भावी डॉक्टरों को हेडगेवार और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार पढ़ाने के निर्णय के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने अपने कॉलेजों में रामचरित मानस और महाभारत पढ़ाने का फ़ैसला किया है। राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने इसका एलान करते हुए कह दिया है, ‘फ़ैसले के बाद कोई आरोप लगा रहा है कि हम शिक्षा का भगवाकरण कर रहे हैं, तो हाँ हम भगवाकरण कर रहे हैं।’
उच्च शिक्षा मंत्री की घोषणा के बाद कांग्रेस से आवाज़ उठ गई है कि सिलेबस में यदि रामचरित मानस और महाभारत को शामिल कर लिया गया है तो क़ुरान, बाइबिल और गुरुग्रंथ साहब को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए।
कांग्रेस के विधायक आरिफ़ मसूद ने यह मांग करते हुए कहा है, “बीजेपी की नीयत साफ़ नहीं है। बीजेपी बात तो ‘सबका साथ, सबका विकास’ की करती है, लेकिन सबको साथ लेकर चलती नहीं है। यदि नीयत साफ़ होती तो रामचरित मानस और महाभारत के साथ क़ुरान, बाइबिल और गुरुग्रंथ साहब को भी पाठ्यक्रम में शामिल करती।”
मसूद ने यह भी आरोप लगाया कि केन्द्र हो अथवा मध्य प्रदेश, दोनों ही सरकारें हर मोर्चे पर फैल हैं। शिक्षा से लेकर हर क्षेत्र में सिस्टम बैठ गया है। अपनी नाकामियाँ छिपाने के लिये ये सरकारें इस तरह के निर्णय लेकर जनता को भ्रमित करने के प्रयासों में जुटी हैं।’
बीए दर्शनशास्त्र में पढ़ाया जायेगा
मध्य प्रदेश सरकार के निर्णय के अनुसार राज्य के महाविद्यालयों में बीए दर्शनशास्त्र के विद्यार्थियों को रामचरित मानस और महाभारत पढ़ाई जायेगी। बाकायदा 100 नंबरों का पेपर भी लिया जायेगा। सरकार के निर्णय के मुताबिक़ यह वैकल्पिक होगा।
मंत्री के तेवर सख़्त
राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव के तेवर सख्त़त हैं। उनका कहना है, ‘रामचरित मानस और महाभारत पढ़ाने पर यदि कोई शिक्षा के भगवाकरण का आरोप लगाता है तो हाँ हम भगवाकरण कर रहे हैं।’
यादव ने यह भी कहा, ‘धर्म का वैज्ञानिक आधार है। हम देश की संस्कृति के बारे में विद्यार्थियों को ज्ञान दे रहे हैं। नई शिक्षा नीति में यदि संस्कृत है तो उर्दू भी है।’