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एमपीः चुनाव से 3 महीने पहले शिवराज ने 3 मंत्री क्यों बनाए, क्या फायदा होगा

एमपीः चुनाव से 3 महीने पहले शिवराज ने 3 मंत्री क्यों बनाए, क्या फायदा होगा

भाजपा नेतृत्व के साथ लंबी बातचीत के बाद, शिवराज सिंह चौहान ने जाति और क्षेत्रीय समीकरणों को संतुलित करने के लिए पार्टी के दिग्गज नेता गौरीशंकर बिसेन, उमा भारती के भतीजे राहुल सिंह लोधी और विंध्य नेता राजेंद्र शुक्ला को मंत्री बनाया है। जानिए पूरी राजनीतिः

मध्य प्रदेश में शनिवार को शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में तीन नए मंत्री शामिल किए गए। राज्य में तीन महीने बाद विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में तीन नए मंत्रियों के शपथ लेने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य में भाजपा की स्थिति क्या है और चुनाव को लेकर क्या राजनीति हो रही है। कांग्रेस ने इसे भाजपा की घबराहट बताया है लेकिन भाजपा इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है। हालांकि इस विस्तार के लिए सीएम चौहान को भाजपा आलाकमान से अनुमति लेनी पड़ी। लेकिन मध्य प्रदेश के मतदाताओं में जो संदेश जाना था वो जा चुका है।

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में इसे जाति और क्षेत्रीय समीकरणों को संतुलित करने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है। चौहान टीम में तीन नए चेहरों - गौरीशंकर बिसेन, राजेंद्र शुक्ला और राहुल सिंह लोधी ने शनिवार को मंत्री पद की शपथ ली, जिससे भाजपा मंत्रिमंडल की संख्या 34 हो गई, जबकि एक मंत्री पद खाली है। 

चार बार के सीएम चौहान के वर्तमान कार्यकाल के दौरान यह दूसरा कैबिनेट विस्तार था। भाजपा के शीर्ष नेताओं ने काफी फीडबैक लेने के बाद आखिरकार उनके प्रस्तावित कदम को मंजूरी दे दी, जिससे पार्टी के कई वरिष्ठ नेता असंतुष्ट थे। वे मंत्री के रूप में नामित नहीं किए जाने से नाराज थे। 31 मंत्रियों में से अधिकांश (11) मालवा-निमाड़ क्षेत्र से हैं, नौ ग्वालियर-चंबल क्षेत्र से हैं, 4 बुंदेलखण्ड से हैं,और 3-3 मध्य और विंध्याचल से हैं।

मंत्रिमंडल में महाकौशल से प्रतिनिधित्व की कमी के बीच, जहां केवल एक मंत्री था, चौहान ने गौरीशंकर बिसेन को मंत्री के रूप में शामिल किया, जो उस क्षेत्र से आते हैं, जिसे कांग्रेस पार्टी का गढ़ माना जाता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व सीएम कमल नाथ का गृह क्षेत्र भी महाकौशल क्षेत्र में है।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बालाघाट क्षेत्र से 7 बार विधायक रहे 71 वर्षीय बिसेन ने 1971 में ग्राम कल्याण समिति के अध्यक्ष के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया। वह 1978-80 तक बालाघाट में जिला सहकारी बैंक और भूमि विकास बैंक के निदेशक के रूप में कार्य करते रहे। वह भाजपा की बालाघाट इकाई के उपाध्यक्ष भी थे। उन्होंने 2000 के दशक की शुरुआत में भाजपा किसान मोर्चा प्रमुख और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी पद संभाला है। बिसेन ने पहले चौहान मंत्रिमंडल में 2008 में सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग मंत्री और 2013 में कृषि मंत्री के रूप में कार्य किया था।

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उमा भारती के भाई राहुल सिंह लोधी को भी मंत्री बनाया गया है।

नाराज उमा भारती को मनाने की कोशिश

पार्टी की दिग्गज नेता और पूर्व सीएम उमा भारती को खुश करने की कोशिश में, चौहान ने उनके भतीजे राहुल सिंह लोधी को मंत्री बनाया, जो बुंदेलखंड क्षेत्र के खड़गपुर से पहली बार विधायक बने हैं। भारती और चौहान के बीच रिश्ते काफी समय से तनावपूर्ण हैं। शक्तिशाली लोधी समुदाय से आने वाले 45 वर्षीय राहुल पहले राज्य भाजपा किसान मोर्चा के उपाध्यक्ष थे।

पिछले रविवार को एमपी में 20 साल के बीजेपी शासन का रिपोर्ट कार्ड जारी करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारती के नाम का उल्लेख किया और पार्टी में उनके योगदान को स्वीकार किया। भाजपा ने आगामी चुनाव के लिए पिछोर विधानसभा सीट से उनके कट्टर समर्थक प्रीतम सिंह लोधी को भी टिकट दिया। ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर प्रीतम को पहले भाजपा से छह साल के लिए निलंबित कर दिया गया था।

एक भाजपा नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा- “भारती ने राज्य में शराब की दुकानों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है जिससे सरकार बहुत असहज हो गई है क्योंकि कमल नाथ सहित कांग्रेस नेता भी इस मुद्दे पर नियमित रूप से सरकार पर हमला करते हैं। उनके समर्थकों को अंदरूनी कलह रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिए उचित सम्मान दिया गया है कि लोधी समुदाय भाजपा के साथ मजबूती से बना रहे।''

इसी तरह 59 वर्षीय राजेंद्र शुक्ला को मंत्री बनाया गया है। शुक्ला विंध्य प्रदेश के रीवा निर्वाचन क्षेत्र से चार बार विधायक हैं। अतीत में चौहान मंत्रालय में मंत्री के रूप में, उनके पास वाणिज्य और उद्योग, खनन और रोजगार जैसे विभाग थे। विंध्य क्षेत्र में भाजपा का एक प्रमुख चेहरा, शुक्ला को 2018 के चुनावों में रीवा जिले की सभी आठ सीटों पर पार्टी को जीत दिलाने का श्रेय दिया जाता है। भाजपा नेताओं ने कहा कि उनके शामिल होने का उद्देश्य क्षेत्र में ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाना है।

मध्य प्रदेश में शनिवार के मंत्रिमंडल विस्तार से यह साफ हो गया है कि राज्य में भाजपा चुनाव को लेकर परेशान है। लेकिन इस मंत्रिमंडल विस्तार का फायदा भाजपा को कितना मिलेगा, यह विश्लेषण का विषय है। सबसे पहली बात ये है कि चुनाव में तीन महीने बचे हैं, ऐसे में ये मंत्री अपने इलाके में अपनी जाति के मतदाताओं को कितना खींच पाएंगे, इसमें संदेह है। राहुल सिंह लोधी के आने से जरूरी नहीं कि लोधी वोट भी भाजपा को मिल जाएं। क्योंकि पूर्व सीएम उमा भारती लंबे समय से शिवराज सिंह चौहान से नाराज हैं। ऐसे में तीन महीने पहले उनके भाई को मंत्री बनाकर उन्हें कितना खुश किया जा सकेगा, इसका पता मतपेटियां खुलने के बाद ही चलेगा। कुल मिलाकर मध्य प्रदेश में चुनाव को लेकर जिस तरह भाजपा डरी हुई है, वो डर बार-बार किसी न किसी माध्यम से सामने आ रहा है।

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