हरियाणा: शख़्स को जिंदा जलाया, किसान आंदोलन में शामिल लोगों पर आरोप
हरियाणा के बहादुरगढ़ में 42 साल के एक शख़्स की बुरी तरह जलने के बाद मौत हो गयी। पुलिस का कहना है कि इस शख़्स पर चार लोगों ने ज्वलनशील पदार्थ छिड़क दिया था और उसके बाद आग लगा दी थी।
पुलिस के मुताबिक़, मृत व्यक्ति के परिजनों ने आरोप लगाया है कि अभियुक्त किसान आंदोलन में शामिल थे और टिकरी बॉर्डर पर चले रहे धरने में हिस्सा ले रहे थे। लेकिन किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि उस शख़्स ने आत्महत्या की है।
पुलिस ने कहा है कि शख़्स की पहचान बहादुरगढ़ के रहने वाले मुकेश के रूप में हुई है। वह कासड़ा गांव के रहने वाले थे।
मुकेश के भाई ने पुलिस में जो शिकायत दी है, उसके मुताबिक़, मुकेश को किसान आंदोलन में शामिल चार लोगों ने बुधवार शाम को जिंदा जला दिया और उस वक़्त ये सभी लोग नशे की हालत में थे। पुलिस ने कहा है कि गुरूवार तड़के मुकेश की मौत हो गई थी और इस मामले में जांच जारी है। पुलिस ने कहा है कि चारों के ख़िलाफ़ हत्या का मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है।
गुरूवार को इस मामले में मुकेश के परिजनों और कुछ ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया और पीड़ित के परिवार को मुआवज़ा देने की मांग की।
बदनाम करने का आरोप
संयुक्त किसान मोर्चा ने इस मामले में बयान जारी कर कहा है कि एक शख़्स द्वारा आत्महत्या करने के मामले का इस्तेमाल हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार, उनके राजनीतिक एजेंट और ट्रोल आर्मी किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए कर रहे हैं। किसान मोर्चा ने कहा है कि जैसे ही मुकेश ने अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आग लगाई मोर्चे के वालंटियर उसकी ओर दौड़े, आग बुझाई और उसकी जान बचाई।
मोर्चे की ओर से हरियाणा सरकार से अपील की गई है कि वह इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाए और आम लोग इस आंदोलन को बदनाम करने की साज़िशों पर कान न दें।
युवती से रेप का मामला
किसान आंदोलन में शामिल कुछ युवकों पर पिछले महीने एक युवती से बलात्कार का आरोप लगा था। 26 साल की यह युवती एक सामाजिक कार्यकर्ता थी और पश्चिम बंगाल की रहने वाली थी। किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए वह टिकरी बॉर्डर आई थी।
बलात्कार की घटना के बाद युवती कोरोना से संक्रमित हो गई और 30 अप्रैल को उसकी मौत हो गई थी। किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा था कि युवती को बचाने की पूरी कोशिश की गई। इस मामले में पुलिस ने कुछ अभियुक्तों को गिरफ़्तार किया था। यह मामला काफी चर्चित रहा था।
किसान पिछले 7 महीनों से दिल्ली के बॉर्डर्स पर धरना दे रहे हैं और उनकी मांग है कि केंद्र सरकार तीनों कृषि क़ानूनों को वापस ले और एमएसपी को लेकर गारंटी क़ानून बनाए।