गालियाँ देने वालों को शिवराज सिंह ने 'माफ़' क्यों कर दिया?
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की गिनती बीजेपी संगठन में ‘आइडियल सीएम’ के तौर पर होती है। सत्ता और संगठन के लोगों को अनेक अवसरों पर उदाहरण के रूप में उन्हें प्रस्तुत भी किया जाता है।
मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज सिंह भले ही संगठन द्वारा ‘आदर्श मुख्यमंत्री’ के तौर पर पेश किए जाएँ, लेकिन मौजूदा राजनीतिक दौर के अंदरखाने में किस तरह का ‘विरोधाभास’ होता है, उसका खुलासा स्वयं मुख्यमंत्री चौहान के एक ट्वीट से हुआ है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रविवार को एक ट्वीट कर करणी सेना के उन प्रदर्शनकारियों को माफ कर दिया है, जिन्होंने बीते सोमवार को अपनी माँगों को लेकर भोपाल में धावा बोला था।
इस मामले में क्षमा मांगी गई है, मैं भी अपनी माँ से प्रार्थना करता हूं कि वह जहां भी हो अपने इन बच्चों को क्षमा करें और मेरे मन में भी अब उनके लिए कोई गिला शिकवा नहीं है।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) January 15, 2023
आप सब अपने हैं और अपना भी कोई गलती कर दे तो उसको अपने से अलग नहीं किया जा सकता।
पॉंच राज्यों से भोपाल आये करणी सेना के प्रदर्शनकारी, तीन दिनों तक भोपाल में डेरा जमाये रहे थे। सीएम इंदौर में थे। प्रवासी भारतीयों के सम्मेलन में व्यस्त थे।
दो दिवसीय प्रवासी भारतीयों के सम्मेलन के पहले दिन सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि के रूप में इंदौर आये थे। उन्होंने आयोजन का आग़ाज़ किया था और समापन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया था। प्रवासी भारतीयों के सम्मेलन के बाद बुधवार और गुरुवार को दुनिया भर के उद्योगपति इंदौर में संपन्न हुई ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट में जुटे थे। सीएम इंदौर में बने रहे थे। पीएम ने वर्चुअली समिट का शुभारंभ किया था।
इधर भोपाल में करणी सेना के आंदोलन को गृहमंत्री और सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने सुलटाया था। तीन माँगों के निराकरण के लिए मंत्रियों-अफ़सरों की समिति बनाकर शेष माँगें मिश्रा ने मानते हुए लड्डू खिलाकर अनशन/आंदोलन समाप्त करवा दिया था।
सीएम का हुआ था विरोध
आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को जमकर कोसा था। पुलिस वालों की मौजूदगी में गालियाँ देते कुछ वीडियो भी वायरल हुए थे। प्रदर्शनकारियों के वायरल वीडियो को संज्ञान में लेकर भोपाल पुलिस ने मामले-मुक़दमे दर्ज कर करणी सेना के प्रदर्शनकारियों को पकड़ा था। हरियाणा से भी एक प्रदर्शनकारी को मध्य प्रदेश पुलिस पकड़कर भोपाल लायी। पकड़े गए आरोपियों की ज़मानत नहीं हो पा रही है।
गाली देने वालों को शिवराज ने किया माफ!
मुख्यमंत्री चौहान ने रविवार को एक ट्वीट किया तो उन्हें गाली देने वाला चैप्टर ‘रि-ओपन’ हो गया। सीएम ने गालियाँ बकने वालों को माफ करते हुए अपने ट्वीट में कहा है, ‘पिछले दिनों एक आंदोलन के दौरान अभद्र भाषा का उपयोग किया गया था। मुख्यमंत्री की आलोचना का अधिकार है, लेकिन जिस माँ का स्वर्गवास वर्षों पहले मेरे बचपन में हो गया था, उनके लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल अंतरात्मा को व्यथित कर गया।’ सीएम अन्य ट्वीट में कहा है, ‘इस मामले में क्षमा मांगी गई है, मैं भी अपनी माँ से प्रार्थना करता हूँ कि वह जहाँ भी हो अपने बच्चों को क्षमा करें और मेरे मन में भी अब उनके लिए कोई गिला-शिकवा नहीं है। आप सब अपने हैं और अपना भी कोई गलती कर दें तो उसको अपने से अलग नहीं किया जा सकता।’
शिवराज सिंह चौहान साल 2005 से मध्य प्रदेश के सीएम हैं। लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहे (2008 और 2013 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद भी वे मुख्यमंत्री बनाये गये)।
विधानसभा के 2018 में भाजपा चुनाव हारी तो शिवराज सिंह नेता प्रतिपक्ष बनाये गये। ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में बग़ावत के कारण कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई और भाजपा जोड़-तोड़ से सरकार में लौटी तो बीजेपी ने तमाम दावेदारों को दरकिनार कर मुख्यमंत्री की कुर्सी पुनः शिवराज को सौंप दी।
प्रेक्षक मानते हैं कि मध्य प्रदेश भाजपा ज़बरदस्त अंतर्द्वंद्व से गुजर रही है। शिवराज अलग-थलग पड़े हुए हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नज़र गड़ाए बैठे उनके अपने साथी उन्हें “ज़ोर से धक्का देने” को तैयार बैठे हैं।
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक दिनेश गुप्ता कहते हैं, “बीजेपी अंतर्द्वंद्व से गुजर रही है, यह बात सोलह आने सही है। शिवराज अकेले हैं, सही है। पार्टी शिवराज पर दांव-दर-दांव खेल रही है, यह पार्टी के भीतर चौहान के विरोधियों को क्यों अच्छा लगेगा! अवसर मिलने पर वे (विरोधी) अपना दांव खेलेंगे। ज़रूर खेलेंगे। यही आज की राजनीति है!”
शिवराज मंत्रिमंडल के एकमात्र सदस्य महेंद्र सिंह सिसोदिया ने इस घटना की तत्काल निंदा की थी। सिसोदिया मूलतः कांग्रेसी थे। वे ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए हैं। उनके अलावा एक भी मंत्री ने मुख्यमंत्री की मां को दी गई गालियों का संज्ञान नहीं लिया। कोई भी इस पर कुछ नहीं बोला। राजपूत मंत्री भी (आधा दर्जन हैं) इस बारे में अपना मुंह बंद किए रहे।