हिंदू नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले कमलेश तिवारी की शुक्रवार को लखनऊ में दिन-दहाड़े हत्या के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि तिवारी के हत्यारे भगवा वस्त्र पहनकर क्यों आये थे। तिवारी की हत्या के तार कुख्यात आतंकवादी संगठन आईएसआईएस से जुड़ते दिख रहे हैं। तिवारी राम मंदिर-बाबरी मसजिद मामले में अपीलकर्ता थे।
यूपी सरकार ने जांच के लिए एसआईटी बना दी है। पुलिस सीटीसीटी फ़ुटेज में दिख रहे दो लोगों की तलाश में जुटी है। पुलिस ने मौक़े से एक पिस्टल, खाली कारतूस भी बरामद किया है। पुलिस तिवारी की कॉल डिटेल की भी जांच कर रही है और उनकी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी से भी पूछताछ करेगी। पुलिस संदिग्धों के स्कैच भी बना रही है।
तिवारी की पत्नी किरन की ओर से इस मामले में बिजनौर के दो मौलानाओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराई गई है और उन पर हत्या करने, आपराधिक साज़िश रचने का आरोप लगाया है। किरन ने आरोप लगाया है कि ये दोनों ही तिवारी की हत्या के लिए जिम्मेदार हैं।
2015 में तिवारी के पैंगबर मोहम्मद साहब को लेकर दिये गये विवादित बयान के बाद एक मौलाना अनवारुल हक़ ने कमलेश का सिर कलम करने पर 51 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। इनमें से एक मौलाना को बिजनौर पुलिस ने बलात्कार के आरोप में गिरफ़्तार भी किया था।
उधर, यूपी के डीजीपी ओपी सिंह ने कहा है कि यूपी पुलिस और गुजरात एटीएस की संयुक्त टीम ने सूरत से तीन संदिग्धों मौलाना मोहसिन शेख, फैजान और रशीद पठान को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। पुलिस ने बिजनौर से मौलाना अनवारुल हक़ और मुफ्ती नईम काजमी को भी हिरासत में ले लिया है।
पुलिस इस मामले में गुजरात पुलिस द्वारा दो साल पहले दायर की गई चार्जशीट को देख रही है। चार्जशीट के मुताबिक़, आईएस के दो आतंकवादियों कासिम स्तिमबरवाला और ओबेद मिर्ज़ा ने पुलिस को बताया था कि वे तिवारी की हत्या करने की योजना बना रहे थे। पुलिस ने इन दोनों को अक्टूबर, 2017 में गिरफ़्तार किया था।
अंग्रेजी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक़, गुजरात एटीएस के डीआईजी हिमांशु शुक्ला ने इस बात की पुष्टि की है। शुक्ला ने कहा, ‘चार्जशीट में यह बात लिखी है कि कासिम और ओबेद ने पुलिस के सामने इस बात को स्वीकार किया था कि पैगंबर के ख़िलाफ़ विवादित बयान देने पर उन्होंने तिवारी की हत्या की योजना बनाई थी।’
पश्चिमी लखनऊ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विकास चंद्र त्रिपाठी ने कहा है कि ऐसा लगता है कि तिवारी के हत्यारे उनसे परिचित थे। उन्होंने कहा कि पुलिस निजी दुश्मनी के एंगल से भी मामले की जांच कर रही है।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, तिवारी की पार्टी के कुशीनगर जिले के प्रभारी स्वराष्ट्र दीप सिंह ने बताया कि शुक्रवा लगभग 11 बजे तिवारी के पास एक फ़ोन आया। इसके बाद तिवारी ने अपनी पत्नी से पहली मंजिल पर बने कमरे को साफ़ करने के लिए कहा और कहा कि कुछ लोग आने वाले हैं। तिवारी ने उनके लिए चाय बनाने के लिए भी कहा। स्वराष्ट्र दीप सिंह उस समय कमरे में ही मौजूद थे।
एक घंटे के बाद, दो लोग दिखाई दिये और वे सीधे पहली मंजिल पर आ गये, जहां तिवारी उनका इंतजार कर रहे थे। स्वराष्ट्र ने बताया कि तिवारी की पत्नी ग्राउंड फ़्लोर पर थीं जबकि उनके तीनों बेटे उस समय घर पर मौजूद नहीं थे।
आधा-एक घंटे के बाद उन दो में से एक आदमी ने मुझे पैसे दिये और सिगरेट लाने के लिए कहा। जब मैं थोड़ी देर बाद पहुंचा तो देखा कि तिवारी फर्श पर गिरे हुए थे और उनके गले में घाव था और खून बह रहा था और वे लोग वहां नहीं थे। स्वराष्ट्र ने कहा कि इसके बाद उन्होंने अलार्म बजाया और तिवारी की पत्नी वहां आई और पुलिस को सूचना दी। स्वराष्ट्र ने यह भी कहा कि उन्होंने तिवारी की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी को नहीं देखा।