गुजरात में आज गुरुवार को पहले चरण का मतदान हो रहा है और आज ही पीएम मोदी का सबसे बड़ा रोड शो अहमदाबाद में हो रहा है। यह महज संयोग नहीं है। रोड शो दोपहर बाद साढ़े 3.30 बजे शुरू होगा और उस समय वोटिंग भी चरम पर होगी। टीवी चैनल मोदी-मोदी से गूंज रहे होंगे। चुनाव आयोग की नजर में यह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है, क्योंकि मोदी का रोड शो दूसरे चरण में होने वाले मतदान के लिए है। इस पर कहीं कोई सवाल या बहस नहीं है कि आखिर मतदान वाले दिन ही पीएम मोदी का रोड शो क्यों।
कैस टूट रही है आचार संहिता
हर चुनाव की तरह गुजरात विधानसभा चुनाव के समय भी आदर्श आचार संहिता लागू है। लेकिन यह आदर्श आचार संहिता बार-बार तार हो रही है। हर कदम पर टूट रही है। आदर्श आचार संहिता हर दल पर लागू होती है, चाहे वो सत्तारूढ़ पार्टी का प्रधानमंत्री हो या विपक्षी शासित राज्य का मुख्यमंत्री चुनाव वाले राज्य में प्रचार करने गया हो। लेकिन रोड शो के मामले में पीएम मोदी का इतिहास चर्चित है।2014 के आम चुनाव, 2017 के यूपी चुनाव, 2019 के आम चुनाव और अब 2022 में गुजरात चुनाव में आचार संहिता टूटने का आरोप कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग को सौंपे ज्ञापनों में बार-बार लगाया है। लेकिन 2014 से लेकर अब तक चुनाव आयोग एक बार भी पीएम मोदी को चेतावनी तक जारी नहीं कर सका।
कांग्रेस पार्टी ने 2019 में चुनाव आयोग को मोदी के रोड शो के बारे में सौंपे गए ज्ञापन में सख्त भाषा का इस्तेमाल किया था। कांग्रेस ने कहा था कि मतदान से पहले और बाद में मोदी को रोड शो निकालने की आदत हो गई है।
पार्टी ने 2019 में चुनाव आयोग को बताया था कि अहमदाबाद में वोट डालने के बाद मोदी ने रोड शो निकाला, जबकि उस समय तक चुनाव पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ था। ज्ञापन में कहा गया था -
“
प्रधानमंत्री मोदी ने चुनावी कानूनों की अवहेलना करते हुए मतदान से पहले और बाद में एक रोड शो करने की पहले से ही विस्तृत योजना बनाई थी। हमने आयोग से कड़े कदम उठाने का बार-बार आग्रह किया क्योंकि प्रधानमंत्री का 2014 के आम चुनाव और 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में विस्तृत रोड शो करके कानून का उल्लंघन करने का इतिहास रहा है।अगर चुनाव आयोग समान रूप से और बिना किसी डर या पक्षपात के आदेश को लागू नहीं करता है, तो इस आयोग की पवित्रता से समझौता माना जाएगा।
- चुनाव आयोग में कांग्रेस का ज्ञापन, अप्रैल 2019
गुजरात में इतिहास खुद को दोहरा रहा है। आज गुरुवार को मतदान वाले दिन पीएम मोदी फिर से रोड शो कर रहे हैं। चूंकि चुनाव आयोग ने उनके ऐसे रोड शो पर पहले ऐतराज नहीं किया तो इसे छूट मान ली गई या फिर प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार मान लिया गया।
नब्बे के दशक में टीएन शेषन मुख्य चुनाव आयुक्त थे। 1991 के चुनाव में पूरी तरह आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू थी। क्या मजाल है कि सत्तारूढ़ पार्टी किसी कानून को तोड़ सके। शेषन की नजर विपक्ष से ज्यादा सत्तारूढ़ पार्टी की गतिविधियों पर रहती थी।
जो मन में आए बोलो
आचार संहिता का एक नियम यह भी है कि सामान्य आचरण के तरह यह संहिता उम्मीदवारों को ऐसी किसी भी गतिविधि से रोकती है जो समुदायों के बीच तनाव की वजह बन सकती है या तनाव को बढ़ा सकती है। वोट हासिल करने के लिए जाति या साम्प्रदायिक भावनाओं से भरी अपील करने से रोकती है।अब इस नियम के संदर्भ में आप पीएम मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयानों पर नजर डालें। अमित शाह ने खेड़ा जिले में एक रैली में 25 नवंबर को पहले 2002 के गुजरात दंगों की याद दिलाई और कहा कि हमने दंगाइयों को सबक सिखा दिया। अमित शाह क्या कहना चाह रहे थे और इशारा क्या था। इसे समझना मुश्किल भी नहीं है।
अभी सिर्फ तीन दिनों पहले देश के तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं, नागरिक अधिकार संगठनों ने इस पर ऐतराज जताते हुए चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की। चुनाव आयोग भीगी बिल्ली बना रहा। उसने प्रतिक्रिया तक नहीं दी। पूर्व केंद्रीय सचिव ई.ए.एस. सरमा समेत कई पूर्व नौकरशाहों ने कहा कि यह आईपीसी की धारा 153 ए का उल्लंघन है।
पीएम मोदी ने भी गुजरात की रैलियों में आतंकवाद और कट्टरपन का बार-बार जिक्र कर रहे हैं और कह रहे हैं कि गुजरात के युवकों को आतंकवाद से बचाना है। सवाल ये है कि जो चुनाव गुजरात मॉडल और विकास के मुद्दे पर लड़ा जाना चाहिए था, उसमें आतंकवाद और कट्टरपन का जिक्र करके किस तरह इशारा किया जा रहा है। दूसरी तरफ पीएम मोदी की पार्टी ने गोधरा से उस शख्स को टिकट दिया जो बिलकीस बानो गैंगरेप, हत्या के मामले में सजायाफ्ता है। जिसे गुजरात सरकार ने 11 अन्य दोषियों के साथ जेल से रिहा कर दिया।
2017 के चुनाव में कांग्रेस ने मोदी और शाह के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत की थी कि इन लोगों ने पुलवामा के शहीदों के नाम पर वोट मांगे। यह सामान्य आरोप नहीं है। लेकिन किसे सोचने की फिक्र है। इसलिए अब चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था पर उंगलियां उठ रही हैं तो कोई हैरानी की बात नहीं है।
क्या है रोड शो का प्लानः बीजेपी ने गुरुवार को मीडिया को बताया कि पीएम मोदी का मेगा शो नरोडा गाम से शुरू होकर गांधीनगर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में 50 किमी से अधिक की दूरी तय करेगा। रोड शो दोपहर 3:30 बजे शुरू होगा और आज ही शाम को 6:30 बजे तक चलने की उम्मीद है। इस दौरान मोदी 35 जगहों पर रुकेंगे और रास्ते में कई स्वतंत्रता सेनानियों और दक्षिणपंथी विचारधारा की हस्तियों की मूर्तियों पर पुष्प अर्पित करेंगे। यह मेगा शो करीब 16 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करेगा।
बीजेपी के मुताबिक ठक्करबपा नगर, बापूनगर, निकोल, अमराईवाड़ी, मणिनगर, दानीलिंबाडा, जमालपुर खड़िया, एलिसब्रिज, वेजलपुर, घाटलोडिया, नारनपुर, साबरमती कुछ ऐसे निर्वाचन क्षेत्र हैं जिन्हें प्रधानमंत्री अपने रोड शो में कवर करेंगे।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 2001 से 2014 तक गुजरात के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं। 2017 के गुजरात चुनावों में, बीजेपी की कुल 182 सीटों में से 99 सीटों पर जीत हुई थी। पार्टी पिछले 27 वर्षों से सत्ता में है और नरेंद्र मोदी राज्य के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं।
इस बार, पीएम मोदी, अमित शाह और सीआर पाटिल के नेतृत्व में पार्टी अपनी सबसे बड़ी सीट 140 से अधिक हासिल करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। राज्य लंबे समय से बीजेपी का गढ़ रहा है और पार्टी ने सातवें कार्यकाल के लिए सत्ता में वापसी पर अपनी नजरें गड़ा दी हैं।
182 विधानसभा वाले गुजरात राज्य में 5 दिसंबर दूसरे चरण का मतदान होगा। चुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे।