‘कश्मीर फाइल्स’ पर IAS अफ़सर बोले- मुसलिम कीड़े नहीं; कार्रवाई होगी?
‘मुसलमान कीड़े नहीं, इंसान हैं…’। सवाल उठाने, और कई राज्यों में मुसलमानों की हत्याओं को दिखाने के लिए फ़िल्म बनाने की सलाह देने वाले अपने ट्वीट पर मध्य प्रदेश के एक आईएएस अधिकारी को सत्तारूढ़ दल बीजेपी के सदस्यों ने ‘ट्रोल’ किया है। ‘प्रचार की भूख’ और ‘ग़ैर ज़िम्मेदाराना बयानबाज़ी’ का आरोप लगाते हुए बीजेपी के नेताओं ने आईएएस अफसर के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग कर डाली है।
मध्य प्रदेश कैडर के 2015 बैच के चर्चित प्रमोटी आईएएस अधिकारी नियाज़ खान ने शनिवार को दो ट्वीट किए जिस पर बवाल खड़ा हो गया। खान अभी मध्य प्रदेश के लोक निर्माण विभाग में उपसचिव के पद पर तैनात हैं। गुना जिले में ओडीएफ घोटाले का पर्दाफाश करने के बाद उन्हें मैदानी पदस्थापना से हटाते हुए राज्य मंत्रालय में बैठा दिया गया था। नियाज खान ने अपने पहले ट्वीट में कहा, ‘अलग-अलग मौक़ों पर मुसलमानों के नरसंहार को दिखाने के लिए एक किताब लिखने की सोच रहा था, ताकि कश्मीर फाइल्स जैसी फिल्म - कोई निर्माता बना सके। अल्पसंख्यकों के दर्द और पीड़ा को भारतीयों के सामने लाया जा सके।’
Thinking to write a book to show the massacre of Muslims on different occasions so that a movie like Kashmir Files could be produced by some producer, so that, the pain and suffering of minorities could be brought before Indians
— Niyaz Khan (@saifasa) March 18, 2022
इस ट्वीट में उन्होंने आगे कहा, ‘हत्या किसी मुसलमान, हिंदू या सिख की नहीं होती है, बल्कि इंसान की होती है। इसलिए ऐसी घटनाओं को हिंदू-मुसलिम की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए, बल्कि इंसानियत की नज़र से देखना चाहिए’
हाल ही में रिलीज हुई ‘द कश्मीर फाइल्स’ देश भर में चर्चा का विषय है। कश्मीरी पंडितों पर घाटी में हुए बेइंतहा जुल्म और ज़्यादतियों, कश्मीरी पंडितों के क़त्लेआम को ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म में दिखाया गया है। फिल्म के पक्ष और विपक्ष में पूरे देश में बहस भी छिड़ी हुई है। बीजेपी शासित राज्यों में फिल्म को टैक्स फ्री किया गया है। बीजेपी शासित राज्यों में मुख्यमंत्री, मंत्री, सत्तारूढ़ दल के नेता और कार्यकर्ता समूह में फिल्म को देख रहे हैं।
आम जनता से फिल्म को देखने की अपील की जा रही है। मध्य प्रदेश में भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दो दिन पहले अपने मंत्रिमंडल के साथियों, पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ स्पेशल शो में फिल्म को देखा है।
मध्य प्रदेश में पुलिस महकमे को इस फिल्म को देखने के लिए अवकाश देने की घोषणा की गई है। सीएम ने फिल्म को देखने के बाद सरकार की ओर से पत्रकारों को परिवार के साथ इस फिल्म को निःशुल्क दिखलाने का एलान किया हुआ है। होली होने की वजह से पत्रकारों और उनके परिजनों के लिए शो नहीं हो पाया है। मीडिया वालों के लिए शो की तारीख अभी तय होना है।
तमाम वाद-विवाद, आरोप और प्रत्यारोप के बीच मध्य प्रदेश कैडर के अफसर नियाज़ अहमद ख़ान के ट्वीट ने सत्तारूढ़ दल के सदस्यों रोष पैदा किया है।
दरअसल, खान के दूसरे ट्वीट पर विवाद खड़ा हुआ है। प्रतिपक्ष कांग्रेस इस ट्वीट पर सरकार की चुटकियां लेने में जुट गई है।
नियाज़ अहमद खान ने दूसरे ट्वीट में कहा है, ‘द कश्मीर फाइल्स’ ब्राह्मणों का दर्द दिखाती है। उन्हें पूरे सम्मान के साथ कश्मीर में सुरक्षित रहने की अनुमति दी जानी चाहिए। निर्माता को कई राज्यों में बड़ी संख्या में मुसलमानों की हत्याओं को दिखाने के लिए एक फिल्म बनानी चाहिए। मुसलमान कीड़े नहीं, बल्कि इंसान हैं, और देश के नागरिक हैं।’
Kashmir File shows the pain of Brahmins. They should be allowed to live safely in Kashmir with all honour. The producer must also make a movie to show the killings of Large number of Muslims across several states. Muslims are not insects but human beings and citizens of country
— Niyaz Khan (@saifasa) March 18, 2022
पूर्व प्रोटेम स्पीकर शर्मा नाराज़
मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व प्रोटेम स्पीकर और भाजपा के वरिष्ठ विधायक रामेश्वर शर्मा ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है, ‘मैं मध्य प्रदेश सरकार से आग्रह करता हूं कि नियाज़ खान से स्पष्टीकरण लिया जाए और पूछा जाये कि देश में ऐसा कौन सा प्रांत है जहां मुसलमानों को मारा जा रहा है।’
शर्मा ने खान के ट्वीट की आलोचना करने के साथ जवाब-तलब के लिए एक के बाद एक कई ट्वीट किये हैं। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा है, ‘वैसे तो देश में कहीं दंगे नहीं हो रहे, न हो पाएंगे, लेकिन पूर्व में हुए भिवंडी, भागलपुर, मुजफ्फरनगर, बंगाल, केरल में हिंदू-मुसलिम दंगों में भी हिंदुओं की मौत का आँकड़ा मुसलिमों की मौत से ज़्यादा निकलेगा।’
वैसे तो देश में कही दंगे नही हो रहे न हो पाएँगे पर पूर्व में हुए भिवंडी, भागलपुर,मुज़फ़्फ़रनगर, बंगाल, केरल में हिंदू मुस्लिम दंगो में भी हिंदूओ की मौत का आँकड़ा मुस्लिमो की मौत से ज़्यादा निकलेगा .
— Rameshwar Sharma (@rameshwar4111) March 19, 2022
1/5
अन्य ट्वीट में शर्मा ने कहा है, ‘एक बात और नियाज खान जी, मुसलिमों के लिए कीड़ा-मकोड़े जैसे शब्दों का इस्तेमाल न करें, क्योंकि भारत में सच्चे देशभक्त एपीजे अब्दुल कलाम साहब, अशफाकुल्लाह खां, जैसे भी हुए हैं।’
बीजेपी प्रवक्ता का आरोप
मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने ‘सत्य हिन्दी’ से कहा, ‘नियाज़ अहमद खान से सभी वाकिफ़ हैं। उनकी ज़्यादातर बयानबाज़ी मीडिया में छपने तक सीमित रहती है। इस बात के अनेक पुराने उदाहरण भी हैं।’
एक सवाल के जवाब में अग्रवाल ने कहा, ‘सरकार को पूरे मामले को संज्ञान में लेकर खान से जवाब-तलब करना चाहिए। उन्होंने किन तथ्यों के आधार पर बयानबाज़ी की है, यह पूछना सरकार का ही काम है।’
कांग्रेस बोली- खान ने गलत क्या कहा?
उधर मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया सेल के प्रमुख के.के.मिश्रा ने नियाज खान के ट्वीट पर रि-ट्वीट कर सवाल उठाते हुए कहा है, ‘नियाज खान जी ने ग़लत क्या कहा है? गोधरा कांड इस बात का गवाह है। मोदी सरकार ने कश्मीर से धारा 370 और 35ए हटाया है, इसके बाद भी बीजेपी जीत के प्रति आश्वस्त नहीं है। कश्मीर में परिसीमन के नाम पर सीटों की संख्या 83 से बढ़ाकर 90 की जा रही है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘द-कश्मीर फाइल्स’ फिल्म प्रोपेगंडा की आड़ में बीजेपी हिन्दू-मुसलिमों के बीच खाई को बढ़ा रही है। बीजेपी अपनी जीत के प्रति आश्वस्त होती तो उसे ऐसे हथकंडों को अपनाने की जरूरत नहीं पड़ती।’
अब तक सात किताबें लिख चुके हैं खान
राज्य प्रशासनिक सेवा में 1999 में सीधे भरती होकर नियाज खान ने अपने प्रशासनिक सेवाकाल की शुरुआत की थी। अब तक वे सात किताबें लिख चुके हैं। इनमें ‘अबू सलेम और बॉलीवुड की अदाकारा मोनिका बेदी की लव स्टोरी के दफन राज’ खासी चर्चित रही है।
तीन तलाक पर लिखी किताब ने भी जमकर सुर्खियां बटोरी थीं। मुसलिम वर्ग ने नियाज़ खान की इस किताब को लेकर तीखी आलोचना की थी। उन्हें धमकियां भी मिली थीं।
प्रकाश झा पर ठोक रखा है केस
चर्चित वेब सीरिज ‘आश्रम’ को लेकर नियाज़ खान ने बॉलीवुड के निर्माता-निर्देशक और एक्टर प्रकाश झा पर केस ठोक रखा है। खान का आरोप है कि ‘आश्रम’ वेबसीरिज में प्रकाश झा ने उनके फिक्शन ‘अनटोल्ड सीक्रेट्स ऑफ माय आश्रम’ के कई अंश ले डाले हैं और यह कॉपीराइट का सीधा उल्लंघन है।
17 सालों में 19 ट्रांसफर
सरकारी तंत्र का हिस्सा होने के बाद भी खुली आलोचना नियाज़ खान की आदत में शुमार है। शायद यही वजह है कि 17 सालों की नौकरी में उनके 19 बार तबादले हुए हैं।
राज्य मंत्रालय में आयोजित एक बैठक में आला अधिकारी द्वारा लज्जित करते हुए बाहर कर दिए जाने पर ख़ान ने कहा था, ‘खान सरनेम का खामियाज़ा उन्हें लगातार भुगतना पड़ रहा है। यह भूत उनका पीछा ही नहीं छोड़ रहा है।’
एक अन्य मौक़े पर नियाज़ ख़ान ने कहा था, ‘समाज में एक हिंसक तबका है, जिसने सच को सुनने के लिए अपने कान बंद कर लिए हैं। तथाकथित बुद्धिजीवी लोग सत्य परोसने वाले को गाली देते हैं। गंदी जुबान का उपयोग करते हैं। खराब परवरिश और कट्टरपंथियों की कंपनी ने पढ़े-लिखे लोगों का दिमाग खा लिया है।’