उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक बार फिर दिल दहलाने वाली वारदात हुई है। एक ही परिवार के 5 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई और उनके घर में आग भी लगा दी गई। प्रयागराज में कुछ दिन पहले भी एक ही परिवार के 5 लोगों की गला रेत कर हत्या कर दी गई थी।
यह घटना प्रयागराज में गंगा पार के थाना थरवई क्षेत्र के अंतर्गत गांव शिवराजपुर में हुई है। इसका पता शनिवार तड़के चला है।
पुलिस का बयान
इस मामले में एसएसपी प्रयागराज ने कहा है कि घर के मुखिया राजकुमार, उनकी पत्नी, उनकी बहू और दो नातनियों सहित कुल 5 लोगों की हत्या की गई है। जबकि राजकुमार की एक पोती जिसकी उम्र 5 साल है वह जीवित है।
एसएसपी ने कहा कि पुलिस जीवित पोती से पूछताछ कर हत्या की वजह का पता लगाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि मृतकों के रिश्तेदारों से भी पुलिस पूछताछ कर रही है। डॉग स्क्वायड और फॉरेंसिक टीम ने मौके का मुआयना किया है।
एसएसपी ने कहा कि हत्या कैसे की गई है यह पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगा। पहली नजर में ऐसा लग रहा है कि डंडों से पीटकर हत्या की गई है।
मृतकों के परिजनों का कहना है कि उनकी किसी से भी किसी तरह की दुश्मनी नहीं थी। लेकिन जिस तरह हत्या के बाद घर में आग लगाई गई है उससे पता चलता है कि हत्या के बाद सुबूतों को छुपाने की कोशिश की गई है।
घटना का पता चलते ही मौके पर बड़ी संख्या में लोग जुट गए और जिसे भी इस बारे में पता चला वह हैरान रह गया।
कानून व्यवस्था की हालत
योगी आदित्यनाथ सरकार ने विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था बहुत बेहतर होने की बात को मुद्दा बनाया था। लेकिन चुनाव नतीजे आए 2 महीने का भी वक्त नहीं हुआ है कि पूरे प्रदेश से हत्या, लूटपाट समेत तमाम अपराधों की खबरें लगातार आ रही हैं।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों अखिलेश यादव और मायावती ने इस घटना को लेकर ट्वीट किया है। प्रदेश के दोनों ही बड़े नेताओं ने घटना की निंदा की है। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये नेता लखनऊ की आलीशान कोठियों से निकलकर मौके पर भी जाएंगे।
विधानसभा चुनाव से पहले भी हत्या सहित तमाम अपराधों की कई वारदात हुई लेकिन विपक्षी दल सपा और बसपा इसे मुद्दा बना पाने में पूरी तरह फेल रहे। हालांकि कांग्रेस ने चुनाव से पहले योगी आदित्यनाथ की सरकार में हुए अपराधों के खिलाफ कई बार आवाज बुलंद की।
प्रयागराज में कुछ ही दिन के भीतर दो बड़ी वारदात होने के कारण कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े होना लाजिमी है। लेकिन शायद मायावती और अखिलेश यादव सिर्फ ट्वीट कर विपक्ष का नेता होने की जिम्मेदारी को पूरा करेंगे और इतनी बड़ी वारदात के बाद भी मौके पर पहुंचने का कष्ट नहीं करेंगे।
ऐसे में निश्चित रूप से योगी सरकार पर कोई दबाव नहीं बनेगा और पुलिसिया व्यवस्था इसी तरह काम करती रहेगी और ऐसे हालात में अपराध भी किसी सूरत में कम नहीं हो सकते।