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एमपी: यूनिवर्सिटी में हिजाब पहन नमाज अदा करने पर जाँच के आदेश

एमपी: यूनिवर्सिटी में हिजाब पहन नमाज अदा करने पर जाँच के आदेश

कर्नाटक में जिस तरह का विवाद हिजाब पर हुआ क्या उसी तरह का विवाद अब उत्तर भारत में शिक्षण संस्थानों में होगा? जानिए मध्य प्रदेश में ताज़ा क्या हुआ।

कर्नाटक के स्कूलों जैसा हिजाब पर विवाद अब मध्य प्रदेश के विश्वविद्यालय में हो गया है। मध्य प्रदेश के एक विश्वविद्यालय में एक मुसलिम छात्रा के हिजाब पहनकर नमाज अदा करने के वीडियो से यह विवाद हुआ। इस मामले ने इतना तूल पकड़ा है कि अब इस मामले में जाँच के आदेश दिए गए हैं। कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पहनकर जाने पर विवाद हुआ था और आखिरकार उस पर प्रतिबंध लगाया गया। कर्नाटक सरकार भी उस प्रतिबंध के पक्ष में खड़ी थी और फिर हाई कोर्ट का भी फ़ैसला कुछ वैसा ही आया। उसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है। लेकिन कर्नाटक विवाद के बाद देश के कई राज्यों में इस तरह के विवाद आ रहे हैं।

ताज़ा मामला मध्य प्रदेश का है। सोशल मीडिया पर साझा किये गये वीडियो में केंद्रीय संस्थान डॉ. हरिसिंह गौर सागर विश्वविद्यालय में एक कक्षा के अंदर एक छात्रा को नमाज अदा करते हुए देखा जा सकता है। इस वीडियो के सामने आने पर एक दक्षिणपंथी समूह हिंदू जागरण मंच ने विश्वविद्यालय प्रशासन से छात्रा के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए शिकायत की है।

शिकायत में जिन बातों का ज़िक्र किया गया है उनमें हिजाब और कर्नाटक हाई कोर्ट का फ़ैसला भी शामिल है। कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब का विरोध इस आधार पर किया गया था कि स्कूलों में जब सभी के लिए ड्रेस कोड है तो फिर मुसलिम छात्राओं को यह छूट कैसे मिल सकती है और शैक्षणिक सत्र में धार्मिक गतिविधि की इजाजत क्यों दी जाए। 

इसके ख़िलाफ़ अदालत में 5 याचिकाएं दायर की गई थीं और स्कूलों में हिजाब पर बैन को अदालत में चुनौती दी गई थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन जारी रहेगा और यह जरूरी धार्मिक प्रथा नहीं है।

तब अदालत ने कहा था कि उसने इस मामले में सुनवाई के दौरान प्रमुख रूप से चार सवालों को तैयार किया। पहला सवाल यह कि हिजाब पहनना क्या इसलाम में एक जरूरी धार्मिक प्रथा है और अनुच्छेद 25 के तहत इसे सुरक्षा हासिल है? 

दूसरा सवाल यह कि स्कूल यूनिफॉर्म को तय करना क्या अधिकारों का उल्लंघन है?

तीसरा सवाल यह कि क्या 5 फरवरी को दिया गया आदेश अधूरा था और क्या यह अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है और चौथा यह कि क्या कॉलेज के प्रशासन के खिलाफ किसी तरह का अनुशासनात्मक जांच का कोई मामला बनता है?

बहरहाल, मध्य प्रदेश में अब ताज़ा शिकायत पर विश्वविद्यालय ने कहा है कि उसने जांच के आदेश दिए हैं। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, विश्वविद्यालय की कुलपति नीलिमा गुप्ता ने कहा, 'इसकी जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई है। इसके साथ ही छात्रों से कहा गया है कि वे घर में धार्मिक अनुष्ठान करें। विश्वविद्यालय पढ़ाई के लिए है।'

विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार संतोष सहगौरा ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि उन्हें एक वीडियो क्लिप के साथ एक शिकायत मिली है जिसमें छात्र को हिजाब में एक कक्षा के अंदर नमाज अदा करते हुए दिखाया गया है। उन्होंने कहा, 'पांच सदस्यीय समिति तीन दिनों के भीतर एक रिपोर्ट सौंपेगी और इसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।' विश्वविद्यालय के मीडिया अधिकारी विवेक जायसवाल ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों के लिए कोई औपचारिक ड्रेस कोड नहीं है, लेकिन उन्हें 'बुनियादी नैतिक पोशाक' में कक्षाओं में भाग लेना चाहिए।

रिपोर्ट के अनुसार हिंदू जागरण मंच की सागर इकाई के प्रमुख उमेश सराफ ने आरोप लगाया कि वीडियो में दिख रही छात्रा लंबे समय से हिजाब पहनकर व्याख्यान में भाग ले रही है। सराफ ने कहा, 'शैक्षणिक संस्थानों में इस तरह की धार्मिक गतिविधियों की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। वह लंबे समय से हिजाब में आ रही हैं, लेकिन उन्हें शुक्रवार दोपहर कक्षा के अंदर नमाज अदा करते देखा गया। यह आपत्तिजनक है क्योंकि शैक्षणिक संस्थान हर धर्म के लिए एक जगह है।'

उन्होंने कहा, 'कुलपति और रजिस्ट्रार को एक शिकायत दी की गई है।' इसके साथ ही उन्होंने 15 मार्च को कर्नाटक उच्च न्यायालय के फ़ैसले का हवाला दिया, जिसमें कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था।

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