उप राष्ट्रपति चुनाव: क्या मुख्तार अब्बास नक़वी होंगे एनडीए के उम्मीदवार?
उप राष्ट्रपति के चुनाव में क्या पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी एनडीए के उम्मीदवार हो सकते हैं। ऐसा हुआ तो नूपुर शर्मा विवाद के बाद देश में बने तनावपूर्ण माहौल के बीच बीजेपी की ओर से यह मुसलिम समुदाय को एक सकारात्मक संदेश देने और उनकी नाराजगी कम करने की कोशिश होगी। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, अगर कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो मुख्तार अब्बास नक़वी को एनडीए का उम्मीदवार बनाया जाना लगभग तय है।
नक़वी को उप राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा पिछले 3 महीनों से है। बीजेपी ने नक़वी को इस बार राज्यसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया था और रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भी उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया गया था।
राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने की वजह से नक़वी को केंद्रीय मंत्री का पद छोड़ना पड़ा था।
मुसलिम प्रतिनिधित्व शून्य
बताना होगा कि बीजेपी के पास लोकसभा और राज्यसभा में अब एक भी मुसलिम सांसद नहीं है। साथ ही केंद्र सरकार में एक भी मुसलिम मंत्री नहीं है। इसे लेकर बीजेपी और मोदी सरकार की आलोचना भी हुई है। ऐसे में बीजेपी इन आलोचनाओं का जवाब मुख्तार अब्बास नक़वी को उप राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बना कर दे सकती है।
मुख्तार अब्बास नक़वी के अलावा उप राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के संभावित उम्मीदवारों में राज्यसभा की पूर्व उप सभापति नजमा हेपतुल्ला, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का नाम चर्चा में है।
6 अगस्त को होगा चुनाव
उप राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव 6 अगस्त को होगा और उसी दिन नतीजे आ जाएंगे। चुनाव में नामांकन भरने की अंतिम तारीख 19 जुलाई है। ऐसे में कुछ ही दिन का वक्त बचा है। इस सिलसिले में दो-तीन दिनों के भीतर ही बीजेपी के संसदीय बोर्ड की बैठक होने वाली है और उसमें उप राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए के उम्मीदवार का नाम फाइनल किया जाएगा। बीजेपी के सूत्रों के मुताबिक, इस बारे में पार्टी सभी राजनीतिक दलों से बातचीत करेगी और उम्मीदवार को लेकर आम सहमति बनाने की कोशिश करेगी।
विपक्ष क्या करेगा?
यह भी कहा जा रहा है कि मुख्तार अब्बास नक़वी के उम्मीदवार बनने की सूरत में विपक्ष के लिए उनके सामने किसी उम्मीदवार को उतारना आसान नहीं होगा क्योंकि ऐसे में मुसलिम समुदाय की नाराजगी का खतरा पैदा हो सकता है। मुख्तार अब्बास नक़वी के नाम पर एनडीए में शामिल अन्य दलों को भी मनाना बीजेपी के लिए मुश्किल नहीं होगा।
प्रयागराज टू रामपुर
हालांकि मुख्तार अब्बास नक़वी रहने वाले तो प्रयागराज के हैं लेकिन उन्होंने अपना राजनीतिक कर्मक्षेत्र रामपुर को बनाया। वह रामपुर में राजनीतिक रूप से लगातार सक्रिय रहे हैं। वह यहां से 1998 में लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं। लेकिन 1999 और 2009 में उन्हें यहां हार भी मिली थी। उसके बाद पार्टी ने नक़वी को लोकसभा चुनाव लड़ने का मौक़ा नहीं दिया।
नक़वी मोदी सरकार के मुखर मंत्रियों में शामिल थे और तमाम मसलों पर सरकार और बीजेपी का पक्ष जोरदार ढंग से रखते थे।
मोदी का संदेश
मुख्तार अब्बास नक़वी एनडीए की ओर से उप राष्ट्रपति के उम्मीदवार बनते हैं तो क्या बीजेपी को इसका कोई सियासी फायदा मिलेगा। बीते दिनों तेलंगाना में हुई बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पसमांदा मुसलमानों को बीजेपी से जोड़ने के लिए अभियान चलाने की बात कही थी। प्रधानमंत्री ने कहा था कि देशभर में स्नेह यात्रा निकाली जानी चाहिए।
बीजेपी को हाल ही में रामपुर और आज़मगढ़ जैसी मुसलिम बहुल सीटों पर भी जीत मिली है।
ऐसे में सवाल यह है कि क्या बीजेपी मुख्तार अब्बास नक़वी को उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर नूपुर शर्मा विवाद के बाद नाराज हुए मुसलिम समुदाय और मुसलिम मुल्कों की नाराजगी कम करना चाहती है। अगर नक़वी उम्मीदवार बनते हैं तो क्या इससे मुसलिम समुदाय की नाराजगी कम होगी।
क्या बीजेपी को इससे उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों के साथ ही 2024 के आम चुनाव में भी कोई फायदा होगा।