‘संघ के देशनिर्माण के उद्देश्य की तरफ भी ध्यान दिलाया गया है और कहा गया है कि देश निर्माण तब तक सम्भव नहीं है जबतक सबको साथ लेकर न चला जाए, इसमें अल्पसंख्यक समुदाय को भी साथ लेकर चलना होगा जोकि आबादी का 20 प्रतिशत हिस्सा है। इस मौहाल में भागवत और संघ के बड़े नेताओं की कही बात के बड़ा असर है जो काफी लोगों द्वारा सुनी जाती है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि मोहन भागवत और संघ के बड़े नेता एक समुदाय विशेष के खिलाफ फैलाई जा रही नफरत के खिलाफ बोलें’ और देश निर्माण के लिए जरूरी शांति और प्यार का आह्वाहन करें।

समुदाय़ के इन नुमाइंदों ने संघ से यह भी अपील की कि वह बातचीत का दायरा बडा करे जिससे की और अधिक लोगों तक पहुंच सके। बातचीत के इस सिलसिले में जमात-ए-इस्लामी हिंद तथा जमीअत-उल्मा-ए-हिंद जैसे संगठनों को भी शामिल किया जाए।    

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